Air Pollution and Brain Development: दिवाली के बाद से वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। खासकर, दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति खराब होती जा रही है। दिल्ली और एनसीआर के कई इलाकों में धुंध छाई हुई है और विजिबिलिटी काफी कम हो रखी है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के कई इलाकों में AQI का लेवल 450 पार पहुंच चुका है। इसकी वजह से अस्पतालों में मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। खासकर, फेफड़ों के मरीजों की संख्या लगाातर बढ़ रही है। प्रदूषण की वजह से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, बढ़ता प्रदूषण बच्चों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। वायु प्रदूषण बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इससे बच्चों का दिमागी विकास भी धीमा हो सकता है। तो आइए, जानते हैं वायु प्रदूषण बच्चों के दिमागी विकास को कैसे प्रभावित करता है?
बच्चों के दिमागी विकास को कैसे धीमा करता है वायु प्रदूषण?
मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम के पीडियाट्रिक सर्जरी और यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के निदेशक डॉ. संदीप कुमार सिन्हा बताते हैं, “वायु प्रदूषण बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है। दरअसल, बच्चों की शारीरिक क्षमता और इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसलिए बच्चे वायु प्रदूषण की चपेट में जल्दी आ जाते हैं। वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों का दिमागी विकास भी धीमा हो सकता है।”
डॉ. संदीप आगे बताते हैं, “दरअसल, वायु प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों को प्रभावित करता है। वायु प्रदूषण फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसका असर बच्चों के हृदय स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। वायु प्रदूषण के कारण बच्चों के मस्तिष्क में सूजन आ सकती है और ऑक्सीडेटिव तनाव बढ़ सकता है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। वायु प्रदूषण की वजह से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास धीमा पड़ सकता है।” डॉ. संदीप आगे बताते हैं कि कई अध्ययनों में भी साबित हुआ है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों का दिमागी विकास धीमा हो जाता है।
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क्या कहती है रिसर्च?
रिसर्च की मानें तो वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से बच्चों का दिमागी विकास धीमा होता है। दरअसल, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से न्यूरोडेवलपमेंट विकारों का जोखिम बढ़ जाता है। इसकी वजह से न्यूरोलॉजिकल रोग ऑटिज्म का जोखिम बढ़ जाता है।
अध्ययनों की मानें तो अगर गर्भवती महिला वायु प्रदूषण के संपर्क में आती है, तो गर्भाशय में पल रहा शिशु का दिमागी विकास धीमा हो सकता है। दरअसल, प्रदूषण की वजह से गर्भस्थ शिशु का दिमागी विकास प्रभावित होता है। दरअसल, वायु प्रदूषण की वजह से गर्भनाल के विकास और भ्रूण तक सही तरीके से ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इससे जन्म के बाद बच्चों के मानसिक और न्यूरोलॉकिजल हेल्थ प्रभावित हो सकती है।
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वायु प्रदूषण से छोटे बच्चों को कैसे बचाएं?
- वायु प्रदूषण से बचाने के लिए बच्चों को मास्क जरूर पहनाएं। खासकर, अगर आप बच्चों को बाहर लेकर जा रहे हैं तो उसे मास्क जरूर पहनाएं।
- जब प्रदूषण ज्यादा हो तो बच्चों को बाहर न जाने दें। बच्चों को पार्क लेकर न जाएं।
- प्रदूषण से बचाने के लिए बच्चों को इंडोर गेम्स खेलने पर जोर दें।
- प्रदूषण से बचाने के लिए बच्चों को हेल्दी डाइट लें। उन्हें इम्यूनिटी बूस्टिंग फूड्स खिलाएं।
- बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए उनकी डाइट में फल और सब्जियां खिलाएं।