प्रेग्नेंसी हर महिला के जीवन का बेहद खास और सेंसिटिव समय होता है। इस दौरान प्रेग्नेंट महिला को न केवल अपनी सेहत का ध्यान रखना होता है, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु के पोषण और विकास के लिए भी सही खानपान चुनना जरूरी होता है। प्रेग्नेंसी में अक्सर महिलाओं को कमजोरी, थकान, एनीमिया, पाचन संबंधी दिक्कतें और भूख न लगने जैसी समस्याएं घेर लेती हैं। ऐसे में डाइट में ऐसे फूड्स शामिल करने की जरूरत होती है, जो पोषण से भरपूर होने के साथ-साथ आसानी से पच भी सकें। इन्हीं में से एक है काबुली चना यानी छोले (Chickpeas), जिसे आयुर्वेद और मॉडर्न न्यूट्रिशन साइंस दोनों ही प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बेहद लाभकारी मानते हैं।
छोले प्रोटीन, फाइबर, आयरन, फोलेट, मैग्नीशियम और जिंक जैसे पोषक तत्वों का खजाना है। प्रेग्नेंसी के दौरान यह मां को एनर्जी देता है, खून की कमी को दूर करता है और बच्चे के दिमाग व हड्डियों के विकास में मदद करता है। यही वजह है कि डॉक्टर और डाइटिशियन प्रेग्नेंट महिलाओं को काबुली चने को अलग-अलग तरीकों से डाइट में शामिल करने की सलाह देते हैं। इस लेख में जयपुर में स्थित Angelcare-A Nutrition and Wellness Center की निदेशक, डाइटिशियन एवं न्यूट्रिशनिस्ट अर्चना जैन (Archana Jain, Dietitian and Nutritionist, Director, Angelcare-A Nutrition and Wellness Center, Jaipur) से जानिए, प्रेग्नेंसी के दौरान चने को खाने के 6 हेल्दी तरीके कौन से हैं और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
प्रेग्नेंसी में छोले कैसे खाएं? - How To Eat Chickpeas During Pregnancy
1. अंकुरित छोले
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में खून की कमी आम समस्या है। ऐसे में अंकुरित छोले हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मददगार हैं क्योंकि इनमें आयरन और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। अंकुरित चनों में विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं और शरीर को इंफेक्शन से बचाते हैं। इन्हें सलाद की तरह टमाटर, प्याज, नींबू और हरा धनिया डालकर खाना हेल्दी और टेस्टी दोनों विकल्प है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको पेट से जुड़ी समस्याएं रहती हैं तो अंकुरित छोले का सेवन न करें, इससे पेट में गैस बन सकती है।
2. छोला सलाद
प्रेग्नेंसी में बार-बार भूख लगना सामान्य है। लेकिन अगर बार-बार ऑयली या जंक फूड खाया जाए तो यह नुकसानदायक हो सकता है। ऐसे में छोला सलाद एक बढ़िया विकल्प है। उबले हुए छोले, खीरा, टमाटर, गाजर और प्याज मिलाकर इसमें नींबू और हल्का नमक डालकर स्वादिष्ट सलाद बनाया जा सकता है। यह सलाद विटामिन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होता है, जो मां को एनर्जी देता है और बच्चे के विकास में सहायक होता है।
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3. छोला प्यूरी
अगर आप कुछ नया और हेल्दी ट्राई करना चाहती हैं तो छोला प्यूरी एक बेहतरीन विकल्प है। उबले हुए छोले को ऑलिव ऑयल, लहसुन और हल्के नमक के साथ ब्लेंड करके प्यूरी तैयार की जाती है, जिसे हमस (Hummus) भी कहा जाता है। इसे ब्रेड या चपाती के साथ खाया जा सकता है। इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स और प्रोटीन गर्भस्थ शिशु के दिमागी विकास और मां की मांसपेशियों की मजबूती में मदद करते हैं।
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4. छोला कटलेट
घर में भीगे और उबले छोले से आसानी से कटलेट तैयार किया जा सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं को दिनभर में कई बार भूख लगती है, ऐसे में शाम के नाश्ते में उबले छोले और पसंदीदा सब्जियों के साथ आसानी से कटलेट बनाकर खा सकते हैं।
5. छोले के आटे से बना चीला
छोले से बना आटा भी प्रेग्नेंसी डाइट का अच्छा हिस्सा हो सकता है। इस आटे का चीला, ढोकला प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए हेल्दी विकल्प हैं। इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन शरीर को पर्याप्त एनर्जी देते हैं। साथ ही, बेसन में फोलिक एसिड और आयरन की अच्छी मात्रा होती है, जो बच्चे के न्यूरोलॉजिकल विकास के लिए जरूरी है। हालांकि, ध्यान रहे कि इन डिशेज को कम तेल में ही तैयार करें।
निष्कर्ष
प्रेग्नेंसी के दौरान छोले डाइट में शामिल करना मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद लाभकारी है। यह प्रोटीन, आयरन, फोलेट और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो गर्भस्थ शिशु के विकास और मां की सेहत को मजबूत बनाते हैं। चाहे आप इन्हें भिगोकर खाएं, अंकुरित करके, सलाद, सूप या बेसन की डिशेज के रूप में – हर तरह से यह शरीर को आवश्यक पोषण और ऊर्जा प्रदान करते हैं। बस ध्यान रहे कि इन्हें संतुलित मात्रा में और सही तरीके से पकाकर ही सेवन करें।
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FAQ
छोले और काबुली चना में क्या अंतर है?
छोले और काबुली चना में कोई भी अंतर नहीं होता है बल्कि दोनों एक ही हैं। प्रोटीन से भरपूर छोले का सेवन कई तरीकों से किया जा सकता है।क्या प्रेग्नेंसी के दौरान छोले अच्छे होते हैं?
हां, प्रेग्नेंसी के दौरान छोले का सेवन महिला की सेहत के लिए बेहद लाभकारी होता है। प्रेग्नेंट महिला को प्रोटीन की जरूरत होती है और छोले में अच्छी मात्रा में प्रोटीन होता है।छोले को कितने समय के लिए भिगोना चाहिए?
छोले को कम से कम 8 घंटे तक या रातभर भिगोने के बाद ही खाना चाहिए। इससे ये आसानी से पकते भी हैं और पाचन में भी समस्या नहीं होती है।