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ये 5 संकेत बताते हैं नवजात शिशु में पीलिया ठीक हो रहा है, पैरेंट्स जरूर दें ध्यान

Signs Of Recovery From Jaundice In Newborns In Hindi: नवजात शिशु में पीलिया ठीक होने पर उसके मां का दूध पीने की फ्रिक्वेंसी बढ़ जाती है, वह स्वस्थ महसूस करता है और पर्याप्त नींद लेने लगता है।
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ये 5 संकेत बताते हैं नवजात शिशु में पीलिया ठीक हो रहा है, पैरेंट्स जरूर दें ध्यान

Jaundice In Newborns In Hindi: आपने अक्सर सुना होगा कि जन्म के तुरंत बाद कुछ नवजात शिशुओं को पीलिया हो जाता है। आपको बता दें कि पीलिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर पीला पड़ जाता है। असल में, जब शिशु के ब्लड में बिलीरुबिन का निर्माण होने लगता है, तो इसे जॉन्डिस (Navjat Shishu Me Jaundice) कहा जाता है। सवाल है, ऐसा क्यों होता है? वास्तव में नवजात शिशुओं का लिवर पूरी तरह विकसित नहीं होता है। बिलिरुबिन एक पीले रंग का पदार्थ है, जो तब बनता है, जब रेड ब्लड सेल्स टूटती हैं। लिवर का काम बिलिरुबिन को शरीर से बाहर निकालना होता है। लेकिन, नवजात शिशु का शरीर इतना सक्षम नहीं होता है या कहें लिवर इतनी विकसित नहीं होता है कि वह आसानी से बिलिरुबिन से छुटकारा पा ले। ऐसे में शरीर में बिलिरुबिन की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे शिशु का शरीर पीला पड़ने लगता है। इस बारे में हमने नवी मुंबई स्थित अपोलो अस्पताल के Lead consultant Pediatric Critical Care Specialist डॉ. नारजोहन मेश्राम से बात की।

कैसे जानें नवजात शिशु का पीलिया ठीक हो रहा है- Signs Of Recovery From Jaundice In Newborns In Hindi

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1. बच्चे की त्वचा रंग सामान्य हो रहा है

जॉन्डिस यानी पीलिया (navjaat shishu ko jaundice) होने पर बच्चे का रंग पीला पड़ जाता है। इसलिए, पैरेंट्स को चाहिए कि वे सबसे यह नोटिस करें कि बच्चे की त्वचा रंग कैसा है? अगर उसकी त्वचा का रंग अब सामान्य हो गया है यानी पीलापन कम हो गया है, तो यह इस बात की ओर इशारा करता है कि अब शिशु का पीलिया ठीक हो रहा है। विशेषकर, उसकी आंखों की जांच करें। अगर आंखों का रंग सामान्य हो गया है, तो समझने में देरी न करें कि शिशु अब स्वस्थ हो रहा है।

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2. स्तनपान करने लगा है

जॉन्डिस होने पर अक्सर बच्चे चिड़चिड़े, असहज हो जाते हैं। इस स्थिति में वे ज्यादातर समय रोते रहते हैं। अगर पैरेंट्स नोटिस करें कि बच्चे ने अब रोना कम कर दिया है। इसके अलावा, ब्रेस्टफीड करने में परेशान नहीं हो रहा है। यह बात भी इस ओर इशारा करती है कि शिशु के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। ध्यान रखें कि जॉन्डिस होने पर भी शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। शिशु जितना ज्यादा मां का दूध पिएगा, उसकी रिकवरी उतनी ज्यादा होगी।

3. सामान्य मल त्याग करना

ध्यान रखें कि शिशु एक दिन में कई बार मल त्याग करता है। कई बार स्थिति इसके उलट भी हो सकती है। इसका मतलब है कि कभी-कभी शिशु कई-कई दिनों तक मल त्याग नहीं करता है।  बहरहाल, जॉन्डिस के दौरान शिशु के मल का रंग बदल जाता है। इसलिए, पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे शिशु के मल त्याग प्रक्रिया पर नजर रखें। जब शिशु सामान्य तरीके से मल त्याग कर रहा है, तो समझ जाएं कि उसका स्वास्थ्य अब बेहतर हो रहा है।

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4. पर्याप्त नींद ले रहा है

नवजात शिशु 24 घंटे में करीब 12 से 17 घंटे सोते हैं। हालांकि उनकी नींद बहुत लंबी नहीं होती है। वे करीब 20-25 मिनट सोने के बाद उठ जाते हैं। इसके बाद नींद से उठते हैं, दूध पीते हैं और फिर दोबारा सो जाते हैं। नवजात शिशुओं का रोजमर्रा की जिंदगी ऐसी ही चलती है। लेकिन, जॉन्डिस होने पर बच्चा पर्याप्त नींद नहीं ले पाता है। वह रोता रहता है। उसकी नींद पूरी नहीं होती है। वहीं, जॉन्डिस से रिकवरी होने पर बच्चों के स्लीप साइकिल में सुधार होने लगता है। यह भी अच्छी बात की ओर संकेत करता है।

5. बिलिरुबिन का स्तर कम होना

नवजात शिशु के शरीर में बिलिरुबिन का स्तर कम होने पर जॉन्डिस अपने आप ठीक होने लगता है। ध्यान रखें, जॉन्डिस एक ऐसी बीमारी है, जो कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है। अगर किसी नवजात शिशु को गंभीर रूप से जॉन्डिस हो गया है, तो उन्हें फोटोथेरेपी की मदद से ट्रीटमेंट करवाया जाता है। यह बिल्कुल सुरक्षित तरीका है। बहरहाल, जैसे ही शिशु के शरीर में बिलिरुबिन का स्तर कम होने लगता है, उसके स्वास्थ्य में सुधार नजर आने लगता है।

All Image Credit: Freepik

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