Signs Of Vision Problems in Infants And Children In Hindi: हर अंग की तरह आंंखों का स्वस्थ होना भी बेहद आवश्यक है। बच्चे अपनी परेशानी को बताने में सक्षम नहीं होते हैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की समस्या को समझना होता है। कुछ शिशुओं और बच्चों की आंखे कमजोर हो सकती है। उन्हें अपनी ही उम्र के अन्य बच्चों की तरह चीजें साफ दिखाई नहीं देती है। पहले तो बच्चे इस समस्या के बारे में नहीं समझ पाते हैं, लेकिन धीरे-धीरे जब वह बोलना शुरु करते हैं तो वह अपनी परेशानी को अभिभावकों के साथ शेयर कर सकते हैं। बच्चों के समस्या को कम उम्र में ही पहचानना बेहद आवश्यक होता है। कम उम्र में बच्चों की समस्याओं की रिकवरी भी तेजी से होती है। इस लेख में नई दिल्ली स्थित आई केयर सेंटर के वरिष्ट नेत्र सर्जन नेत्र रोग डॉक्टर संजीव गुप्ता से जानते हैं कि शिशुओं और बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्याओं में किस तरह के लक्षण या संकेत दिखाई देते हैं।
शिशुओं और बच्चों में दिखाई दें ये 5 लक्षण, तो समझ जाएं कमजोर हो रही हैं उनकी आंखें - Warning Signs Of Vision Problems In Infants And Children In Hindi
आंख को बार-बार रगड़ना या भेंगापन
शिशु और छोटे बच्चे अक्सर थके हुए या नींद में होने पर अपनी आंखें रगड़ते हैं। हालांकि, दिन के उजाले में भी बच्चा बार-बार आंखों को रगड़ रहा हो तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है। इसी तरह, भेंगापन में भी बच्चा बार-बार एक आंख या दोनों को थोड़ा बंद कर सकता है।
शिशुओं का चीजों के प्रति प्रतिक्रिया देना या देखना
शिशुओं के शुरुआती कुछ सालों में आंखों और विजन का विकास होता है। इस समय बच्चा आंख से संपर्क बनाना, अपनी आंखों से वस्तुओं पर नजर रखना, और वस्तुओं तक पहुंचना और पकड़ना जैसे कार्य करता है। अगर, बच्चा इस तरह के कार्य नहीं करता है तो यह परेशानी का संकेत हो सकता है।
आंखों का मूवमेंट स्लो होना
शिशुओं और बच्चों में आंखों की सामान्य गतिविधियां सुचारू रूप से होती हैं। हालांकि, जब बच्चा किसी वस्तु को देखने में धीमी गति से प्रतिक्रिया करता है, तो समस्या का संकेत हो सकता है। इसमें निस्टागमस (आंखों से कहीं अलग दिशा में देखना या घूमाना) या स्ट्रैबिस्मस (आंखों को क्रॉस करना) को शामिल किया जा सकता है।
फोटोफोबिया
शिशुओं और बच्चों में प्रकाश के प्रति कुछ हद तक संवेदनशीलता सामान्य है, लेकिन भेंगापन या चमकदार रोशनी से दूर रहना प्रकाश के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता का संकेत दे सकता है, जिसे फोटोफोबिया के रूप में जाना जाता है। फोटोफोबिया विभिन्न नेत्र संबंधी स्थितियों का लक्षण हो सकता है।
पढ़ने या स्कूल के काम में कठिनाई होना
जैसे-जैसे बच्चे स्कूल में आते हैं उनको पढ़ने के लिए किताबें दी जाती हैं। इन बच्चों को किताबे पढ़ने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में आप बच्चे को डांटे बिना उसकी समस्या को समझने का प्रयास करें। साथ ही, समय रहते डॉक्टर से मिलें।
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बच्चे को हाथ-आंखों के साथ तालमेल बैठाने में समस्या हो सकती है। शिशुओं और बच्चों की आंखों से जुड़ी समस्या को समझें और उसे दूर करने के लिए बाल रोग विशेषज्ञ की मदद लें। बच्चे की आंखों में होने वाले बदलावों को समझें और इन्हें नजरअंदाज न करें।