आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी, तनाव, नींद की कमी, फास्ट फूड और फिजिकल एक्टिविटी की कमी महिलाओं की सेहत पर गहरा असर डाल रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है हार्मोनल असंतुलन, जो कम उम्र में ही पीरियड्स से जुड़ी कई परेशानियों का कारण है। इन्हीं समस्याओं में से एक है एंडोमेट्रियोसिस, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें यूट्रस की अंदरूनी परत यानी एंडोमेट्रियल लाइनिंग शरीर के अन्य हिस्सों में विकसित हो जाती हैं। यह समस्या महिलाओं के लिए न केवल बेहद पेनफुल होती है बल्कि फर्टिलिटी और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है।
एंडोमेट्रियोसिस की समस्या होने पर कई तरह की दिक्कतें होने लगती हैं, जैसे कि पीरियड्स में दर्द, थकान, सूजन, अनियमित पीरियड्स और कंसीव करने में समस्या। लेकिन कई लोगों को लगता है कि एंडोमेट्रियोसिस के कारण बाल भी झड़ते हैं। इस लेख में आनंद निकेतन में स्थित गायनिका: एवरी वुमन मैटर क्लीनिक की सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) गुंजन मल्होत्रा सरीन से जानिए, क्या एंडोमेट्रियोसिस से बाल झड़ सकते हैं?
क्या एंडोमेट्रियोसिस से बाल झड़ सकते हैं? - Can Endometriosis Cause Hair Loss
एंडोमेट्रियोसिस सीधे तौर पर बालों को नुकसान नहीं पहुंचाता, लेकिन यह बॉडी में होने वाले हार्मोनल बदलावों, तनाव और कुछ दवाओं के जरिए हेयर लॉस को ट्रिगर कर सकता है। यह एक इनडायरेक्ट कारण बन सकता है। एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन्स का असंतुलन देखा जाता है, जो बालों की ग्रोथ साइकल को प्रभावित कर सकता है। इसके अलावा, दर्द और क्रोनिक इंफ्लेमेशन के कारण तनाव का लेवल बढ़ जाता है, जो बालों के झड़ने का कारण (hair fall hone ke karan) बन सकता है। दरअसल, महिलाओं के बालों की हेल्थ हार्मोनल संतुलन पर निर्भर करती है। एंडोमेट्रियोसिस में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का लेवल बिगड़ जाता है। एस्ट्रोजन जहां बालों की ग्रोथ और मजबूती को बढ़ावा देता है, वहीं उसका असंतुलन बालों को कमजोर और पतला बना सकता है।
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कुछ मामलों में एंडोमेट्रियोसिस से जूझ रही महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन जैसे मेल हार्मोन का असर भी बढ़ सकता है, जिससे एंड्रोजेनिक एलोपेसिया (hormonal hair thinning) हो सकता है।
1. दवाओं का साइड इफेक्ट
एंडोमेट्रियोसिस के इलाज में अक्सर हार्मोनल थेरेपी, बर्थ कंट्रोल पिल्स जैसी दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं शरीर के हार्मोन लेवल को कंट्रोल करने का काम करती हैं, लेकिन कई बार इनका नुकसान बालों पर भी पड़ सकता है। इन दवाओं के कारण हेयर फॉल का अनुभव होना आम बात है। हालांकि ये साइड इफेक्ट स्थायी नहीं होते और दवा बंद करने के बाद बालों की स्थिति सामान्य हो सकती है, लेकिन कई महिलाओं के लिए यह एक चिंता का कारण बन जाता है।
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2. तनाव, दर्द और नींद की कमी
