
बच्चे के जन्म के बाद माता पिता के जीवन में अलग ही ख़ुशी होती है। ये ख़ुशी किसी उत्साह से कम नहीं होती। जब उसकी स्किन थोड़ी भी पीली दिखने लगती है तो अपने नवजात को लेकर माता पिता अत्याधिक चिंतित हो जाते हैं। दरअसल यह पीलापन पीलिया के रूप में जाना जाता है (Jaundice)। डॉ. सुमित गुप्ता , पीडियाट्रिशियन कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल, बताते हैं कि ये समस्या आमतौर पर ज्यादातर बच्चों में देखी जाती है। लेकिन कुछ मामले ऐसे होते होते हैं, जिनमें ये स्थिति काफी गंभीर रूप ले लेती है। ऐसे में जरूरत होती है तो सही चिकित्सक सलाह की। जिससे बच्चे को पीलिया से बचाने के लिए सही इलाज मिल सके। नए मां-बाप के लिए यह जानना भी जरूरी है कि शिशु में पीलिया के लक्षणों को कैसे पहचानें, इसके खतरे क्या हैं और किस तरह इस बीमारी का इलाज किया जा सकता है।
क्या है पीलिया? (What is Jaundice in Babies)
नवजात बच्चे में पीलिया होने का कारण बिलीरूबिन नामक पदार्थ का शरीर में ज्यादा हो जाना है। ये ज्यादातर लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) के कम होने से होता है। इससे छुटकारा पाने के लिए नवजात बच्चे में थोड़ा समय लग सकता है। हालंकि नवजात बच्चे में किसी व्यस्क के शरीर की तुलना में ज्यादा लाल कोशिकाएं होती हैं। देखा जाए तो पीलिया बच्चों में दो से पांच दिन में होता है। जो लगभग एक-दो हफ्ते तक रहता है। वास्तव में तो नवजात के लिए बिलीरुबिन (Bilirubin acts as an antioxidant) एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो उसे संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। क्योंकि बच्चा अब गर्भ के सुरक्षा कवच से बाहर आ चुका है। इसलिए भी माता-पिता को थोड़े पीलेपन के लिए चिंतित नहीं होना चाहिए।
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शिशु में पीलिया का कारण
नवजात शिशु को पीलिया होने के क्या कारण हैं वो भी जान लीजिये।
- पानी की कमी और कैलोरी की मात्रा का सही ना होना।
- किसी तरह के संक्रमण का शरीर में फैलना।
- स्तनपान में समस्या होना।
- शरीर में लाल कोशिकाओं का टूटना।
- लिवर से जुड़ी समस्या।
- आनुवांशिक समस्या के चलते पीलिया होना।
शिशु में पीलिया के लक्षण (Symptoms of Jaundice in Babies)
शरीर में जब बिलीरुबिन Bilirubin) का स्तर ज्यादा हो जाता है तो ये दिमाग तक को प्रभावित कर सकता है। हालंकि ऐसा बहुत ही कम होता है। लेकिन कई स्थितियां ऐसी भी होती हैं जिनमें बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने लगता है। तो चलिए अब पीलिया के कुछ लक्षण भी जान लीजिये।
- बच्चे की त्वचा का रंग ज्यादा पीला (yellow) दिखने लगे।
- जब बच्चा ज्यादा सो रहा हो और खाने के लिए भी ना उठे।
- बच्चा काफी चिड़चिड़ा (fussy) हो जाए।
- बच्चे को अक्सर बुखार रहे और वो उल्टी (vomiting) करे।
- बहुत ज्यादा या बहुत कम पेशाब या मल त्याग (isn’t wetting or more wetting diapers)

कैसे किया जाए इलाज (How to Treat Jaundice in Babies)
बच्चों में पीलिया का इलाज काफी आम है। जो लगभग सभी लोग जानते हैं। जब हालत चिंताजनक होने लगती है तो फोटोथेरेपी (Phototherapy) का इस्तेमाल किया जाता है। जिसमें बच्चे को एक विशेष प्रकाश के नीचे रखा जाता है। जिससे शरीर बिलकुल ठीक होने लगता है। ये उपचार काफी सुरक्षित है। वहीं स्तनपान (Feeding) थेरेपी के जरिये भी बच्चे के शरीर में बढ़े हुए बिलीरुबिन से छुटकारा पाया जा सकता है। बच्चे को बार बार दूध पिलाने से पीलिया की समस्या से निजात पाया जा सकता है। शोध के मुताबिक 24 घंटे की अवधि में बच्चे के मल (stools) और मूत्र (Urine) के जरिये पीलिया को निकाला जा सकता है। बच्चे का मल और मूत्र का रंग जब तक हल्का नहीं हो जाता तब तक उसका निरंतर उपचार करते रहें।
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माता-पिता को जानकारी होना जरूरी (What Parents should know about Jaundice in Newborn)
जब भी माता पिता अपने बच्चे को अस्पताल से घर ले जाएं तो अपने बच्चे के पीलिया पर नजर बनाएं रखें। बच्चे का रंग गहरा है तो पीलिया की पहचान करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन अगर अपने बच्चे की स्किन को हल्का सा दबायेंगे (skin paler) तो, आप पीलिया होना या ना होना पहचान सकते हैं। पीलिया चेहरे से नीचे की ओर फैलता है। क्योंकि बिलीरुबिन स्तर लगातार बढ़ता है।
अगर आपका बच्चा नवजात है और उसे पीलिया है तो आप बिलकुल भी परेशान या तनाव में ना आएं। हम चिकित्सा के मामले में काफी आगे बढ़ चुके हैं। जिसमें बच्चे की पीलिया का उपचार बेहद आसान हो चुका है। यह बहुत ही आम है। फिर भी घबराने से अच्छा है इलाज।
डॉ सुमित गुप्ता, पीडियाट्रिशियन, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल गाजियाबाद से बातचीत पर आधारित
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