POTS Disease Diagnosis: पॉट्स (Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome) ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति की हृदय गति अचानक बढ़ जाती है। ऐसा तब होता है जब वह बैठने या लेटने की स्थिति से खड़ा होता है। यह एक प्रकार का ऑटोनॉमिक डिसआर्डर है, जिसमें शरीर की हृदय की धड़कन, रक्तचाप, पाचन आदि ठीक से काम नहीं कर पाता। पॉट्स होने पर ज्यादा थकान महसूस होती है, इससे दिनभर की दैनिक गतिविधियों में मुश्किल हो सकती है। पॉट्स की बीमारी में, ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल होती है, छाती में दर्द, सांस की कमी, मतली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पॉट्स का सटीक कारण का पता अभी तक नहीं लगाया गया है। हालांकि इसके कुछ संभव कारण हो सकते हैं, जैसे कि हार्मोनल बदलाव, इंफेक्शन होना आदि। इस लेख में जानेंगे पॉट्स का इलाज और इस बीमारी का पता लगाने का तरीका। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
पॉट्स का पता कैसे लगाया जाता है?- POTS Disease Diagnosis
पोस्टुरल ऑर्थोस्टेटिक टैचीकार्डिया सिंड्रोम (POTS) एक ब्लड सर्कुलेशन डिसऑर्डर है और इसके इलाज के लिए कई तरीकों से जांच की जाती है-
- सबसे पहले मरीज की मेडिकल हिस्ट्री का पता लगाया जाता है।
- डॉक्टर मरीज के लक्षणों की जांच करता है।
- पॉट्स डिजीज के मुख्य लक्षणों की बात करें, तो ह्रदय की धड़कन का तेजी से बढ़ना, चक्कर आना, थकान आदि शामिल हैं।
- पॉट्स के इलाज के लिए टिल्ट टेबल टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट में मरीज को टेबल पर लिटा दिया जाता है और फिर धीरे-धीरे खड़ा किया जाता है। इस दौरान हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर की मॉनिटरिंग की जाती है। अगर खड़े होने पर हृदय की धड़कन 30 बीट्स प्रति मिनट या उससे ज्यादा बढ़ती है, तो यह पॉट्स का संकेत हो सकता है।
- पॉट्स होने पर ब्लड वॉल्यूम टेस्ट भी किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए शरीर में खून की मात्रा की जांच की जाती है। पॉट्स से प्रभावित लोगों में अक्सर ब्लड वॉल्यूम कम हो जाता है।
- पसीना आने की प्रक्रिया को चेक करने के लिए थर्मोरिगुलेटरी स्वेट टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए पता चलता है कि ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम ठीक से काम कर रहा है या नहीं।
- पॉट्स की बीमारी में ब्लड और यूरिन टेस्ट भी किए जाते हैं। अगर आपको लगता है कि पॉट्स के लक्षण शरीर में नजर आ रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
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पॉट्स का इलाज कैसे किया जाता है?- POTS Treatment in Hindi
पॉट्स (POTS) एक बीमारी है जिसमें शरीर की स्थिति बदलने के साथ हृदय की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ जाती है। इस वजह से चक्कर, थकान और बेहोशी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। पॉट्स एक ब्लड डिसआर्डर है और इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन पॉट्स के लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। पॉट्स के लक्षणों को कंट्रोल करने के तरीके जान लें-
- डॉक्टर बीटा-ब्लॉकर्स, बीपी कंट्रोल करने की दवा और ह्रदय की असामान्य धड़कन को कंट्रोल करने की दवा बता सकते हैं।
- कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनने से शरीर के नीचे वाले हिस्से का ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है और बेहोशी की संभावना कम होती है।
- पॉट्स की बीमारी में डॉक्टर दिनभर में छोटे-छोटे मील्स खाने और कैफीन व एल्कोहल से बचने की सलाह देते हैं।
- रोज एक्सरसाइज जैसे कि योग या वॉक करने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार होता है।
- शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
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