Wilson Disease in Hindi: विल्सन डिजीज एक प्रकार का दुर्लभ जेनेटिक रोग है, जो शरीर में कॉपर की ज्यादा मात्रा होने के कारण होता है। कई खाने की चीजों और पानी में कॉपर पाया जाता है। हमारे शरीर को कॉपर की जरूरत होती है, लेकिन विल्सन रोग हो जाने पर, लिवर और अन्य अंगों में अतिरिक्त कॉपर की मात्रा जमा होने लगती है। एक स्वस्थ शरीर में लिवर, कॉपर को शरीर के बाहर निकालता रहता है। लिवर, बाइल जूस की मदद से कॉपर को रिलीज करता है। बाइल एक तरह का लिक्विड है, जो लिवर बनाता है ताकि खाने को पचाया जा सके। जिन लोगों को विल्सन रोग होता है, उनके लिवर से कॉपर रिलीज नहीं हो पाता। इस वजह से कॉपर अंगों में और लिवर में जमा होने लगता है और शरीर को डैमेज पहुंचने लगता है। एक समय के बाद, लिवर में मौजूद कॉपर, खून में मिलने लगता है। इसके बाद, कॉपर, किडनी, ब्रेन और आंखों को डैमेज करने लगता है। अगर विल्सन रोग का इलाज न किया जाए, तो लिवर फेलियर, ब्रेन डैमेज और जानलेवा स्थिति पैदा हो सकती हैं। इस लेख में हम जानेंगे विल्सन रोग के लक्षण, कारण और इलाज। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
विल्सन रोग के लक्षण- Wilson Disease Symptoms
विल्सन डिजीज के लक्षण शुरुआती चरणों में पहचानना मुश्किल हो सकता है क्योंकि यह लिवर और दिमाग जैसे अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं-
- लिवर संबंधी लक्षण: पीलिया, थकान, पेट में दर्द और लिवर फेलियर
- न्यूरोलॉजिकल लक्षण: हाथों का कांपना, बोलने में कठिनाई, चिड़चिड़ापन और मांसपेशियों का अकड़ना
- मानसिक लक्षण: तनाव, चिंता, व्यक्तित्व में बदलाव
- आंखों में बदलाव: कॉर्निया पर 'केसर फ्लेशर रिंग' जो कॉपर के जमाव का संकेत होता है
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विल्सन रोग के कारण- Wilson Disease Causes
विल्सन डिजीज एक दुर्लभ बीमारी है जो लगभग 30,000 में से 1 व्यक्ति को प्रभावित करती है। हमारा शरीर कई जीन्स को मिलाकर बना होता है, जो हमें माता-पिता से मिलते हैं। विल्सन डिजीज भी इसी तरह अनुवांशिक रूप से मिलती है। यह बीमारी तब होती है जब किसी व्यक्ति को दोनों माता-पिता से एक जैसे जीन मिलते हैं। अगर दोनों माता-पिता में विल्सन डिजीज का जीन है, तो उनके बच्चे को ये होने की संभावना बढ़ जाएगी। इसकी 25 प्रतिशत संभावना होगी कि बच्चा इस बीमारी से पीड़ित होगा। अगर परिवार में किसी को विल्सन डिजीज है, तो डॉक्टर डीएनए टेस्ट कराने की सलाह देते हैं।
विल्सन रोग का पता कैसे लगाया जाता है?- Wilson Disease Diagnosis
विल्सन डिजीज का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट किए जाते हैं जो शरीर में कॉपर की मात्रा को मापते हैं। ये टेस्ट खून, पेशाब और लिवर में कॉपर की मात्रा की जांच करते हैं-
- लिवर बायोप्सी: इसमें लिवर की कोशिकाओं की जांच होती है, जिससे पता चलता है कि लिवर में कॉपर की मात्रा बहुत ज्यादा है।
- यूरिन टेस्ट: यूरिन में कॉपर की मात्रा सामान्य से बहुत ज्यादा दिखती है।
- ब्लड टेस्ट: इसमें शरीर में एक कॉपर प्रोटीन सेरुलोप्लास्मिन की मात्रा कम पाई जाती है।
- आंखों की जांच: इसमें डॉक्टर को आँखों में केसर-फ्लेचर रिंग दिख सकती है, जो तांबे के जमाव का संकेत है।
विल्सन रोग का इलाज- Wilson Disease Treatment
विल्सन डिजीज का इलाज दवाओं से होता है। जिन मरीजों में लक्षण होते हैं, उनके शरीर से जितना हो सके कॉपर को निकालना इलाज का पहला कदम होता है। इसके लिए दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं से असर दिखने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं। इसके अलावा मरीजों को विटामिन-बी6 लेने और कम कॉपर वाला आहार अपनाने की सलाह दी जाती है, जिसमें मशरूम, मेवे, चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स से परहेज करना शामिल है। कभी-कभी दवाएं शरीर से सभी अतिरिक्त कॉपर नहीं हटा पातीं। ऐसे मामलों में, अगर बीमारी बहुत बढ़ गई हो, तो लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।
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