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प्रेग्नेंसी में बहुत जरूरी है ग्लूकोज टेस्टिंग, डॉक्टर से जानें इसके बारे में

Why Glucose Testing In Pregnancy is Important: गर्भावस्था में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण ग्लूकोज टेस्टिंग बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है।
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प्रेग्नेंसी में बहुत जरूरी है ग्लूकोज टेस्टिंग, डॉक्टर से जानें इसके बारे में


Why Glucose Testing In Pregnancy is Important:गर्भावस्था हर महिला सबसे अनमोल और संवेदनशील समय होता है। गर्भावस्था में महिला को अपने साथ-साथ गर्भ में पलने वाले शिशु का भी खास ख्याल रखना होता है। गर्भावस्था में गर्भस्थ शिशु का विकास सही हो, मां को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए डॉक्टर कई प्रकार के मेडिकल टेस्ट (medical test during pregnancy) कराने की सलाह देते हैं। इन टेस्ट में सबसे महत्वपूर्ण है ग्लूकोज टोलरेंस टेस्ट (Glucose Tolerance Test) या ब्लड शुगर टेस्ट। गर्भावस्था में होने वाले डायबिटीज (Gestational Diabetes Mellitus – GDM) की पहचान के लिए ग्लूकोज टेस्टिंग बहुत महत्वपूर्ण होती है।

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प्रेग्नेंसी में ग्लूकोज टेस्टिंग क्यों जरूरी होती है- Why Glucose Testing In Pregnancy is Important

दिल्ली के द्वारका स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निदेशक और यूनिट हेड प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. यशिका गुडेसर (Dr. Yashica Gudesar, Director & Unit Head Obstetrics & Gynecology, Max Super Speciality Hospital, Dwarka) के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इसके कारण शरीर की इंसुलिन कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इंसुलिन एक ऐसा हार्मोन है जो शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। गर्भावस्था में अगर इंसुलिन ठीक से नहीं बनता है या ठीक से काम नहीं करता है, तो इससे शरीर में ग्लूकोज का स्तर अनियंत्रित होकर गेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

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गेस्टेशनल डायबिटीज को समय रहते कंट्रोल में न किया जाए तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए गर्भावस्था में ग्लूकोज टेस्टिंग बहुत जरूरी होती है। ग्लूकोज टेस्टिंग के जरिए इस बात का पता चलता है कि गर्भवती महिला का ब्लड शुगर लेवल सामान्य है या नहीं।

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डॉ. यशिका गुडेसर का कहना है कि गर्भावस्था की दूसरी और तीसरी तिमाही में होने वाले हार्मोनल बदलाव इंसुलिन की प्रभावशीलता को कम करते हैं, जिससे शरीर के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल करना मुश्किल काम होता है। इन परिस्थितियों में ग्लूकोज टेस्टिंग और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।

प्रेग्नेंसी में ग्लूकोज टेस्टिंग कब की जाती है- When is glucose testing done in pregnancy

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अनुसार, गर्भधारण का पता चलने के बाद जब महिलाएं पहली बार डॉक्टर से मिलने के लिए जाती हैं तो ग्लूकोज टेस्टिंग जरूरी है। इसके अलावा गर्भधारण के 24वें सप्ताह में ग्लूकोज टेस्टिंग की जाती है। अगर किसी महिला को पहले से डायबिटीज या हाई ब्लड शुगर की समस्या है, तो ग्लूकोज टेस्टिंग डॉक्टर की सलाह पर पहले भी कराई जा सकती है।

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प्रेग्नेंसी में हाई ग्लूकोज लेवल होने के नुकसान- Harmful effects of high glucose levels during pregnancy

