आज के समय में किसी भी व्यक्ति के लिए शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य का भी खास ध्यान रखना बहुत जरूरी है। वर्तमान में एंग्जाइटी की समस्या न सिर्फ बड़ों में देखने को मिल रही है, बल्कि बच्चे भी इस मानसिक स्वास्थ्य समस्या का शिकार हो रहे हैं। पेरेंट्स का वर्किंग होना, समय न दे पाना, दादा-दानी से अलग रहना, पढ़ाई का प्रेशर, कॉम्पिटिशन, पारिवारिक तनाव और स्क्रीन पर ज्यादा समय गुजारने जैसे आदतें बच्चों में एंग्जाइटी का कारण बन रहा है। लेकिन, समय रहते अगर बच्चों में एंग्जाइटी के लक्षणों को पहचान लिया जाए तो इस समस्या को ज्यादा बढ़ने से रोका जा सकता है। इसलिए आइए गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद से जानते हैं बच्चों में एंग्जाइटी कैसे कंट्रोल करें?
बच्चों में एंग्जाइटी का इलाज कैसे करें?
बच्चों में एंग्जाइटी का इलाज करना उनके शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए आप इन टिप्स को अपना सकते हैं-
1. बातचीत करें
बच्चों में एंग्जाइटी की समस्या से राहत के लिए जरूरी है कि पेरेंट्स उनसे खुलकर बातचीत करें। बच्चे के मन के डर, चिंताओं और भावनाओं के बारे में खुलकर बात करें। उन्हें महसूस कराएं कि वे अकेले नहीं हैं और आप उनके साथ हैं। कई बार सिर्फ बात करने से ही बच्चे का आधा तनाव दूर हो जाता है।
इसे भी पढ़ें: एंग्जायटी कंट्रोल करने का 5-5-5 नियम क्या है? जानें कैसे तुरंत मिलेगी राहत
2. बच्चे का रूटीन बनाएं
बच्चे में एंग्जाइटी की समस्या को दूर करने के लिए जरूरी है कि आप उनके लिए एक स्थिर और सही दिनचर्या बनाएं। समय पर सोना, खाना, खेलना और पढ़ना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए बहुत जरूरी है।
3. योग और मेडिटेशन करना
बच्चों को डीप ब्रीदिंग मेडिटेशन तकनीक, योग और मेडिटेशन सिखाएं। बच्चों में एंग्जाइटी को कंट्रोल करने का ये सबसे ज्यादा प्रभावी तरीका है।
4. फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं
बच्चों में एंग्जाइटी के लक्षणों को कम करने और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखने के लिए आप उनसे शारीरिक गतिविधियां करवाएं, जिसमें खेल-कूद, दौड़ना, साइकलिंग आदि शामिल हो। इन एक्टिविटी को करने से बच्चे के दिमाग में एंडॉर्फिन यानी खुशी का हार्मोन रिलीज होता है, जिससे बच्चों की एंग्जाइटी कम होती है।
5. बच्चों को पॉजिटिव सोचना सिखाएं
बच्चों के लिए सकारात्मक बातें और सोच दोनों उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए, बच्चे को खुद पर विश्वास रखना और अच्छी बातें ही सोचने के बारे में बढ़ावा दें।
इसे भी पढ़ें: क्या आपको भी होती है सोशल एंग्जाइटी? एक्सपर्ट से जानें इसे कम करने के 8 तरीके
6. स्क्रीन टाइम सीमित करें
मोबाइल, टीबी, टैबलेट आदि चीजों के इस्तेमाल से बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है, इसलिए बच्चों को इनका सीमित मात्रा में इस्तेमाल करने की सलाह दें। ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
निष्कर्ष
बच्चों में एंग्जाइटी की समस्या को कम करने या दूर करने के लिए आप इन उपायों को अपना सकते हैं। ध्यान रहे एंग्जाइटी की समस्या को नजरअंदाज करने से बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है, जो बच्चों के विकास में बाधा का कारण बन सकता है। लेकिन, अगर आप बच्चे में एंग्जाइटी की समस्या कंट्रोल न कर पाएं तो डॉक्टर से कंसल्ट करें?
Image Credit: Freepik
FAQ
बच्चों में चिंता विकार की पहचान कैसे करें?
एंग्जाइटी डिसऑर्डर से पीड़ित बच्चों में अक्सर शारीरिक और इमोशनल दोनों तरह के लक्षण नजर आते हैं, जिसमें पेट दर्द, सिरदर्द, नींद न आना और बहुत ज्यादा तनाव लेना शामिल है।बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत कैसे बनाएं?
बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए जरूरी है कि आप उनके लिए एक हेल्दी डेली रूटीन बनाएं, शारीरिक गतिविधियां करवाएं, उन्हें अपने मन की बात खुलकर कहने के लिए बढ़ावा दें और पढ़ाई को लेकर नकारात्मक दबाव न डालें।ज्यादा टेंशन लेने से कौन सी बीमारी होती है?
ज्यादा स्ट्रेस लेने से हाई ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारी, पाचन से जुड़ी समस्याएं, नींद न आने की समस्या, डिप्रेशन और एंग्जाइटी की समस्या हो सकती है।