8 साल की बच्ची सिया, जो बार-बार बिना टोके पानी में खेलते वक्त अपने जूते गीले कर देती थी। उसकी मां ने बार-बार समझाने के बजाय FAFO तरीका अपनाया। उन्होंने सिया को खुद ही खेलने दिया। जब सिया के गीले जूतों से पैरों में जलन हुई और अगली बार स्कूल जाने में परेशानी हुई, तो उसने खुद से समझा कि उसे ऐसे वक्त में पानी में नहीं खेलना चाहिए। यह अनुभव आधारित सीख थी, जिसमें टोके बिना बच्ची ने खुद गलती से सीखा और अगली बार सतर्क रही। यही एफएएफओ पेरेंटिंग की खासियत है, बिना डांटे बच्चे को जिंदगी के छोटे फैसले खुद लेने देना और उनके नतीजों से सीखने देना।
बचपन में आपने भी अपने पेरेंट्स को यह कहते हुए सुना होगा कि ये मत करो, गिर जाओगे! या हाथ मत लगाओ, जल जाएगा!, लेकिन अब पेरेंटिंग का ट्रेंड बदल रहा है। आजकल एफएएफओ (FAFO) यानी एफ*** अराउंड, फाइंड आउट पेरेंटिंग स्टाइल दुनियाभर में पॉपुलर हो रहा है। यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसमें बच्चों को छोटी-छोटी गलतियों से खुद सीखने का मौका दिया जाता है, बजाय उन्हें हर बार रोकने-टोके के। लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद ने बताया कि यह स्टाइल बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बेहतर माना जा रहा है। इससे उनमें आत्मनिर्भरता, निर्णय लेने की क्षमता और रिस्क मैनेजमेंट जैसी स्किल्स जल्दी डेवल्प होती हैं। माता-पिता बच्चों को छोटी गलती करने देते हैं, ताकि वो खुद अनुभव कर सकें कि क्या सही है और क्या नहीं। यह तरीका न सिर्फ बच्चों के लिए सेहतमंद है, बल्कि पेरेंट्स के स्ट्रेस को भी कम करता है। आइए जानते हैं इसे विस्तार से।
एफएएफओ पेरेंटिंग क्या है?- What is FAFO Parenting
एफएएफओ पेरेंटिंग का मतलब है कि आप बच्चों को हर छोटी बात पर रोकने या टोकने के बजाय उन्हें खुद अनुभव करने दें। यह पेरेंटिंग स्टाइल बच्चों को गाइड करता है, कंट्रोल नहीं करता। इसका उद्देश्य यह नहीं है कि बच्चे के मन पर चोट पहुंचे, बल्कि यह सुनिश्चित करना कि बच्चा अपनी सीमाओं को खुद समझे।
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शरीर और स्वास्थ्य पर एफएएफओ पेरेंटिंग का प्रभाव- Impact of FAFO Parenting on Physical Health
बच्चों को छोटे-छोटे फिजिकल रिस्क (जैसे मिट्टी में खेलने देना) उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाता है। यह तरीका ओवरप्रोटेक्टिव पेरेंटिंग की तुलना में बच्चों को ज्यादा एक्टिव और रिस्पॉन्सिव बनाता है।
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मानसिक विकास पर एफएएफओ पेरेंटिंग का प्रभाव- Impact of FAFO Parenting on Mental Health
एफएएफओ पेरेंटिंग बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ाती है। जब बच्चा खुद कोई अनुभव करता है, तो उसके दिमाग में उस अनुभव से जुड़ी लर्निंग होती है। यह तरीका एंग्जाइटी और स्ट्रेस को भी कम करता है, क्योंकि बच्चा हर बार डांट या टोक का शिकार नहीं बनता।
बच्चों में आत्मनिर्भरता बढ़ती है- FAFO Parenting Make Them Independent
एफएएफओ पेरेंटिंग बच्चों को ट्राई और लर्न करने का माहौल देती है। इससे वे छोटी उम्र से ही अपने फैसले खुद लेना और उनसे सीखना शुरू करते हैं। यह आगे चलकर उन्हें जिम्मेदार और आत्मनिर्भर इंसान बनने में मदद करता है।
पेरेंट्स के लिए भी फायदेमंद है एफएएफओ पेरेंटिंग- Benefits of FAFO Parenting For Parents
हर समय बच्चों को टोकने से पेरेंट्स भी परेशान होते हैं। एफएएफओ पेरेंटिंग से पेरेंट्स रिलैक्स रहते हैं और उन्हें अपने बच्चों की लर्निंग प्रक्रिया पर ज्यादा भरोसा होता है।
क्या एफएएफओ पेरेंटिंग सुरक्षित है?- Is FAFO Parenting is Safe
हां, एफएएफओ पेरेंटिंग करना सुरक्षित है। जानलेवा या खतरनाक स्थितियों (जैसे आग, तेज धारदार चीजें, ऊंचाई से गिरना) में बच्चों को खुद सीखने देना गलत है। इस पेरेंटिंग का इस्तेमाल सेफ बाउंड्री में ही करना चाहिए।
एफएएफओ पेरेंटिंग एक नया और असरदार तरीका है, जो बच्चों को मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाता है। जब बच्चे छोटी-छोटी गलतियों से सीखते हैं, तो वे जिंदगी की बड़ी चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटते हैं।
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FAQ
पेरेंटिंग का मतलब क्या होता है?
पेरेंटिंग का मतलब बच्चे की परवरिश, देखभाल और सही मार्गदर्शन करना होता है ताकि वह एक जिम्मेदार, भावनात्मक रूप से संतुलित और समझदार इंसान बन सके।पॉजिटिव पेरेंटिंग क्या है?
पॉजिटिव पेरेंटिंग वह तरीका है जिसमें प्यार, समझ और सम्मान के साथ बच्चे की गलतियों को सिखाने के अवसर में बदला जाता है, और वो भी बिना सजा या डर के।अच्छे पालन-पोषण के क्या फायदे हैं?
अच्छे पालन-पोषण से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है, वे भावनात्मक रूप से मजबूत बनते हैं और जीवन में सही फैसले लेने में सक्षम होते हैं।