डॉक्टर का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान अगर महिला का ग्लूकोज स्तर सामान्य से अधिक रहता है और इसे कंट्रोल नहीं किया जाता है, तो इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। गर्भावस्था में हाई ब्लड शुगर रहने से भ्रूण की अत्यधिक वृद्धि (मैक्रोसोमिया), जन्म के समय चोट लगना, समय से पहले प्रसव और सिजेरियन डिलीवरी की अधिक संभावना ज्यादा होती है। इसके अलावा गर्भावस्था में हाई ब्लड शुगर होने से नवजात शिशु को हाइपोग्लाइसीमिया और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याओं का भी जोखिम कई गुणा होता है।

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प्रेग्नेंसी में ग्लूकोज टेस्टिंग किसके लिए महत्वपूर्ण है- Why Glucose Testing in Pregnancy is Important

- महिलाएं जो 30 साल की उम्र के बाद प्रेग्नेंसी कंसीव करने की प्लानिंग कर रही हों।

- महिला के परिवार में किसी को पहले से डायबिटीज की समस्या रही हो।

- पहले गर्भ में शिशु की मौत हो चुकी हो या फिर गर्भपात हो।

- महिला का वजन सामान्य से ज्यादा और शरीर में फैट अधिक हो।

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प्रेग्नेंसी में ग्लूकोज टेस्टिंग से होने वाले फायदे- Benefits of Glucose Testing in Pregnancy

गर्भावस्था में अगर समय रहते ग्लूकोज टेस्टिंग करवा ली जाए तो इससे होने वाली मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ्य को कई प्रकार से फायदा मिलता है। ग्लूकोज टेस्टिंग के जरिए समय रहते गैस्टेशनल डायबिटीज की समय पर पहचान हो पाती है। इससे मां और शिशु को भविष्य में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। ग्लूकोज टेस्टिंग में हाई ब्लड शुगर की जानकारी मिलती है तो खानपान और जीवनशैली में बदलाव करके ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है।

निष्कर्ष

गर्भावस्था में ग्लूकोज टेस्टिंग कराना हर महिला के महत्वपूर्ण है। ग्लूकोज टेस्टिंग के जरिए गेस्टेशनल डायबिटीज और भविष्य में होने वाली अन्य परेशानियों से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं ग्लूकोज टेस्टिंग में अगर हाई ब्लड शुगर की जानकारी मिलती है तो इसे खानपान और थोड़ी से बदलाव के जरिए ठीक किया जा सकता है।

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FAQ

  • ग्लूकोज की नार्मल रेंज क्या है?

    डॉक्टर का कहना है कि प्रेग्नेंसी में ग्लूकोज की नार्मल रेंज खाली पेट 70–95 mg/dL होनी चाहिए। इसके बाद खाने के 1 घंटे बाद ग्लूकोज रेंज 140 mg/dL से कम और 2 घंटे बाद 120 mg/dL तक होना जरूरी है। गर्भावस्था में इससे ज्यादा ग्लूकोज रेंज रहती है तो ये जेस्टेशनल डायबिटीज की संभावना को कई गुणा बढ़ा देती है। गर्भावस्था में ग्लूकोज रेंज ज्यादा होने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
  • ग्लूकोज की जांच क्यों की जाती है?

    शरीर में शुगर लेवल की जांच करने के लिए ग्लूकोज की जांच की जाती है। ग्लूकोज की जांच से किसी भी व्यक्ति में डायबिटीज, हाइपोग्लाइसीमिया या अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों की पहचान की जाती है। अगर आपका ग्लूकोज लेवल ज्यादा या अत्यधिक कम है तो खानपान और जीवनशैली में बदलाव करने की जरूरत होती है।
  • शरीर में ग्लूकोज बढ़ने से क्या होता है?

    ग्लूकोज बढ़ने से कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ हेल्थ वेबसाइट पर प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शरीर में अत्यधिक ग्लूकोज बढ़ने पर डायबिटीज, थकान, अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना और आंखों से जुड़ी समस्या हो सकती है। अगर आपके शरीर में ग्लूकोज का स्तर सामान्य से अधिक हो गया है तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।

 

 

 

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