How Do Screens Affect the Sleep Wake Cycle:हर चीज डिजिटल होने के साथ लोगों का ध्यान भी गैजेट्स की ओर काफी ज्यादा बढ़ रहा है। बच्चों में इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है। आजकल 4-5 साल की उम्र से ही बच्चों को स्क्रीन डिवाजेस इस्तेमाल करने आते हैं। यह चीजें देखने में जितनी क्यूट लगती हैं, उतना ही ये बच्चों के लिए नुकसानदायक भी होती हैं। बच्चों का स्क्रीन टाइम बड़ों के मुकाबले काफी अधिक होता है। वहीं, पढ़ाई के कारण भी आजकल बच्चों को स्क्रीन पर ज्यादा वक्त बिताना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं लगातार बढ़ता स्क्रीन टाइम बच्चों के लिए कैसे नुकसानदायक होता है? हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से बच्चों की स्लीप साइकिल पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चों की मेंटल हेल्थ को भी नुकसान होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं स्क्रीन टाइम बच्चों की स्लीप साइकिल से कैसे कनेक्ट है? इस बारे में जानने के लिए हमने नोएडा एक्सटेंशन के यथार्थ हॉस्पिटल के नेत्र विज्ञान (Ophthalmology) के कंसल्टेंट डॉ प्रार्थना आनंद से बात की।
स्क्रीन टाइम बच्चों की स्लीप साइकिल से कैसे कनेक्टेड है? How Screen Time Connected With Sleep Cycle
अगर बच्चा टीवी, मोबाइल और ऑनलाइन क्लासेस में अपना बहुत ज्यादा समय देता है, तो इससे उसकी स्लीप साइकिल में काफी असर पड़ता है-
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स्लीप साइकिल इर्रेगुलर स्लीप साइकिल इर्रेगुलर होना
बच्चा स्क्रीन पर जितना ज्यादा समय देगा उतना ही उसकी स्लीप साइकिल पर बुरा असर पड़ेगा। इस कारण बच्चे को सोने में परेशानी हो सकती है। स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से बच्चे को नींद पूरी न होने या सोने में परेशानी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस कारण बच्चे में थकावट और सुस्ती बनी रहती है।
बिहेवियर इशुज हो सकते हैं
स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने के कारण बच्चे की सोशल ग्रोथ रुक सकती है। बच्चा जितना ज्यादा समय टीवी, मोबाइल और लैपटॉप को देता है उतना ही वो अन्य चीजों से दूर होता जाता है। इसके कारण उसे दूसरी एक्टिविटी सीखने और सोशली कनेक्ट होने का समय भी नहीं मिल पाता है। स्क्रीन पर ज्यादा समय देने से बच्चे में अटेंशन प्रॉब्लम भी शुरू हो जाती हैं।
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नींद से जुड़ी समस्याएं
स्क्रीन पर ज्यादा समय देने के कारण बच्चे की नींद पूरी नहीं होगी। अगर यह आदत बन जाती है, तो इससे स्लीप पैटर्न बिगड़ सकता है। इसके कारण बच्चे को नींद से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। यह कम उम्र में ही बच्चों को नींद की बीमारियों का शिकार बना सकता है।
फोकस की कमी होना
पढ़ाई पर फोकस करने के लिए अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है। लेकिन अगर बच्चे की नींद पूरी नहीं होगी, तो उसके लिए पढ़ाई पर फोकस करना मुश्किल होता जाएगा। इससे बच्चे की पढ़ाई में परफॉर्मेंस भी स्लो होती जाएगी।
रिसर्च में बताया गया नींद और मेंटल हेल्थ में कनेक्शन
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ ने स्क्रीन टाइम का बच्चों की मेंटल हेल्थ पर असर जानने के लिए रिसर्च की है। रिसर्च में 9-10 की उम्र के बच्चों पर स्टडी की गई। इस रिसर्च से पता चला स्क्रीन टाइम ज्यादा होने से बच्चों की ओवरऑल ग्रोथ पर असर पड़ता है। इससे बच्चों की मेंटल हेल्थ खराब हो सकती है, बिहेवियर प्रॉबलम हो सकती हैं और अकेडमिक परफॉर्मेंस के साथ स्लीप साइकिल पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
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बच्चों में स्क्रीन टाइम कैसे कंट्रोल करें?
- बच्चों का स्क्रीन टाइम नोटिस करें। बच्चा स्टडी के अलावा कितना समय स्क्रीन पर लगा रहा है। इससे आपके लिए बच्चों का स्क्रीन टाइम कंट्रोल करना आसान होगा।
- सोने से करीब 1-2 घंटे पहले और खाना खाते वक्त बच्चों को सभी स्क्रीन डिवाइज से दूर रखें। इस वक्त फैमिली के साथ टाइम बिताना और सोने से पहले बुक करने की आदत बनाएं।
- ध्यान रखें कि आपका बच्चा अपनी उम्र के मुताबिक पर्याप्त नींद जरूर लें।
लेख में हमने जाना ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों की मेंटल हेल्थ को कैसे नुकसान कर सकता है। अगर बच्चों को शुरुआत से स्क्रीन टाइम कंट्रोल करना सिखाया जाए, तो इससे बच्चे में यह आदत बनी रहेगी।