
बचपन से हम सभी सुनते आ रहे हैं कि एक मां बच्चे की पहली टीचर होती हैं। मां अपने बच्चे को जीवन जीने का सलीका सीखाने के अलावा उन्हें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करती हैं। लेकिन, मां के साथ-साथ पिता भी अपने बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। जिस तर एक मां अपने बच्चे को प्यार, देखभाल और सुरक्षा देती है, ठीक उसी तरह पिता भी उनके जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाता है। आमतौर पर यह माना जाता है कि बच्चों की परवरिश सिर्फ एक मां करती है और उसकी ही जिम्मेदारी है। लेकिन, ऐसा नहीं है, बच्चे के विकास में पिता की भूमिका भी उतनी ही अहम है, जितना एक मां की। ऐसे में आइए जानते हैं कि गंगाराम हॉस्पिटल की सीनियर साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद से जानते हैं कि बच्चे के विकास में एक पिता की भूमिका क्या होती है? (What is the role of the father?)
बच्चे के विकास में पिता की क्या भूमिका होती है? - What is The Father's Role in Child Development in Hindi?
साइकोलॉजिस्ट आरती आनंद का कहना है कि, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, एक पिता अपने बच्चों के संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। एक्टिव पिता बेहतर संज्ञानात्मक विकास, भाषा कौशल और शिक्षा में मदद करते हैं। पिता की बच्चे के विकास में सकारात्मक भागीदारी बच्चे के बेहतर सामाजिक कौशल और व्यवहार से जुड़ा होता है। एक बच्चे के जीवन में पिता की भागीदारी बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होती है।
1. भावनात्मक समर्थन
पिता बच्चों के जीवन में इमोशनल सपोर्ट के रूप में एक अहम भूमिका निभाते हैं, जो बच्चों को इमोशनली मजबूत बनाते हैं। जब बच्चा कोई गलती करता है या किसी बात को लेकर डरता है तो पिता का साथ उन्हें सही रास्ता दिखाने में अहम रोल अदा करते हैं। एक पिता अपने बच्चों को यह महसूस कराता है कि चाहें कुछ भी हो जाए उनका पिता हमेशा उनके साथ और सपोर्ट में मौजूद है।
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2. अनुशासन और नियमों को समझाना
एक पिता अपने बच्चों को अनुशासन में रहना सिखाता है। वे उन्हें सही और गलत में फर्क करना समझाते हैं। जब बच्चा किसी गलत रास्ते पर जाता है तो पिता उसे सही दिशा दिखाने का काम करते हैं। पिता अपने बच्चों को समय की सही कीमत, मेहनत का महत्व और जिम्मेदारी सिखाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
3. सही इंसान बनने की प्रेरणा
एक पिता अपने बच्चों के लिए आदर्श और प्रेरणा के स्रोत होते हैं। बच्चे अपने पिता को देखकर ही सही जीवन जीना सीखते हैं। अगर पिता ईमानदार, मेहनती और सहनशील है तो बच्चा भी अपने पिता के गुणों को अपनाने की कोशिस करते हैं।
4. पढ़ाई में भागीदारी
आज के समय में बच्चे को पढ़ाना सिर्फ मां की जिम्मेदारी नहीं रह गई है। बल्कि पिता भी अपने बच्चे को पढ़ाने के लिए सिर्फ स्कूल की फीस ही नहीं भरते हैं, बल्कि उनका होमवर्क और प्रोजेक्ट्स बनवाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। मां की तरह की पिता की भी जिम्मेदारी होती है कि वे अपने बच्चे की पढ़ाई का पूरा ध्यान दें और उन्हें पढ़ाई का महत्व बताएं।
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5. आत्मनिर्भर बनाना
पिता अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना सिखाते हैं। वे उन्हें अपने जीवन के छोटे-छोटे फैसले लेने देते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास ज्यादा बढ़ता है। बच्चा स्कूल में कौन-सी एक्टिविटी चुनना चाहता है, क्या पहनना चाहता है, किन लोगों को अपना दोस्त बनाना चाहता है। यह सभी फैसले एक पिता अपने बच्चों पर छोड़कर उन्हें आगे के जीवन के लिए आत्मनिर्भर बनना सिखाने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष
बच्चों के विकास में पिता एक अहम भूमिका निभाने में उतने ही अहम होते हैं, जितना एक मां। एक पिता न सिर्फ अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं, बल्कि उन्हें समाज में एक अच्छा नागरिक बनने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
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