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मां बनने के बाद शुरू हुई जिंदगी की नई कहानी- जानिए एंडोमेट्रियोसिस से जूझने वाली नम्रता की Real Life Story

एंडोमेट्रियोसिस के कारण कई महिलाओं को गर्भधारण करने में परेशानी आती है। कुछ ऐसा ही दिल्ली में रहने वाली नम्रत का साथ भी हुआ। आइए जानते हैं नम्रता को मां बनने में क्या-क्या परेशानी आई और फिर कैसे उनका ये सपना साकार हुआ।
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मां बनने के बाद शुरू हुई जिंदगी की नई कहानी- जानिए एंडोमेट्रियोसिस से जूझने वाली नम्रता की Real Life Story


नम्रता एक साधारण सी महिला हैं, जिन्हें बाहर से देखने पर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता था कि वह अंदर से कितने दर्द में जी रही है। हर महीने पीरियड्स के दौरान उसका चेहरा सफेद पड़ जाता, कमर झुक जाती और आंखों से आंसू छलक पड़ते। लेकिन ये सब सिर्फ 'पीरियड्स का सामान्य दर्द' नहीं था। यह था एंडोमेट्रियोसिस का। एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं की प्रजनन प्रणाली से जुड़ी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें गर्भाशय की भीतरी परत (एंडोमेट्रियम) जैसी कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर तक विकसित होने लगती है।

एंडोमेट्रियोसिस के कारण न सिर्फ महिलाओं को पीरियड्स संबंधी परेशानियां होती हैं, बल्कि ये सेक्सुअल रिलेशन और गर्भधारण को भी प्रभावित करता है। ज्यादातर महिलाएं पीरियड्स के दौरान होने वाले इस दर्द को सामान्य मानती हैं। कुछ ऐसा ही नम्रता के साथ भी हुआ।

मेडिकल टेस्ट से हुई एंडोमेट्रियोसिस की पहचान

नम्रता को शुरुआत से ही पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द होता था। शुरुआत में उसने इसे "नॉर्मल पीरियड क्रैम्प" मानकर नजरअंदाज कर देती थीं। लेकिन जब धीरे-धीरे उनका दर्द बढ़ता चला गया है, तो उन्होंने इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेने की ठानी। डॉक्टर ने उनके सोनोग्राफी और MRI से एंडोमेट्रियोसिसकी पुष्टि की। डॉक्टर ने नम्रता को बताया कि दाहिनी ओवरी में सिस्ट बनते हैं। सिस्ट को खत्म करने और पीरियड्स के दौरान होने वाले असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए एलोपैथिक दवाओं का सेवन किया।

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एंडोमेट्रियोसिस के कारण नहीं बन पा रही थी मां

दवाएं खाने और इलाज करवाने के बावजूद नम्रता के मां बनने का सपना टूटता ही जा रहा था। हर महीने एक नई उम्मीद और हर महीने एक नेगेटिव प्रेग्नेंसी रिपोर्ट नम्रता को शारीरिक और मानसिक दोनों ही रूप से परेशान कर रही थी। रातों को तकिए में मुंह छिपाकर रोना उसकी दिनचर्या बन गई थी। मां न बन पाने के लिए नम्रता खुद को दोषी मानने लगी थीं। एक दिन उसकी एक दोस्त ने उन्हें आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिलने की सलाह दी। थक चुकी नम्रता ने सोचा, "अब खोने को क्या है?"

आयुर्वेदिक इलाज के बाद भर गई गोद

नम्रता कहती हैं- एंडोमेट्रियोसिस के कारण होने वाले दर्द से मैं बहुत ज्यादा परेशान थी। मैंने इसको ठीक करने के लिए एलोपैथिक दवाएं तो लेनी शुरू कर दीं, लेकिन मैं कुछ प्राकृतिक उपायों के बारे में भी लगातार सर्च कर रही थी, एक दिन मुझको आयुर्वेदिक पद्धति के जरिए एंडोमेट्रियोसिस का इलाज और प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने स्त्री और फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. चंचल शर्मा से बात की।

