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प्रेग्नेंट होने से एंडोमेट्रियोसिस ठीक हो जाता है? डॉक्टर से जानें इसका जवाब

Is Pregnancy a Cure for Endometriosis: एंडोमेट्रियोसिस की समस्या तब होती है, जब गर्भाशय की आंतरिक परत (एंडोमेट्रियम) जैसी कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर विकसित होने लगती हैं।
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प्रेग्नेंट होने से एंडोमेट्रियोसिस ठीक हो जाता है? डॉक्टर से जानें इसका जवाब


Is Pregnancy a Cure for Endometriosis: एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) महिलाओं को होने वाली एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। एंडोमेट्रियोसिस में महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द, अनियमित पीरियड्स और सेक्स के दौरान दर्द की परेशानी होती है। एंडोमेट्रियोसिस की परेशानी महिलाओं को तब होती है, जब गर्भाशय की आंतरिक परत (एंडोमेट्रियम) जैसी कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर विकसिक होकर अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब्स या पेल्विक की दीवार पर फैलने लगती हैं। इतनी गंभीर समस्या होने के बावजूद एंडोमेट्रियोसिस के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी देखी जाती है।

जिसके कारण एंडोमेट्रियोसिस से जुड़ी भ्रामक बातें, लोगों के दिलों में जगह बनाती है। एंडोमेट्रियोसिस से जुड़ी एक ऐसी मान्यता भी प्रचलित है कि गर्भधारण (pregnancy) के बाद ये बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। लेकिन क्या वाकई गर्भधारण करने से एंडोमेट्रियोसिस खत्म हो जाता है? इस लेख में हम इसी मान्यता की सच्चाई जानने की कोशिश करेंगे।

एंडोमेट्रियोसिस क्या है- What is endometriosis

एलांटिस हेल्थकेयर दिल्ली के मैनेजिंग डायरेक्टर, इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनन गुप्ता (Dr. Mannan Gupta, Obstetrician, Gynecologist and Infertility Specialist, New delhi) के अनुसार, एंडोमेट्रियोसिस एक पुरानी, अक्सर दर्दनाक और महिलाओं में धीरे-धीरे विकसित होने वाली बीमारी है। एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय की परत जैसी कोशिकाएं शरीर के अन्य हिस्सों में बढ़ने लगती हैं। ये कोशिकाएं हर महीने होने वाले हार्मोनल बदलावों के अनुसार बदलती हैं। इसके कारण महिलाओं के शरीर में टिशू भी बनने लगते हैं।

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क्या प्रेग्नेंसी एंडोमेट्रियोसिस का इलाज है- Is pregnancy a cure for endometriosis

डॉ. मनन गुप्ता बताते हैं कि 'जब कोई महिला एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करवाने के लिए उनके पास आती है, तो ये सवाल जरूर पूछती है कि अगर वो प्रेग्नेंट हो जाए, तो एंडोमेट्रियोसिस पूरी तरह से ठीक हो जाएगा।' इस सवाल का स्पष्ट शब्दों में जवाब है बिल्कुल भी नहीं। गर्भधारण करने से एंडोमेट्रियोसिस पूरी तरह से ठीक नहीं होता है। रिसर्च ये बताती है कि एंडोमेट्रियोसिस से जूझ रही कुछ महिलाओं ने जब गर्भधारण किया तो, उन्हें तत्काल प्रभाव से तो रहात मिल गई, लेकिन जैसे ही गर्भावस्था का फेज खत्म हुआ एंडोमेट्रियोसिस फिर से एक्टिव हो गया और उन्हें शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं।

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प्रेग्नेंसी और एंडोमेट्रियोसिस पर क्या कहती है रिसर्च

Human Reproduction Journal द्वारा किए गए अध्ययन में ये बात सामने आई है कि गर्भावस्था के बाद महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों में 50% तक की राहत मिली है। लेकिन ये एक अस्थायी स्थिति है। कई महिलाओं में डिलीवरी के एक या दो साल बाद एंडोमेट्रियोसिस में लक्षण दोबारा से उभर आते हैं। अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के बाद एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण पहले से ज्यादा दर्दनाक और असहनीय होते हैं।

प्रेग्नेंसी से क्यों लगता है कि एंडोमेट्रियोसिस ठीक हो रही है?

