
Fabry Disease in Hindi: हम सभी को अपने माता-पिता या दादा-दादी से कई रोग विरासत में मिलते हैं। इन्हें आनुवंशिक रोग भी कहा जाता है। इसमें फैब्री रोग भी एक है। यह जेनेटिक होता है। यानी माता-पिता से बच्चों को मिलता है। फैब्री रोग एक दुर्लभ बीमारी है, जो आनुवंशिक लाइसोसोमल का भंडार है। फैब्री रोग में वसा को तोड़ने वाले एंजाइम पर्याप्त मात्रा में नहीं होते हैं। ऐसे में कई तरह के लक्षणों का अनुभव होने लगता है। आइए, फैमिली फिजिशियंस ऑफ इंडिया के डॉक्टर रमन कुमार जानते हैं फैब्री रोग के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
फैब्री रोग के लक्षण- Fabry Disease Symptoms in Hindi
फैब्री रोग के लक्षण सभी लोगों में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों में इसके लक्षण हल्के हो सकते हैं, तो कुछ को गंभीर लक्षणों से जूझना पड़ सकता है।
- 1. हाथों या पैरों में सुन्नपन
- 2. पैरों में झुनझुनी
- 3. हाथों या पैरों में जलन होना
- 4. शारीरिक गतिविधियों के दौरान दर्द हना
- 5. थकान और चक्कर आना
- 6. दस्त, कब्ज या पेट में दर्द
- 7. पेशाब में प्रोटीन का अधिक स्तर होना
- 8. पसीना कम आना
- 9. पैरों, टखनों या पैरों में सूजन
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फैब्री रोग के कारण- Fabry Disease Causes in Hindi
फैब्री रोग जेनेटिक होता है। यानी अगर किसी के माता-पिता को यह रोग है, तो उसमें फैब्री रोग विकसित होने का जोखिम बढ़ जाता है। आपको बता दें कि गैलेक्टोसिडेज अल्फा (GLA) जीन का आनुवंशिक उत्परिवर्तन की वजह से फैब्री रोग होता है। यानी जीएलए, फैब्री रोग का कारण बनता है। दरअसल, जीएलए, जीन अल्फा-जीएएल एंजाइम का उत्पादन करता है। यह वसा को तोड़ने में मदद करता है। जब इन एंजाइम्स का पर्याप्त मात्रा में उत्पादन नहीं होता है, तो रक्त वाहिकाओं में वसायुक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं। अगर आपको फैब्री रोग का कोई लक्षण महसूस होता है, तो तुरंत डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करें।
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फैब्री रोग के बचाव के उपाय- Fabry Disease Prevention Tips in Hindi
फैब्री रोग जेनेटिक होता है। यानी लोगों को यह रोग विरासत में मिल सकता है। अगर व्यक्ति में उत्परिवर्तित जीन है, तो फैब्री रोग विकसित हो सकता है। बच्चों को फैब्री रोग से बचाने के लिए प्रीइंप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD) प्रक्रिया अपनाई जा सकती है। इससे बच्चे में उत्परिवर्तित जीन नहीं होगा, यह सुनिश्चित हो सकता है। हालांकि, फैब्री रोग होने पर आपको इलाज की जरूरत होती है।
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