Causes Of Hormonal Imbalance In Women In Hindi: हार्मोनल बदलाव का मतलब होता है कि शरीर में हार्मोन के स्तर में फ्लक्चुएशन होना। ऐसा उम्र के किसी भी पड़ाव में हो सकता है। हार्मोनल बदलाव होने पर कई तरह की दिक्कतें होती हैं, जैसे मूड स्विंग होना, नींद न आना, बालों का झड़ना, थकान से भरे रहना, कमजोरी महसूस करना, वजन बढ़ना आदि। यहां तक कि हार्मोनल बदलाव का स्किन पर भी नेगेटिव असर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि हार्मोन को बैलेंस करना बहुत जरूरी है, ताकि शरीर के सभी फंक्शन सुचारू ढंग से चलते रहें। बहरहाल, आपने सुना होगा कि हार्मोनल बदलाव ज्यादातर महिलाओं में होते हैं। पुरुषों को इस तरह की समस्या का सामना कम करना पड़ता है। तो ऐसे में यह जान लेना आवश्यक हो जाता है कि आखिर महिलाओं में हार्मोनल बदलाव क्यों होते हैं और इसके क्या-क्या कारण हो सकते हैं? आइए, जानते हैं Mumma's Blessing IVF और वृंदावन स्थित Birthing Paradise की Medical Director and IVF Specialist डॉ. शोभा गुप्ता से-
महिलाओं में हार्मोनल बदलाव के कारण- What Causes Hormonal Changes In Women In Hindi
प्यूबर्टी
वैसे तो टीनेज अवस्था में लड़कियां और लड़के दोनों ही प्यूबर्टी से गुजरते हैं। इसके बावजूद, महिलाओं में प्यूबर्टी के दौरान हार्मोनल बदलाव अधिक देखने को मिलते हैं। असल में, प्यूबर्टी के दौरान किशोर लड़कियों के शरीर में कई बदलाव होते हैं, इसमें सेक्सुअल बदलाव भी नोटिस किए जाते हैं। यहां तक कि कई लड़कियों में इसी उम्र में पीरियड्स शुरू होते हैं।
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पीरियड्स
पीरियड्स एक ऐसी अवस्था होती है, जब लड़कियों को महीने के चार दिन ब्लीडिंग होती है। इसका मतलब है कि लड़की पूरी तरह हेल्दी है और सेक्सुअल गतिविधि में हिस्सा ले, तो वह प्रेग्नेंसी कंसीव कर सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार पीरियड्स के दौरान महिलाओं को कई तरह के हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है। इस दैरान महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन के स्तर में तेजी से बदलाव होते हैं, जिस वजह से उन्हें मूड स्विंग, थकान, ब्लोटिंग जैसी कई समस्याओं का समाना करना पड़ता है।
प्रेग्नेंसी
महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान भी हार्मोनल बदलाव होते हैं। आमतौर पर प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को पीरियड्स नहीं होते हैं। लेकिन, गर्भ में पल रहे भ्रूण का विकास हो रहा होता है, जिस वजह से उन्हें हार्मोन में तेजी से उतार-चढ़ाव होते हैं। खासकर, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन ऐसे हार्मोन हैं, जिसमें तेजी से फ्लक्चुएशन नजर आता है। ये हार्मोन भ्रूण के विकास में भी अहम भूमिका निभाते हैं। इस दौरान महिला को कई तरह के परेशानियों का समाना करना पड़ता है, जिसमें जी मचलाना, उल्टी, मूड स्विंग आदि शामिल हैं।
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मेनोपॉज
मेनोपॉज का मतलब होता है कि महिला के पीरियड्स पूरी तरह बंद हो गए हैं। मेनोपॉज के बाद महिलाएं प्रजनन क्षमता पूरी तरह खो देती है। इसका मतलब है कि वे सेक्सुअल गतिविधियों में इंवॉल्व होने के बावजूद कंसीव नहीं कर सकती है। मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्मोनल बदलाव होते हैं। असल में, इन दिनों उनके हार्मोन का स्तर घटने लगता है, जिस वजह से उन्हें हॉट फ्लैशेज, रात को बहुत ज्यादा पसीना आना, नींद में दिक्कतें आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
FAQ
महिलाओं में हार्मोन की कमी से कौन-कौन से रोग होते हैं?
महिलाओं में हार्मोन की कमी से मूड स्विंग्स, वजन बढ़ना और नींद पूरी न होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, ऑक्सीटोसिन हार्मोन की कमी की वजह से मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है। यह गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित करता है।मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे हार्मोनल असंतुलन है?
हार्मोनल असंतुलन होने पर मूड स्विंग, चिंता या डिप्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, कई मेडिकल कंडीशंस भी हो सकत हैं, जैसे थायरॉयड हार्मोन और कॉर्टिसोल संबंधी समस्या आदि। कुछ लोगों को हार्मोनल बदलाव के कारण नींद से जुड़ी समस्या भी हो जाती है।महिलाओं में हार्मोन कैसे ठीक करें?
महिलाओं में हार्मोनल इंबैलेंस हो, तो उन्हें अपनी जीवनशैली को मैनेज करना चाहिए, संतुलित डाइट लेना चाहिए और जरूरी हो तो डॉक्टर से भी संपर्क करना चाहिए।