Can Fish Oil Reverse Insulin Resistance In Hindi: जंक फूड, मोटापा और अनुवांशिक कारणों की वजह से लोगों को इंसुलिन रेजिस्टेंस होने की संभावना बढ़ जाती है। आज के दौर में लोगों की इन आदतों और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के कारण टाइप 2 डायबिटीज और मेटाबॉलिक डिसऑर्डर एक आम समस्या बनती जा रही है। जब व्यक्ति के शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील होती है, तो इससे ब्लड में शुगर लेवल बढ़न की संभावना अधिक हो जाती है। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई उपाय अपनाए जाते है। जिसमें व्यक्ति की डाइट में बदलाव, लाइफस्टाइल में योग और एक्सरसाइज को शामिल करना और विटामिन सप्लीमेंट्स लेना शामिल हैं। ऐसे में कई बार लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि क्या फिश ऑयल से इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में मदद मिलती है। इस लेख में यशोदा अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट इंटरनल मेडिसिन डॉ एपी सिंह से जानते हैं कि क्या फिश ऑयल इंसुलिन रेजिस्टेंस को ठीक करने में सहायक हो सकता है?
क्या फिश ऑयल इंसुलिन रेजिस्टेंस को ठीक कर सकता है? - Can Fish Oil Reverse Insulin Resistance In Hindi
फिश ऑयल समुद्री मछलियों से प्राप्त ऑयल होता है, जो ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। इसमें दो प्रमुख ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे इकोसापेंटेनोइक एसिड (EPA) और डोकोसाहेक्सेनोइक एसिड (DHA) पाए जाते हैं। ये दोनों फैटी एसिड शरीर में सूजन को कम करने, हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और मेटाबॉलिज्म को सुधारने में मदद करते हैं। डॉक्टर व्यक्ति को कई बीमारियों में फिश ऑयल के टेबलेट देते हैं। यह इंसुलिन रेजिस्टेंस और इससे जुड़े मुख्य कारकों को कम करने में प्रभावी रूप से कार्य करता है। ऐसे में जानते हैं कि फिश ऑयल से इंसुलिन रेजिस्टेंस में क्या फायदे मिलते हैं।
सूजन को कम करना
इंसुलिन रेजिस्टेंस और टाइप 2 डायबिटीज में सूजन एक महत्वपूर्ण कारक होती है। ओमेगा-3 फैटी एसिड सूजन को कम करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन की कार्यक्षमता बढ़ सकती है। कई स्टडी से पता चलता है कि फिश ऑयल इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार हो जाता है।
फैट मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल करें
फिश ऑयल लिपिड मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाकर शरीर में जमा एक्सट्रा फैट को बर्न करने में सहायता करता है। यह खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जो मोटापे के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस से पीड़ित हैं।
लिपिड प्रोफाइल को सुधारना
फिश ऑयल ट्राइग्लिसराइड्स और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में मदद करता है, जबकि अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाता है। इससे मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करने में सहायता मिलती है।
मांसपेशियों की कार्यक्षमता में सुधार करें
फिश ऑयल मांसपेशियों में ग्लूकोज के अवशोषण को बढ़ाने में मदद करती है, जिससे इंसुलिन प्रभावी ढंग से कार्य कर सकती है। इससे मांसपेशियों की कार्यक्षमता में सुधार होता है इंसुलिन रेजिस्टेंस को कम करता है।
लिवर की समस्या में सुधार करें
कई मामलों में इंसुलिन रेजिस्टेंस फैटी लिवर रोग से जुड़ा होता है। फिश ऑयल लिवर फैट को कम करने में मदद करता है, जिससे इंसुलिन की प्रभावशीलता बढ़ सकती है।
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जो लोग शाकाहारी होने के कारण फिश ऑयल नहीं लेते हैं, उनके पास कई अन्य विकल्प भी होते हैं, जैसे अलसी के बीज, चिया सीड्स और वॉलनट आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करके आप इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या को काफी हद तक ठीक कर सकते हैं। यदि आपको डायबिटीज या इससे जुड़े लक्षण महसूस हो रहे हैं तो ऐसे में आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।