4 महीने के इलाज के बाद बनीं मां

दिल्ली की आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा ने नम्रता की कहानी हमारे साथ शेयर करते हुए बताया कि एंडोमेट्रियोसिस के कारण उनकी फैलोपियन ट्यूब की फंक्शनैलिटी कोम्प्रोमाईज हो गई थीं। इसके अलावा नम्रता को आम दोष, वात असंतुलन और रजः प्रवाह के अवरोध भी था। इन सभी चीजों को दवाओं और खानपान के जरिए सुधारा गया।

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शुद्धिकरण थेरेपी - एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करने के लिए आंतों की सफाई की गई है और वात दोष का शमन किया गया है।

दवाओं का सेवन- गर्भाशय की सिस्ट को खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं और औषधियां कांचनार गुग्गुलु अशोकारिष्ट, शतावरी और लोध्र चूर्ण, त्रिफला और हरिद्रा का सेवन कराया गया।

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आयुर्वेदिक इलाज के सिर्फ 1 महीनों में नम्रता ने पाया कि उनके पीरियड्स पहले जितने दर्दनाक नहीं रहे और न ही अब उन्हें पहले की तरह पीरियड्स में किसी प्रकार की कोई परेशानी हो हुई। आयुर्वेदिक इलाज के चौथे महीने में ही बिना एंडोमेट्रियोसिस की सर्जरी के नम्रता ने प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण किया। नम्रता की बेटी अभी एक साल की हो चुकी है लेकिन उन्हें किसी प्रकार की दवाई नहीं खानी पड़ती है। वह पूरी तरह से स्वस्थ जीवन जी रही है। वह अब आयुर्वेद में विश्वास रखने वाली एक प्रेरक वक्ता भी बन चुकी है, जो महिलाओं को एंडोमेट्रियोसिस से बाहर निकलने की प्रेरणा देती है।

नम्रता कहती हैं - "मैंने हार नहीं मानी। एलोपैथी दवाएं भी ठीक हैं, लेकिन एंड्रियोमेट्रियोसिस से पूरी राहत आयुर्वेद से मिली। हर महिला को अपनी सुननी चाहिए, दर्द को सामान्य न समझें।"

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नम्रता सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि हजारों महिलाओं की आवाज है जो एंडोमेट्रियोसिस से जूझती हैं। उसकी कहानी बताती है कि सही समय पर सही फैसला और हार न मानने की भावना से कोई भी महिला मां बनने का सपना पूरा कर सकती है। 

FAQ

  • क्या एंडोमेट्रियोसिस पूरी तरह ठीक हो सकता है?

    यह एक क्रॉनिक कंडीशन है। जब बात एंडोमेट्रियोसिस का ठीक करने की आती है, तो ये पूरी तरह से बिल्कुल ठीक नहीं हो सकती है। लेकिन सही इलाज, जीवनशैली और खानपान में बदलाव, आयुर्वेद, हार्मोनल थेरेपी और सर्जरी के जरिए एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों को मैनेज करने में मदद मिलती है।
  • घर पर एंडोमेट्रियोसिस की पहचान कैसे करें?

    घर पर एंडोमेट्रियोसिस की पहचान करना बहुत ही मुश्किल काम है। लेकिन आपको पीरियड्स के दौरान अत्यधिक दर्द, सेक्स के दौरान दर्द, अक्सर शारीरिक थकान जैसे लक्षण खुद में नजर आते हैं, तो एक बार डॉक्टर से बात करें। पीरियड्स के दौरान असहनीय दर्द एंडोमेट्रियोसिस की पहली पहचान है।
  • क्या एंडोमेट्रियोसिस सेक्सुअल रिलेशन को प्रभावित करता है? 

    हां ज्यादातर मामलों में एंडोमेट्रियोसिस से जूझने वाली महिलाओं के पार्टनर के साथ सेक्सुअल रिलेशन अच्छे नहीं होते हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण महिलाओं को असहनीय दर्द होता है, जिसका असर उनके सेक्सुअल हेल्थ पर भी पड़ता है।

 

 

 

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