इन दिनों पूरे देश में मौसम का मिजाज बदल रहा है। गर्मियां जा रही हैं और सर्दी दस्तक देने वाली है। सर्दी का मौसम शुरू होने से पहले जिस तरह की हवा इन दिनों देश में चल रही हैं, उससे सेहत को कई तरह के नुकसान होते हैं। यह हवा आम लोगों के ज्यादा अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक होती है। विशेषकर उन बच्चों के लिए यह मौसम चुनौतीपूर्ण होता है, जो अस्थमा जैसी सांस संबंधी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। इस मौसम में बच्चों में सर्दी, खांसी, बुखार और गले की खराश के साथ-साथ सांस संबंधी बीमारियां ज्यादा होती हैं।
बदलते मौसम में अस्थमा से पीड़ित बच्चों का ख्याल सही तरीके से न रखा जाए, तो उनकी समस्या गंभीर हो सकती है। आइए नोएडा के मदरहुड हॉस्पिटल के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप कुमार से जानते हैं, बदलते मौसम में अस्थमा से पीड़ित बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल कैसे की जाए।
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बदलते मौसम में क्यों परेशान करता है अस्थमा
डॉ. संदीप कुमार के अनुसार, इन दिनों जिस तरीके की हवा चल रही है, उसमें नमी के साथ-साथ गर्म और सर्दी भी है। यह हवा वायु मार्ग में जलन पैदा करती है। वायु मार्ग में जलन होने के कारण सांस नली की आंतरिक परत प्रभावित होती है, जिसकी वजह से सांस लेने में परेशानी महसूस होती है। सर्द, गर्म और नमी के साथ चलने वाली यह हवा आम लोगों के मुकाबले अस्थमा के मरीजों को ज्यादा परेशान करती है।
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बच्चों में अस्थमा के लक्षण क्या हैं?
डॉ. संदीप कुमार की मानें, तो अगर कोई बच्चा अस्थमा से पीड़ित है, तो उसमें नीचे बताए गए लक्षण नजर आ सकते हैं:-
- सांस छोड़ते समय सीटी बजने या घरघराहट जैसी आवाज आना
- सांस फूलना
- छाती में जकड़न या जकड़न
- बार-बार खांसी आना जो तब और बढ़ जाती है जब आपका बच्चा:
- वायरल संक्रमण से पीड़ित हो
- सो रहा हो
- किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी कर रहा हो
अस्थमा के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग होते हैं और समय के साथ खराब या बेहतर हो सकते हैं। आपके बच्चे को अस्थमा की समस्या है या नहीं इस विषय पर ज्यादा जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
बदलते मौसम में बच्चों का आस्थमा कैसे मैनेज करें?
बदलते मौसम में बच्चों का आस्थमा मैनेज नीचे बताए गए तरीकों से किया जा सकता हैः
अपने बच्चे के डॉक्टर की मदद से एक डॉक्यूमेंटेड एक्शन प्लान बनाएं, जिसमें अस्थमा के डेली मैनेजमेंट, दवाओं के इस्तेमाल और अस्थमा के अटैक की स्थिति में किए जाने वाले कामों की रूपरेखा दी जानी चाहिए।
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डॉक्टर के परामर्श से एक लिखित कार्य योजना बनाई जानी चाहिए। यह अस्थमा के दौरे के समय, अवधि और परिस्थितियों, लक्षणों या गतिविधि के स्तर में किसी भी बदलाव, दवाओं के किसी भी दुष्प्रभाव और उपचार के प्रति समग्र प्रतिक्रिया को रिकॉर्ड करने और निगरानी करने में मदद करेगा। इसके आधार पर उपचार को समायोजित किया जा सकता है।