Mpox Diagnosis in Hindi: 12 जून, 2024 तक, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मंकीपॉक्स के 97,281 मामले दर्ज हुए हैं। 116 देशों को मिलाकर अब तक इस वायरस के कारण 208 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मंकीपॉक्स एक जूनोटिक बीमारी है, जिसका मतलब है कि यह जानवरों से मनुष्यों में फैल सकती है। मंकीपॉक्स का वायरस पहली बार 1958 में शोध के लिए रखे गए बंदरों में पाया गया था, जिससे इसका नाम मंकीपॉक्स पड़ा। मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित जानवर के काटने, खरोंचने या उसके शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैल सकता है। संक्रमित जानवर का मांस खाने से भी संक्रमण हो सकता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थों, त्वचा के घावों या संक्रमित वस्त्रों और बिस्तर के संपर्क में आने से भी फैलता है। छींकने या खांसने के कारण, संक्रमण एक से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, हालांकि इसके लिए लंबे समय तक पास के संपर्क में रहने की जरूरत होती है। मंकीपॉक्स के लक्षणों की बात करें, तो प्रारंभिक लक्षणों में व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ में दर्द, ठंड लगना और थकान जैसे लक्षण महसूस होते हैं। बुखार के 1-3 दिनों बाद शरीर पर चकत्ते उभरने लगते हैं, जो चेहरे से शुरू होकर पूरे शरीर में फैलते हैं। इन लक्षणों के नजर आने पर मंकीपॉक्स की जांच की जाती है। इस लेख में जानेंगे मंकीपॉक्स की पुष्टि के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में हॉस्पिटल मैनेजमेंट के एचओडी डॉ राजेश हर्षवर्धन से बात की।
मंकीपॉक्स की जांच कैसे होती है?- Mpox Diagnosis in Hindi
अगर आपको मंकीपॉक्स के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आप डॉक्टर से संपर्क करें। मंकीपॉक्स की पुष्टि के लिए पीसीआर टेस्ट किया जाता है। पीसीआर टेस्ट को पॉलीमरेज चेन रिएक्शन टेस्ट भी कहा जाता है। मंकीपॉक्स की पुष्टि के लिए पीसीआर टेस्ट सबसे विश्वसनीय तरीका माना जाता है। इस जांच में त्वचा के घावों से नमूने लेकर उसकी जांच की जाती है। रैश से निकलने वाले फ्लूड को निकालकर उसमें मंकी पॉक्स वायरस के डीएनए के मौजूद होने की जांच की जाती है। पीसीआर टेस्ट से पहले डॉक्टर मरीज के लक्षणों की जांच करते हैं। मंकीपॉक्स के लक्षणों (Monkeypox Symptoms) की बात करें, तो उसमें बुखार, सिर दर्द, त्वचा में रैश या चकत्ते होना, मांसपेशियों में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन आदि शामिल है। चकत्तों में पपड़ी भी बनने लगती है। चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने वाले चकत्तों की पहचान, क्लिनिकल जांच में अहम होते हैं। मंकीपॉक्स की जांच (Monkeypox Diagnosis) में डॉक्टर मरीज की हिस्ट्री और ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी लेते हैं। कुछ मामलों में मंकी पॉक्स की पुष्टि के लिए ब्लड टेस्ट और एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए सीरोलॉजी जांच भी की जाती है।
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एंटी-वायरल दवाओं से होता है मंकीपॉक्स का इलाज- Anti-Viral Medicines Treats Monkeypox
मंकीपॉक्स के इलाज (Monkeypox Treatment) के लिए इस वक्त कोई सटीक दवा मौजूद नहीं है। हालांकि मंकीपॉक्स के लक्षणों (Mpox Symptoms) को कंट्रोल करने के लिए एंटी-वायरल दवाओं की मदद ली जाती है। एंटीवायरल दवा मंकी पॉक्स के विशेष प्रोटीन को लक्षित करती है और उसके प्रभाव को कम करती है। एंटी-वायरल दवाओं की मदद से वायरस के डीएनए के बढ़ने की क्षमता पर रोक लगती है और इस तरह वायरस का प्रसार रुक जाता है। एंटी-वायरल दवाएं मंकीपॉक्स के लक्षणों, जैसे त्वचा पर चकत्ते, बुखार और दर्द की तीव्रता को कम कर देती हैं। कमजोर इम्यूनिटी या गंभीर मरीजों में, एंटीवायरल दवाएं जीवनरक्षक साबित हो सकती हैं। एंटी-वायरल दवाओं का इस्तेमाल केवल डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही किया जाना चाहिए। मंकीपॉक्स के इलाज के लिए एंटी-वायरस दवाओं के अलावा, बुखार को कम करने के लिए पेरासिटामोल भी दी जाती है। इसके अलावा अगर त्वचा के घावों में बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाता है, तो एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल भी किया जाता है। डॉक्टर, मंंकीपॉक्स हो जाने पर, मरीज को पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ और जरूरी पोषक तत्वों का सेवन करने की सलाह देते हैं।
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