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इस समय में महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का संतुलन कम और ज्यादा होता है। एंडोमेट्रियोसिस एक एस्ट्रोजन-डिपेंडेंट डिजीज है, यानी इसकी वृद्धि होने के पीछे एस्ट्रोजन का संतुलन न होना है। गर्भावस्था में जब महिलाओं के शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं, तो उन्हें लगता है कि एंडोमेट्रियोसिस ठीक हो रहा है, लेकिन ऐसा होता नहीं है। जैसे ही गर्भावस्था का समय खत्म होता है और पीरियड्स सर्कुल रेगुलर होता है, तो एंडोमेट्रियोसिस की परेशानी दोबारा से शुरू हो जाती है।

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प्रेग्नेंसी के बाद एंडोमेट्रियोसिस क्यों लौट आती है?

हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, गर्भावस्था के बाद जब डिलीवरी होती है और महिलाओं को पीरियड सर्कल दोबारा से शुरू होता है, उसी के साथ एंडोमेट्रियोसिस की संभावना भी दोबारा उभरती है। इस बात को ऐसा समझा जा सकता है कि डिलीवरी के कुछ समय के बाद महिलाओं का शरीर दोबारा से सामान्य प्रक्रिया में आने लगता है। इससे एस्ट्रोजन फिर से सक्रिय होता है, जिससे पीरियड्स के दौरान दर्द और सूजन की परेशानी लौटती है।

एंडोमेट्रियोसिस का इलाज क्या है

डॉक्टर की मानें तो कुछ मामलों में गर्भधारण करना एंडोमेट्रियोसिस का अस्थायी इलाज हो सकता है। लेकिन इसका स्थायी इलाज भी करना जरूरी है। एंडोमेट्रियोसिस का इलाज कराने से भविष्य में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को कम करने में मदद मिलती है। एंडोमेट्रियोसिस के इलाज में शामिल हैः

1. मेडिकल थेरेपी: हार्मोनल पिल्स, प्रोजेस्टिन-थैरेपी और दर्द को कम करने के लिए पेनकिलर्स का इस्तेमाल करना।

2. सर्जिकल विकल्प: एंडोमेट्रियल टिशू अगर ज्यादा बढ़ जाते हैं, तो लैप्रोस्कोपी सर्जरी के जरिए इसे हटाया जा सकता है।

3. लाइफस्टाइल बदलाव: एंडोमेट्रियोसिस से राहत पाने के लिए खाने में फाइबर युक्त और एंटीऑक्सीडेंट डाइट को तवज्जों दें। रोजाना 8 से 9 घंटों की नींद लें। तनाव को मैनेज करने के लिए ध्यान और मेडिटेशन जरूर करें।

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निष्कर्ष

गर्भावस्था एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों से अस्थायी राहत जरूर दे सकती है, लेकिन ये इस समस्या का स्थायी इलाज नहीं है। डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण कम हो जाते हैं, लेकिन जैसे कि दोबारा शरीर नॉर्मल अवस्था में आता है, तो ये समस्या फिर से उभर सकती है। यदि आप एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं, तो इसका इलाज जरूर करवाएं।

FAQ

  • एंडोमेट्रियोसिस कौन सी बीमारी होती है?

    एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। एंडोमेट्रियोसिस में गर्भाशय की अंदरूनी परत जैसी कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर, जैसे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब्स या पेल्विक अंगों पर विकसित हो जाती हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण पीरियड्स का नियमित न होना, पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द, बांझपन और अत्यधिक शारीरिक थकान की समस्याएं हो सकती हैं।
  • घर पर एंडोमेट्रियोसिस की पहचान कैसे करें?

    एंडोमेट्रियोसिस की पहचान घर पर बहुत ही आसानी से की जाती है। अगर आपोक पीरियड्स के दौरान अक्सर दर्द, पेट या कमर में लगातार दर्द, थकान, सेक्स के दौरान दर्द और गर्भधारण में कठिनाई हो रही है, तो ये एंडोमेट्रियोसिस हो सकता है। अगर आपको लगातार इस तरह के लक्षण खुद में महसूस होते हैं, तो ये गंभीर स्थिति है, इस विषय पर तुरंत अपने डॉक्टर से बात करें।
  • एंडोमेट्रियोसिस के 4 लक्षण क्या हैं?

    एंडोमेट्रियोसिस के चार प्रमुख लक्षण हैं1. पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द होना2. पीठ और पेल्विक एरिया में लगातार दर्द3. सेक्स के दौरान दर्द महसूस करना4. गर्भधारण करने में परेशानी होना।

 

 

 

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