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बच्चों को स्ट्रेस फ्री कैसे रखें? डॉक्टर से जानें ये 5 आसान टिप्स

आज की तेज रफ्तार जिंदगी में सिर्फ बड़े ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे बच्चे भी तनाव यानी स्ट्रेस (Stress) का शिकार हो रहे हैं। यहां जानिए, बच्चों को स्ट्रेस फ्री कैसे रखें? 
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बच्चों को स्ट्रेस फ्री कैसे रखें? डॉक्टर से जानें ये 5 आसान टिप्स


आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव (Stress) सिर्फ बड़ों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। जहां एक तरफ माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई, खेल और हर क्षेत्र में आगे बढ़ें, वहीं दूसरी तरफ यही दबाव बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य यानी मेंटल हेल्थ पर असर डालता है। पहले के समय में बच्चों का जीवन खुला-खुला और तनावमुक्त होता था, लेकिन आज बदलते दौर में परिस्थितियां कुछ और हैं। स्कूल का होमवर्क, एग्जाम का डर, कॉम्पिटिशन, कोचिंग क्लासेस, स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया की आदत, ये सब मिलकर बच्चों के मन पर बोझ डालते हैं। बचपन वह समय होता है जब दिमाग सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है। अगर इस उम्र में बच्चे लगातार दबाव महसूस करते हैं तो इसका असर उनकी पढ़ाई, सोचने-समझने की क्षमता, व्यवहार और यहां तक कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है। इस लेख में एनआईटी फरीदाबाद में स्थित संत भगत सिंह महाराज चैरिटेबल हॉस्पिटल के जनरल फिजिशियन डॉ. सुधीर कुमार भारद्वाज (Dr. Sudhir Kumar Bhardwaj, General Physician, Sant Bhagat Singh Maharaj Charitable Hospital, NIT Faridabad) से जानिए, 5 आसान और असरदार तरीके, जिनसे बच्चों को तनावमुक्त रखा (baccho ko stress free kaise kare) जा सकता है और उनका बचपन बेहतर बनाया जा सकता है।

बच्चों को स्ट्रेस फ्री कैसे रखें? - How To Keep Kids Stress Free

1. बच्चों से खुलकर बात करें

बच्चों में तनाव का सबसे बड़ा कारण होता है कि वे अपनी भावनाओं को खुलकर किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते। अगर वे उदास हैं, परेशान हैं या डर रहे हैं, तो अक्सर माता-पिता को बताने से कतराते हैं। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे रोजाना कुछ समय बच्चों के साथ बैठकर उनसे बातचीत करें और उनसे पूछें कि उनका दिन कैसा बीता। स्कूल या दोस्तों से जुड़ी बातें सुनें और उन्हें जज करने या डांटने के बजाय सहानुभूति से समझें। जब बच्चा अपनी भावनाएं शेयर करता है तो उसका मानसिक बोझ हल्का हो जाता है और उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

2. स्क्रीन टाइम पर कंट्रोल

आजकल मोबाइल, टैबलेट और टीवी बच्चों के जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं। लेकिन ज्यादा स्क्रीन टाइम मानसिक और शारीरिक दोनों स्वास्थ्य पर असर डालता है। ज्यादा देर मोबाइल देखने से बच्चों में नींद की समस्या, आंखों में दर्द और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है वहीं हिंसक गेम्स और वीडियो देखने से उनका मूड प्रभावित होता है। इसलिए बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करें और उसकी जगह उन्हें आउटडोर गेम्स, किताबें पढ़ने या पेंटिंग जैसी एक्टिविटीज में शामिल करें।

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3. फिजिकल एक्टिविटी में बिजी रखें

बच्चों के लिए खेलना सिर्फ एंटरटेनमेंट नहीं बल्कि स्ट्रेस कम करने का सबसे आसान तरीका है। खेलकूद से उनका मूड अच्छा होता है और दिमाग में खुश करने वाले हार्मोन डोपामाइन और सेरोटोनिन रिलीज होते हैं। इसलिए रोजाना कम से कम 1 घंटा बच्चों को दौड़ने, साइकिल चलाने, बैडमिंटन या फुटबॉल जैसे गेम खेलने के लिए आगे बढ़ाएं। अगर बाहर खेलने का मौका न मिले तो घर के अंदर योग और डांस जैसी एक्टिविटीज पेरेंट्स साथ में करवा सकते हैं।

How To Keep Kids Stress Free

4. सही डेली रूटीन

अगर बच्चों की नींद पूरी नहीं होती तो वे थके-थके रहते हैं और छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगते हैं। डॉक्टर के मुताबिक, 6 से 12 साल के बच्चों को 9-12 घंटे की नींद जरूरी होती है। बच्चों का डेली रूटीन सुधारें और सोने और उठने का समय नियमित रखें। सोने से पहले मोबाइल और टीवी बंद कर दें ताकि बच्चे के दिमाग को आराम मिल सके। सही नींद से बच्चों का मूड बेहतर होता है, उनकी एकाग्रता यानी फोकस बढ़ता है और तनाव काफी हद तक कम होता है।

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5. पॉजिटिव माहौल

बच्चे जैसा वातावरण देखते हैं वैसा ही व्यवहार अपनाते हैं। अगर घर में हमेशा तनाव, झगड़े या नकारात्मक बातें होंगी तो बच्चे भी मानसिक दबाव महसूस करेंगे। बच्चों के सामने पॉजिटिव बातें करें और उनकी छोटी-छोटी उपलब्धियों की तारीफ करें और पढ़ाई और रिजल्ट को लेकर उन पर ज्यादा दबाव न डालें। बच्चों को सिखाएं कि असफलता जीवन का हिस्सा है और उससे सीखकर आगे बढ़ना ही असली सफलता है।

निष्कर्ष

बच्चों को स्ट्रेस फ्री रखना आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। अगर माता-पिता उनके साथ समय बिताएं, उनकी बातें सुनें, स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करें, खेलकूद और नींद पर ध्यान दें, हेल्दी डाइट दें और घर में पॉजिटिव माहौल बनाएं, तो बच्चे मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे।

All Images Credit- Freepik

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