मॉडर्न लाइफस्टाइल और अनियमित खानपान के कारण शरीर में विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन्स जमा हो जाते हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। आयुर्वेद में शरीर को डिटॉक्स करने के लिए दो प्रमुख पद्धतियां बताई गई हैं, शोधन और शमन। शोधन गहन डिटॉक्स प्रक्रिया है, जबकि शमन एक धीरे-धीरे प्रभाव डालने वाला तरीका है। शरीर के अंग जैसे लिवर, किडनी और आंत प्राकृतिक रूप से डिटॉक्सिफिकेशन का काम करते हैं, लेकिन जब टॉक्सिन्स की मात्रा अधिक हो जाती है, तो ये अंग ठीक से काम नहीं कर पाते। इसके कारण थकान, त्वचा की समस्याएं, पाचन में गड़बड़ी, वजन बढ़ना और इम्यूनिटी में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस लेख में आयुर्वेदिक डॉक्टर निधि पंड्या से जानिए शरीर को डिटॉक्स करने के 7 स्टेप्स, जिन्हें फॉलो करके आपको लाभ मिल सकता है।
शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करने के तरीके
1. दीपन (पाचन अग्नि को बढ़ाना)
डिटॉक्स प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए सबसे जरूरी है पाचन अग्नि (डाइजेस्टिव फायर) को मजबूत करना। कमजोर पाचन शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमाव का मुख्य कारण बनता है।
इसे भी पढ़ें: सुबह खाली पेट पिएं ये 3 तरह की डिटॉक्स ड्रिंक्स, सेहत के लिए होती हैं फायदेमंद
कैसे करें दीपन?
हल्दी, अदरक और दालचीनी जैसे मसाले पाचन अग्नि को बढ़ाते हैं। खाना खाने से पहले अदरक के छोटे टुकड़े में नींबू और सेंधा नमक डालकर खाने से पाचन बेहतर होता है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और पेट की समस्याओं को दूर करता है।
2. पाचन (टॉक्सिन्स का पाचन करना)
पाचन प्रक्रिया को सही तरीके से काम करने देना डिटॉक्स का दूसरा चरण है। यह प्रक्रिया शरीर में मौजूद अम्लीय तत्वों और विषाक्त पदार्थों को तोड़ने का काम करती है।
कैसे करें पाचन?
त्रिफला, हर्बल चाय और गर्म पानी का सेवन पाचन को बेहतर बनाता है। यह प्रक्रिया शरीर को हल्का महसूस कराती है और अपच जैसी समस्याओं को ठीक करती है।
इसे भी पढ़ें: पेट की चर्बी कम करने के लिए पिएं ये 4 डिटॉक्स वॉटर, जानें बनाने का तरीका
3. लंघन (उपवास करना)
आयुर्वेद में उपवास को शरीर को शुद्ध करने का सबसे प्रभावी तरीका माना गया है। यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से राहत देने में मदद करता है।
कैसे करें लंघन?
सप्ताह में एक बार फल और जूस के साथ उपवास रखें और ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। यह शरीर को आराम देता है, पाचन तंत्र को सुधारता है और वजन को कंट्रोल करता है।
4. तृट (पानी का सही मात्रा में सेवन करना)
आयुर्वेद में पानी को सही तरीके से पीने पर जोर दिया गया है। ज्यादा या बहुत कम पानी पीना दोनों ही हानिकारक हो सकते हैं।
कैसे करें तृट?
सुबह खाली पेट गुनगुना पानी पिएं और दिनभर में सिप-सिप कर पानी पिएं। यह किडनी को साफ करता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।
5. आतप (सूर्य के संपर्क में आना)
आयुर्वेद में सूर्य के प्रकाश को स्वास्थ्य के लिए अमृत माना गया है। सुबह की धूप में बैठने से शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ता है।
कैसे करें आतप?
सुबह 7-9 बजे के बीच 15-20 मिनट धूप में बैठें। यह हड्डियों को मजबूत करता है और इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
6. व्यायाम (फिजिकल एक्टिविटी)
डिटॉक्स प्रक्रिया में शारीरिक गतिविधि यानी फिजिकल एक्टिविटी का विशेष महत्व है। यह शरीर को सक्रिय रखने और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है।
कैसे करें व्यायाम?
रोजाना 30 मिनट हल्की एक्सरसाइज करें, जैसे योग, तेज चलना या दौड़ना। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
7. अनिल (ताजा हवा लें)
ताजा हवा शरीर के ऑक्सीजन स्तर को सुधारती है और मस्तिष्क को शांति प्रदान करती है।
कैसे करें अनिल?
सुबह और शाम को खुले स्थान पर गहरी सांस लें। यह तनाव को कम करता है, दिमाग को शांत करता है और फेफड़ों को मजबूत बनाता है।
निष्कर्ष
आयुर्वेद के ये 7 उपाय न केवल शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करते हैं, बल्कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाते हैं। यदि आप अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इन उपायों को नियमित रूप से अपनाएं।
View this post on Instagram
All Images Credit- Freepik