Presbyopia in Hindi: उम्र बढ़ने के साथ ही लोगों का स्वास्थ्य पहले की तरह नहींं रहता है। यही वजह है कि अधिक आयु के प्रभावों से बचने के लिए डॉक्टर डाइट और लाइफस्टाइल में कई तरह के बदलावों की सलाह देते हैं। आपने खुद इस बात को नोटिस किया होगा कि बढ़ती उम्र में ज्यादातर लोगों के कम रोशनी में बड़े शब्दों को देखने में भी पेरशानी होती है। साथ ही, व्यक्ति किसी भी चीज को आंखों से थोड़ा दूर रखकर पढ़ते हैं। दरअसल डॉक्टर्स बताते हैं, उम्र के साथ आंखों के लेंस का लचीलापन कम होने लगता है। ऐसे में लेंस सख्त होने लगते है, जिससे नजदीक की छवियों पर फोकस करने में परेशानी होती है। इसमें व्यक्ति को पास की चीजें धुंधली दिखने लगती है। साथ ही, छोटे अक्षरों को पढ़ने में कठिनाई होती है, आंखों पर स्ट्रेस पड़ता है और काम करने में सिरदर्द की समस्या होने लगती है। हालांकि, इस समस्या के इलाज में डॉक्टर चश्मा, सर्जरी और कॉन्टैक्ट लेंस का विकल्प दे सकते हैं। फिलहाल इस लेख में अपोलो अस्पताल मुंबई की नेत्र विशेषज्ञ डॉ नुसरत बुखारी (Dr. Nusrat Bhukhari, Opthal, Apollo Spectra Hospital, Mumbai) से जानेंगे कि प्रेसवायोपिया क्या होती है? साथ ही, प्रेसबायोपिया के कारण और लक्षण क्या होते हैं?
उम्र के साथ आंखों की पास की नजर धुंधली क्यों होती है? - What is presbyopia in Hindi
आमतौर पर 40 से अधिक आयु के लोगों को आंखों से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अधिक उम्र में आंखों से धुंधला दिखाई देने को प्रेसबायोपिया कहा जाता है। इसमें आंख फोकस को बदलने की क्षमता खो देती है। इस वजह से किसी पास की चीज को पढ़ना मुश्किल हो जाता है। यह समस्या आंखों के लेंस के सख्त होने की वजह से होती है। इस दौरान शब्दों को स्पष्ट रूप से देखने के लिए आपको अपनी किताब या फोन को हाथ की दूरी पर रखना पड़ सकता है। सामान्यतः डॉक्टर इसको बीमारी नहीं मानते हैं उनका मानना है कि यह उम्र बढ़ने की एक प्रतिक्रिया है।
प्रेसबायोपिया के मुख्य कारण - Causes of Presbyopia in Hindi
- बढ़ती उम्र - 40 की उम्र के बाद आंखों की लचीलापन और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं, जिससे पास की वस्तुओं पर फोकस करना कठिन हो जाता है।
- बायोलॉजिकल बदलाव - आंख के लेंस में उम्र के साथ प्राकृतिक प्रोटीन कठोर हो जाते हैं, जिससे लेंस की आकार बदलने की क्षमता घट जाती है।
- अनुवांशिक कारण - यदि परिवार में किसी को प्रेसबायोपिया हुआ है, तो इसकी संभावना अधिक होती है।
- डायबिटीज और कार्डियोवस्कुलर से जुड़ी समस्या - इन बीमारियों से आंखों की रक्त आपूर्ति प्रभावित होती है, जिससे लेंस की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है।
प्रेसबायोपिया के लक्षण - Symptoms of Presbyopia In Hindi
- नजदीक की चीजे धुंधली दिखाई देती है।
- पढ़ते समय आंखों को ज्यादा दबाव पड़ता है।
- सिलाई या बारिक काम को करते समय सिरदर्द या आंखों में थकान होना।
- कम लाइट में पढ़ने पर परेशानी और धुंधलापन बढ़ जाता है।
- व्यक्ति खुद ही महसूस करता है कि बिना चश्मे के नजदीक का काम नहीं कर पा रहा।
प्रेसबायोपिया का उपचार - Treatment of Presbyopia in Hindi
डॉक्टर इस स्थिति को पूरी तरह से रोक नहीं सकते हैं। लेकिन इसके लक्षणों को कम करने के लिए कई तरह से इलाज कर सकते हैं।
- पढ़ने के लिए व्यक्ति के लिए चश्मा बनाया जाता है।
- एक ही चश्में में दूर और पास की नजरों के लिए लेंस तैयार किये जाते हैं।
- मल्टीफोकल लेंस: जो नजदीक और दूर दोनों को स्पष्ट देखने में मदद करते हैं।
- इसके अलावा, सर्जरी में डॉक्टर लेजिक, पीआरके और स्माइल तकनीक का उपयोग करते हैं।
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प्रेसबायोपिया उम्र के साथ आंखों में होने वाला एक सामान्य परिवर्तन है, जिसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आप इसके लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो आंखों के डॉक्टर से संपर्क करें और उचित जांच कराएं। समय पर जांच और उपचार से आपकी देखने की क्षमता बनी रह सकती है और दैनिक जीवन आसान हो सकता है।
FAQ
क्या प्रेसबायोपिया को रोका जा सकता है?
नहीं, यह उम्र के साथ होने वाला प्राकृतिक बदलाव है, लेकिन इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।क्या प्रेसबायोपिया हमेशा चश्मे की जरूरत पैदा करता है?
हर व्यक्ति को नहीं, लेकिन अधिकांश मामलों में नजदीक के कार्यों के लिए चश्मा पहनना जरूरी हो सकता है।क्या प्रेसबायोपिया का कोई स्थायी इलाज है?
लेसिक या अन्य सर्जिकल प्रक्रियाएं स्थायी समाधान प्रदान कर सकती हैं, लेकिन हर व्यक्ति इसके लिए उपयुक्त नहीं होता।