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण, जैसे बार-बार होने वाला तेज पेटदर्द, थकावट, मानसिक तनाव और नींद की कमी, ये सभी मिलकर शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में कॉर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का लेवल बढ़ता है, जो हेयर फॉल को बढ़ा सकता है। नींद की कमी से शरीर की रिपेयरिंग की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे बालों की क्वालिटी और ग्रोथ पर असर पड़ सकता है।
3. आयरन की कमी
एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं में अक्सर हैवी पीरियड्स की समस्या होती है और इसके कारण शरीर में आयरन की कमी भी हो जाती है। आयरन बालों की जड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए जरूरी है। अगर आयरन की कमी हो जाए तो बालों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं और बाल झड़ने लगते हैं। इसके अलावा, भूख न लगना, दर्द के कारण कम खाना या डाइजेशन की गड़बड़ी जैसे कारणों से पोषक तत्वों की कमी भी हो सकती है, जो बालों की सेहत पर असर डालती है।
हेयर लॉस को कैसे रोका जाए - how to prevent hair loss
- बाल झड़ने के पीछे हार्मोनल या न्यूट्रिशनल कारण हो सकते हैं, इसलिए डॉक्टर की सलाह पर टेस्ट करवाएं और उचित इलाज फॉलो करें।
- हार्मोनल संतुलन बनाए रखें
- आयरन, विटामिन D, B12 और प्रोटीन से भरपूर डाइट लें।
- योग, ध्यान, ब्रीदिंग एक्सरसाइज तनाव घटाने में मदद कर सकते हैं।
- केमिकल युक्त हेयर प्रोडक्ट्स से बचें, तेल मालिश करें और स्कैल्प की सफाई रखें।
निष्कर्ष
एंडोमेट्रियोसिस केवल पीरियड्स से जुड़ी समस्या नहीं है, इसका असर पूरे शरीर पर हो सकता है। हार्मोनल असंतुलन, दर्द, तनाव और दवाओं के साइड इफेक्ट मिलकर बाल झड़ने की वजह बन सकते हैं। अगर आप एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं और बाल झड़ने की समस्या हो रही है, तो घबराएं नहीं। सही टेस्ट, पोषण, मेडिकल गाइडेंस और थोड़ी ज्यादा केयर से आप बालों को फिर से हेल्दी बना सकती हैं।
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FAQ
एंडोमेट्रियोसिस की पहचान कैसे करें?
एंडोमेट्रियोसिस की पहचान इसके लक्षणों के नजर आने के बाद मेडिकल टेस्ट से की जा सकती है। आम लक्षणों में पीरियड्स में तेज दर्द, असामान्य ब्लीडिंग, यौन संबंध के दौरान दर्द, थकान और पेल्विक एरिया में लगातार दर्द शामिल हैं। डॉक्टर शारीरिक जांच, अल्ट्रासाउंड, एमआरआई या लैप्रोस्कोपी के माध्यम से इसकी पुष्टि करते हैं। लैप्रोस्कोपी एक प्रमुख तरीका है जिसमें एक छोटा कैमरा पेट में डालकर एंडोमेट्रियल टिश्यू की स्थिति देखी जाती है।एंडोमेट्रियोसिस का दर्द कब होता है?
एंडोमेट्रियोसिस का दर्द आमतौर पर पीरियड्स के दौरान होता है, लेकिन यह अन्य समयों में भी महसूस हो सकता है। पीरियड्स से पहले और दौरान पेल्विक एरिया में तेज या मरोड़ जैसा दर्द महसूस हो सकता है। कुछ महिलाओं को यौन संबंध के समय, मल त्याग या पेशाब करते समय भी दर्द होता है। इसके अलावा, पीठ दर्द, थकान और पेट में भारीपन जैसे लक्षण भी हो सकते हैं।ओवरी में गांठ होने से क्या दिक्कत होती है?
ओवरी में गांठ आमतौर पर हार्मोनल बदलाव के कारण बनती है और अधिकतर मामलों में यह बिना किसी लक्षण के अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ मामलों में यह समस्याएं पैदा कर सकती है, जैसे पेट में दर्द, सूजन, अनियमित पीरियड्स, पेशाब या मल त्याग में कठिनाई, और पेट में भारीपन। ऐसे लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।
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