हड्डियां न केवल हमारे शरीर को बनावट देती हैं बल्कि हमारी मांसपेशियों को भी सुरक्षित रखती हैं। हड्डियों के स्वास्थ्य पर ही हमारे शरीर का का स्वास्थ्य निर्भर करता है। कभी-कभी कुछ कारणों से हड्डियां बहुत कमजोर होती हैं। इतनी कमजोर की कुछ स्थितियों में वह टूटने लगती हैं। ऐसा ही एक कारण है ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा। सबसे पहले तो यह जानने की जरूरत है कि किस स्थिति में कमजोर होती है, क्या कारण है? मैक्स हॉस्पिटल, यूनिट हेड ऑर्थोपेडिक, एसोसिएट डायरेक्टर, डॉक्टर अखिलेश यादव बताते हैं कि दरअसल कमजोर हड्डियां या ब्रिटल बोन की परेशानी, टाइप-1 कोलेजन बनाने वाले जीन में डिफेक्ट की वजह से होती है। ये कोलेजन एक तरह का प्रोटीन होता है जो हड्डियों को बनाने में सहायक है। यह बीमारी बच्चों में जन्म से पहले या एकदम जन्म के बाद हो सकती है और उनको यह बीमारी वंशानुगत या अपने पैरंट्स से मिलती है। पर इसकी संभावना काफी कम होती है। हालांकि यह बीमारी पुरुष और महिलाओं दोनो को ही हो सकती हैं। हड्डियों के कमजोर होने से निम्न रोग भी हो सकते हैं और सबके लक्षण भी ज्यादातर एक समान ही होते हैं।
ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा के लक्षण
लक्षण रोग की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। ब्रिटल बोन डिजीज से पीड़ित की हड्डियां कमजोर होती हैं लेकिन इसके प्रभाव सब पर अलग-अलग हो सकते हैं। इसके निम्न लक्षण होते हैं -
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- हड्डियों का कमजोर होना
- दांतों का कमजोर होना
- झुके हुए पैर और कंधे
- सांस लेने में परेशानी
- हृदय में परेशानी
- आंख के सफेद हिस्से का नीला होना
- एक से ज्यादा हड्डियों का टूटना
- जोड़ो का कमजोर या हल्का होना
- रीढ़ की हड्डी का मुड़ना
- काइफोसिस
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ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा प्रकार-Types of Osteogenesis
ब्रिटल बोन डिजीज को डॉक्टर एक्स-रे से डायग्नोस कर, उनमें मौजूद डिफेक्ट का पता चलाते हैं। कुछ केस में डॉक्टर स्किन पंच बायोप्सी भी करते हैं। जेनेटिक टेस्टिंग जींस के द्वारा उत्पन्न किसी भी डिफेक्ट को जानने के लिए की जाती है। आठ प्रकार की ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा बीमारी होती हैं जिनमें से चार आम हैं जो इस प्रकार हैं।
टाइप 1 ओस्टियोजेनेसिस : इस प्रकार के ब्रिटल बोन डिजीज में आपकी बॉडी कोलेजन का उत्पाद तो करती हैं पर सही मात्रा में नहीं। यह सबसे हल्की ब्रिटल बोन डिजीज होता हैं। जिन बच्चो को टाइप 1 ओस्टियोजेनेसिस होता हैं उन्हें हल्के आघात के बाद बोन फ्रैक्चर्स हो सकता हैं। इसका असर दांतो पर भी होता है, जिसके कारण कैविटीज और दांत में दरार आने लगती हैं। ऐसे बोन फ्रैक्चर्स युवाओं में कम ही होते हैं।
टाइप 2 ओस्टियोजेनेसिस : यह टाइप बहुत खतरनाक है। इसमें जान जाने के आसार काफी ज्यादा होते हैं। इस टाइप में आपकी बॉडी या तो सही मात्रा में कोलेजन का उत्पाद नहीं करती और करती भी है तो पर्याप्त मात्रा में नहीं। जिन भी बच्चो को टाइप 2 ओस्टियोजेनेसिस होता है वो गर्भ में या जन्म लेते ही उनकी मृत्यु हो जाती हैं। टाइप 2 ओस्टियोजेनेसिस से ग्रस्त बच्चो के फेफड़े अविकिसित होते है।
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टाइप 3 ओस्टियोजेनेसिस : यह भी खतरनाक ब्रिटल बोन डिजीज का प्रकार है। इसमें बच्चे की हड्डियां आसानी से टूट जाती है। इस टाइप में बच्चे की हड्डियां जन्म लेने से पहले ही टूटना शुरू हो जाती हैं। यही नहीं कोलेजन का उत्पाद भी बहुत कम मात्रा में होता है। इस कारण हड्डियां बहुत कमजोर होने लगती हैं जो समय के साथ और बेहद कमजोर होती चली जाती हैं।
टाइप 4 ओस्टियोजेनेसिस : इस टाइप में लक्षण कभी हल्के तो कभी गंभीर हो सकते हैं। ओस्टियोजेनेसिस के साथ जन्म लेने वाले बच्चो के पैर ज्यादातर झुके हुए होते हैं और उम्र के साथ साथ ज्यादा झुकते जाते हैं। इसमें भी कॉलेजन की उत्पादन मात्रा कम होती हैं।
ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा एक जेनेटिक बोन डिजीज है। इस बीमारी के कुछ गंभीर तो कुछ कम गंभीर प्रकार होते हैं गंभीर लक्षण वाले बच्चे ज्यादा दिन जीवित नहीं रहते। जबकि हल्के लक्षण वाले बच्चे आम जीवन जी सकते हैं। ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा हड्डियों को मजबूत बनाने पर जोर देता है।