Pregnancy First Month in Hindi: गर्भधारण करना एक महिला के जीवन का सबसे खूबसूरत पल होता है। जैसे ही प्रेग्नेंसी की न्यूज कंफर्म होती है, एक कपल का जीवन खुशियों से भर जाता है। कंसीव करने के बाद महिलाएं काफी उत्सुक हो जाती हैं। साथ ही, उनके मन में डर भी बना रहता है। क्योंकि प्रेग्नेंसी की पूरी जर्नी के दौरान उन्हें कई तरह के शारीरिक और मानसिक बदलावों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान महिलाओं को उल्टी या मूड स्विंग के साथ ही, हाई बीपी और शुगर आदि जैसी दिक्कतें होनी भी शुरू हो सकती हैं।
जैसे ही एक महिला गर्भधारण करती है, उसके शरीर में बदलाव नजर आने लगते हैं। इस दौरान उसे लक्षणों का अनुभव होता है और उसके भ्रूण का विकास भी शुरू होने लगता है। ऐसे में एक महिला को प्रेग्नेंसी के पहले महीने से ही सारी सावधानियों का अपनाते हुए आगे बढ़ना चाहिए, जिससे मां और शिशु दोनों स्वस्थ रहें। आज के इस लेख में हम फोर्टिस हॉस्पिटल की सीनियर कंसल्टेंट और प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. बंदना सोढ़ी से प्रेग्नेंसी के पहले महीने में दिखने वाले लक्षणों, बदलावों, शिशु का विकास और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे-
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में दिखने वाले लक्षण- Pregnancy First Month Symptoms in Hindi
डॉ. बंदना सोढ़ी बताती हैं, 'प्रेग्नेंसी के पहले महीने से ही महिलाओं में लक्षण नजर आने लगते हैं। प्रेग्नेंसी के पहले महीने में दिखने वाले शुरुआती लक्षण इस प्रकार हैं-
- पीरियड्स मिस होना
- थकान
- बार-बार पेशाब आना
- भूख ज्यादा लगना
- उल्टी और जी मिचलना
ये कुछ सामान्य लक्षण हैं, जो प्रेग्नेंसी के पहले महीने में नजर आ सकते हैं। अधिकतर महिलाओं में ये लक्षण प्रेग्नेंसी के 12 सप्ताह तक रह सकते हैं। उसके बाद ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा, कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले महीने में इन अन्य लक्षणों का भी अनुभव हो सकता है।
- पेट में दर्द या ऐंठन
- पीठ में दर्द होना
- कोमल और सूजे हुए स्तन
- पेट फूलना
- कब्ज बनना
- मूड में बदलाव होना
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में शरीर में होने वाले बदलाव
- प्रेग्नेंसी के पहले महीने में महिलाओं के शरीर में कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं, जो इस प्रकार हैं-
- प्रेग्नेंसी के पहले महीने में पीठ का हिस्सा थोड़ा तंग महसूस हो सकता है।
- इस दौरान महिला को अपना शरीर थोड़ा फूला हुआ लग सकता है।
- गर्भधारण के बाद शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है। इसकी वजह से महिलाओं के स्तनों का आकार बढ़ सकता है।
- गर्भधारण के बाद महिलाओं में मेलेनिन हार्मोन का स्तर भी बढ़ जाता है। इसकी वजह से निप्पल ज्यादा काले और बड़े नजर आने लगते हैं।
- इसके अलावा, प्रेग्नेंसी के पहले महीने में गर्भवती महिला को स्पॉटिंग हो सकती है।

प्रेग्नेंसी के पहले महीने में भ्रूण का विकास- Baby Growth in Pregnancy First Month
जैसे ही एक महिला प्रेग्नेंट होती है, गर्भ में शिशु के विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। यानी प्रेग्नेंसी के पहले महीने में ही शिशु का विकास होने लगता है।
दरअसल, अंडाणु फैलोपियन ट्यूब में निषेचित होता है और फिर भ्रूण गर्भाशय तक पहुंचता है। फिर अंडा कई कोशिकाओं में बंट जाता है और ये कोशिकाएं इकट्ठा होकर गेंद जैसा आकार लेती हैं। इसे ब्लास्टोसिस्ट कहा जाता है। अगर ब्लास्टोसिस्ट दो से तीन में गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है, तो प्रत्यारोपण की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। इसी दौरान, प्लेसेंटा भी विकसित होने लगता है। जिसके जरिए भ्रूण के शरीर में मां के रक्त का पोषण पहुंचता रहता है। इसी से भ्रूण का विकास होता है।
जब ये प्रक्रिया पूरी हो जाती है, तो प्रेग्नेंसी के पहले महीने में शिशु का चेहरा बनना शुरू हो जाता है। आंखों की जगह पर काले घेरे नजर आने लगते हैं। साथ ही, शिशु का निचला जबड़ा और गला भी बनना शुरू हो जाता है। Webmd के अनुसार प्रेग्नेंसी के पहले महीने में अंत तक शिशु का आकार 1/4 इंच तक हो जाता है।
प्रेग्नेंसी के पहले महीने में कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए?
अगर किसी महिला को ऊपर बताए गए लक्षणों का अनुभव होता है, तो सबसे पहले उसे प्रेग्नेंसी टेस्ट करवाना चाहिए। इसके लिए आपको मार्केट में प्रेग्नेंसी किट आसानी से मिल जाएगी। इससे ही पता चलेगा कि आप गर्भवती हैं या नहीं। अगर टेस्ट में पॉजिटिव रिजल्ट दिखता है, तो आप डॉक्टर से जांच करवाकर प्रेग्नेंसी की पुष्टि करवा सकते हैं। अगर आपकी प्रेग्नेंसी कंफर्म हो जाती है, तो डॉक्टर आपको न्यूट्रिएंट्स जांच करवाने के लिए टेस्ट लिख सकते हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में डॉक्टर शुगर या बीपी आदि भी चेक करवा सकते हैं।
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प्रेग्नेंसी के पहले महीने में बरतें ये सावधानियां
- खुद को तनाव और चिंता से दूर रखें।
- पहले महीने में गर्भपात का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए लंबी यात्रा करने से बचें।
- हाई हील्स पहनने से बचना चाहिए। इससे पैर मुड़ने या गिरने का जोखिम रहता है।
- भारी वजन न उठाएं। इससे पेट पर दबाव पड़ता है, जिससे शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है।
- पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाएं। इस दौरान डाइटिंग करने से बचना चाहिए।
- लंबे समय तक बैठे या खड़े नहीं रहना चाहिए।
- सिगरेट या शराब से दूरी बनाकर रखें।
- पपीता खाने से बचें।
- फास्ट फूड और जंक फूड खाने से बचें।
- सिरदर्द या बुखार आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई न खाएं।
- टाइट कपड़े न पहनें और प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें।
अगर आप भी प्रेग्नेंसी के पहले महीने के स्टेज में हैं, तो इन बदलावों को नोटिस कर सकती हैं। साथ ही, आपको ऊपर बताए गए सावधानियों को भी अपनाना चाहिए।