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Down Syndrome In Babies: डाउन सिंड्रोम बच्चों में पाया जाने वाला एक गंभीर सिंड्रोम है। इस स्थिति से ग्रस्त बच्चों की त्वचा चपटी, नाक दबी हुई, छोटे-छोटे हाथ-पैर, उंगलियां, छोटी गर्दन और कान जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। ये लक्षण बच्चों की ग्रोथ होने के साथ ही नजर आने लगते हैं। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान ही सही देखभाल और चेकअप पर ध्यान दिया जाए, तो इसे शुरुआत में ही रोका जा सकता है। डाउन सिंड्रोम के लक्षण बच्चों में बढ़ती उम्र के साथ नजर आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं शिशुओं में इसके क्या लक्षण नजर आते हैं? इसका जवाब जानने के लिए हमने फरीदाबाद स्थित अमृता हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूनैटॉलॉजी की सीनियर कंसल्टेंट डॉ निधि गुप्ता से बात की। आइये लेख में एक्सपर्ट से जानें इसके लक्षण।
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डाउन सिंड्रोम क्या है? What Is Down Syndrome
डाउन सिंड्रोम की स्थिति तब पैदा होती है, जब किसी शरीर में क्रोमोसोम लेवल बढ़ने लगता है। क्रोमोसोम शरीर में कई छोटे-छोटे जीन से मिलकर बनते हैं। प्रेग्नेसी के दौरान और जन्म के बाद बच्चे का शरीर कैसे बनेगा या कैसे काम करेगा, यह क्रोमोसोम पर ही निर्भर करता है। अगर क्रोमोसोम ठीक से काम नहीं करते, तो बच्चे को ग्रोथ से जुड़े सिंड्रोम हो सकते हैं, जिनमें डाउन सिंड्रोम भी शामिल है।
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शिशुओं में डाउन सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं? Symptoms of Down Syndrome In Babies
शिशुओं में डाउन सिंड्रोम होने पर कई लक्षण नजर आते हैं-
- शिशु में पैदा होने के साथ हाइपोटोनिया के संकेत हो सकता है, जिसमें मांसपेशियों की टोन में कमी आती है।
- ऐसे में बच्चे की सपाट नाक के साथ छोटी और चपटी नाक हो सकती है। ऊपर की ओर आंखें झुकी हुई हो सकती हैं।
- पीछे की ओर से सिर सपाट और चपटा हो सकता है। मुंह छोटा होने के कारण उभरी हुई जीभ और छोटे कान शामिल हैं।
- हथेली की सिलवट (सिमियन क्रीज) और गर्दन छोटी होने के साथ पीछे की ओर स्किन ज्यादा हो सकती है।
- कुछ नवजात शिशुओं को दूध पीने में कठिनाई होती है। इसे भी डाउन सिंड्रोम के साथ जोड़कर देखा जाता है।
- कुछ शिशुओं में जन्मजात के साथ हृदय संबंधी समस्याएं होती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा एट्रियोवेंट्रीक्यूलर सेप्टल दोष देखा जाता है, जो लगभग 50% मामलों में देखा जाता है।
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डाउन सिंड्रोम का खतरा कैसे कम कर सकते हैं? How To Reduce The Risk of Down Syndrome
- अगर प्रेग्नेंसी के दौरान और इससे पहले कुछ टिप्स फॉलो की जाए, तो डाउन सिंड्रोम का खतरा कम किया जा सकता है।
- सही उम्र में प्रेग्नेंसी प्लान करने से डाउन सिंड्रोम के खतरे को रोका जा सकता है। मेटरनल एज खासकर 35 की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन आने से इसका खतरा हो सकता है।
- प्रेग्नेंसी के दौरान फोलिक एसिड और आयरन वाली चीजों का सेवन ज्यादा करें। प्रेग्नेंसी में कॉम्प्लिकेशन का खतरा रोकने के लिए हेल्दी वेट मेंटेन रखें और हेल्दी डाइट ही फॉलो करें।
- अगर आपको कोई हेल्थ डिसऑर्डर है, तो अपनी हेल्थ मेंटेन करने के बाद ही प्रेग्नेंसी प्लान करें।
- प्रेग्नेंसी के दौरान समय-समय पर सभी हेल्थ चेकअप करवाते रहें। इससे डाउन सिंड्रोम के रिस्क को रोका जा सकता है।
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- Sep 14, 2025 18:00 IST Published By : Isha Gupta