14 नवंबर को भारत में बाल दिवस (Children's Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों के बेहतर भविष्य और उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ऐसे में यह दिन बच्चों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को उजागर करने के लिए भी बेहतरीन है। आज के समय में खराब डाइट और मोबाइल फोन या टीवी जैसे गैजेट्स के कारण बच्चों की आंखों पर बहुत अधिक दबाव पड़ रहा है। इन इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से निकलने वाली ब्लू लाइट्स बच्चों की आंखों पर बुरा प्रभाव डाल रही है। कम उम्र में ही कई बच्चे आंखों से जुड़ी समस्याओं का अनुभव करते हैं, जिसे अक्सर पेरेंट्स नजरअंदाज कर देते हैं। बच्चों की आंखों में होने वाली समस्याओं पर नजर रखकर आप उनकी आंखों को खराब होने से बचा सकते हैं। ऐसे में आइए श्री वेंकटेश आई इंस्टिट्यूट के विट्रो रेटिना एक्सपर्ट डॉ. प्रवीण पाटिल से जानते हैं कि बच्चों में आंखों से जुड़ी क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं और जिनसे बचाव के लिए पेरेंट्स को किन चीजों पर गौर करना जरूरी है।
बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्याएं
1. बिना कारण सिरदर्द और आंखों में दर्द
बच्चों को बार-बार सिरदर्द होना या पढ़ते या टीवी देखते समय असुविधा महसूस होना, आंखों से जुड़ी समस्या का संकेत हो सकता है। इस दौरान आंखों में समस्या होने पर बच्चे आंखें सिकोड़ सकते हैं, बार-बार पलकें झपका सकते हैं या बेहतर देखने के लिए एक आंख को हाथ से बंद भी कर सकते हैं।
2. पढ़ने या लिखने में मुश्किल होना
अगर कोई बच्चा ठीक तरह से अपनी किताब, टीवी या फोन में लिखी चीजों को ठीक तरह से पढ़ नहीं पाता है तो यह मायोपिया या एस्टिग्मेटिज्म जैसी आंखों से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है।
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3. खेल या शारीरिक गतिविधियों से मना करना
आंखों की समस्या वाले बच्चे अक्सर खेल-कूद से बचते हैं। खासकर ऐसे खेल जिनमें उन्हें आंखों से ज्यादा फोकस करने की जरूरत होती है जैसे-बास्केटबॉल या टेनिस।
4. स्कूल के कामों में मुश्किल आना
आंखों से जुड़ी समस्याओं से पीड़िक बच्चों को अपनी क्लास में ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल हो सकती है, या बोर्ड देखने में संघर्ष करना पड़ सकता है। जिससे वे जल्दी लिख पाने या चीजों को समझने और लिखने में मुश्किल होती है, जिससे उनका आत्मविश्वास भी कमजोर हो सकता है।
बच्चों की आंखों से जुड़ी इन समस्याओं पर दें ध्यान
आंखों को बहुत ज्यादा रगड़ना
बच्चों की आंखों को बार-बार और बहुत ज्यादा रगड़ना, खास तौर पर जब बच्चा ज्यादा थका हुआ न हो। दरअसल आंखों की थकान, सूखी आँखों या एलर्जी जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है।
स्क्रीन या किताबों को बहुत पास रखना
टीवी देखते समय या किताब पढ़ते समय, स्क्रीन या किताब के बहुत करीब रहने देखना या पढ़ना बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्या का कारण हो सकता है।
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सिर दर्द की बार-बार शिकायत करना
बच्चा अगर बार-बार सिर में दर्द होने की शिकायत करता है तो आप इस बात को इग्नोर न करें, क्योंकि ये आंखों से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है।
खराब लिखावट
लिखने में किसी भी तरह की मुश्किल होना आंखों से जुड़ी समस्या का संकेत होता है, जिसके कारण बच्चे की हैडराइटिंग अचानक खराब होने लगे या उसे एक लाइन खींचने में मुश्किल हो।
निष्कर्ष
पेरेंट्स अपने बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्याओं का पता लगाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। जिसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चों की आदतों पर नजर रखें, उनके होमवर्क और पढ़ते समय उन पर ध्यान रखें और किसी भी तरह के बदलाव को नजरअंदाज न करें। इतना ही नहीं, नियमित तौर पर अपने बच्चे की आंखों की जांच करवाएं।
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