स्कूल जाने की उम्र के बच्चे न केवल शारीरिक रूप से विकसित हो रहे होते हैं, बल्कि उनके अंदर भावनात्मक और मानसिक बदलाव भी तेजी से होते हैं। ऐसे में कई बार पेरेंट्स यह देखकर हैरान हो जाते हैं कि उनका बच्चा अचानक गुस्सैल, चिड़चिड़ा या बहुत शांत क्यों हो गया है। बच्चों में मूड स्विंग्स और चिड़चिड़ापन होना आज के समय में एक आम समस्या बन चुकी है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं- जैसे पढ़ाई का स्ट्रेस, नींद की कमी, दोस्तों से तालमेल की दिक्कत या कभी-कभी पोषण की कमी और हेल्थ समस्याएं भी। पैरेंट्स अक्सर इसे बच्चों की बदतमीजी समझकर उन्हें डांटने लगते हैं, लेकिन ऐसा करना स्थिति को और बिगाड़ सकता है। बच्चों की भावनाओं को समझकर, उनके व्यवहार के पीछे छिपे कारणों की पहचान करना और कुछ आसान तरीके अपनाना इस स्थिति से बाहर निकलने में मदद कर सकता है। इस लेख में उन्हीं उपायों को विस्तार से जानेंगे, जिससे आप अपने बच्चे को मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बना सकते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
1. फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ावा दें- Promote Physical Activity
बच्चों के शरीर में जमा एनर्जी को सही दिशा देने के लिए उन्हें रोजाना खेलने, दौड़ने या साइकलिंग जैसे फिजिकल एक्टिविटी में शामिल करना जरूरी है। रिसर्च से पता चलता है कि फिजिकल एक्टिविटी बच्चों में एंडोर्फिन हार्मोन रिलीज करती है, जो मूड बेहतर बनाता है। हर दिन कम से कम 45 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी करने से बच्चों में चिड़चिड़ेपन की समस्या को कम कर सकती है।
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2. बच्चों की डाइट पर नजर रखें- Watch Their Diet
बच्चों की डाइट का सीधा असर उनके मूड पर पड़ता है। ज्यादा शुगर, जंक फूड या कैफीन युक्त ड्रिंक्स उन्हें हाइपरएक्टिव और थका हुआ बना सकते हैं। वहीं प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, फल-सब्जियां और भरपूर पानी बच्चों के दिमाग को शांत और स्थिर रखते हैं।
3. सोने का रूटीन सेट करें- Set a Consistent Sleep Routine
नींद की कमी बच्चों में मूड स्विंग्स (Mood Swing) का बड़ा कारण है। हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें। 6 से 12 साल के बच्चों के लिए 9 से 12 घंटे की नींद जरूरी होती है। अच्छी नींद उनका मानसिक संतुलन बनाए रखती है।
4. स्क्रीन टाइम को सीमित करें- Set Screen Time Limit
ज्यादा मोबाइल या टीवी देखने से बच्चों का दिमाग ओवरस्टिम्युलेट हो जाता है, जिससे वे आसानी से चिड़चिड़े और बेचैन हो सकते हैं। 5 से 10 साल के बच्चों का स्क्रीन टाइम रोजाना 1 से 1.5 घंटे तक सीमित रखें और सोने से पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं।
5. खुलकर बात करें- Encourage Open Communication
बच्चा अगर अपने डर, नाराजगी या उलझन आपके साथ शेयर करता है, तो वह भावनात्मक रूप से हल्का महसूस करता है। रोज कुछ मिनट उसे ध्यान से सुनें। इससे वह आपको अपना सपोर्ट सिस्टम मानेगा। बच्चों को हर वक्त डांटने से बचना चाहिए, इससे बच्चे, आपके साथ कनेक्ट नहीं कर पाएंगे।
6. हेल्थ चेकअप जरूर करवाएं- Health Check Up For Kids
कभी-कभी आयरन की कमी, थायराइड, पेट में कीड़े या न्यूरोलॉजिकल समस्याएं भी बच्चों के व्यवहार को प्रभावित कर सकते हैं। अगर चिड़चिड़ापन लगातार बढ़ रहा है, तो एक बार डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं। सही इलाज से व्यवहार में बदलाव आ सकता है।
7. बच्चे की तुलना किसी के साथ न करें- Don’t Compare Your Kids
बच्चों की तुलना किसी और से करने पर उनका आत्मविश्वास टूटता है और वे गुस्से में आ सकते हैं। उनके छोटे प्रयासों की सराहना करें और यह भरोसा दिलाएं कि गलती करना भी सीखने का हिस्सा है। इससे वे शांत, खुश और स्थिर रहेंगे।
स्कूल जाने वाले बच्चों में मूड स्विंग और चिड़चिड़ापन होना आज के समय में आम है, लेकिन इससे डरने की जरूरत नहीं है। सही देखभाल, बातचीत और जीवनशैली में छोटे बदलाव करके बच्चे को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाया जा सकता है।
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FAQ
मूड स्विंग का क्या कारण है?
मूड स्विंग हार्मोनल बदलाव, नींद की कमी, तनाव, पोषण की कमी या किसी मानसिक समस्या जैसे डिप्रेशन की वजह से हो सकता है।मूड स्विंग की पहचान कैसे करें?
बार-बार मूड बदलना, छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन, अचानक उदासी या गुस्सा आना और एनर्जी या नींद के पैटर्न में बदलाव मूड स्विंग की पहचान हो सकते हैं।खराब मूड से कैसे निपटें?
खराब मूड में टहलें, गहरी सांस लें, किसी भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें या कोई पसंदीदा एक्टिविटी करें जैसे डांस करना, ये उपाय राहत दे सकते हैं।