नवजात शिशु में पीलिया के होते हैं ये खास लक्षण, ऐसे पहचानें

शिशुओं को पीलिया, युवाओं से अधिक गंभीर होता है, इसलिए उन्हें पीलिया से बचाने के लिए खास ख्‍याल रखने की आवश्‍यकता होती है। आमतौर पर पीलिया का पता वायरस के प्रभावित करने के दो से चार हफ्ते बाद लगता है।
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नवजात शिशु में पीलिया के होते हैं ये खास लक्षण, ऐसे पहचानें

नवजात शिशुओं को पीलिया का खतरा अधिक होता है। पीलिया एक संक्रामक रोग है, जो कि वायरस के कारण होता है। पीलिया में शिशुओं की देखभाल करना आसान नहीं होता है। शिशुओं को पीलिया, युवाओं से अधिक गंभीर होता है, इसलिए उन्हें पीलिया से बचाने के लिए खास ख्‍याल रखने की आवश्‍यकता होती है। आमतौर पर पीलिया का पता वायरस के प्रभावित करने के दो से चार हफ्ते बाद लगता है।

शिशुओं में पीलिया का कारण

नवजात शिशुओं में पीलिया होने के पीछे भी ठोस कारण हैं। दरअसल जब नवजात इस दुनिया में आता है तो शिशु के शरीर में रेड बल्ड सेल्स की मात्रा बहुत अधिक होती है यानी शिशु के रक्तो में बिलिरूबीन सेल्स की अधिकता होती है और जब ये अतिरिक्ति सेल्स टूटने लगते हैं तो नवजात शिशु को पीलिया हो जाता है।

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शिशुओं में पीलिया के लक्षण

शिशु में पीलिया की शुरूआत उसके सिर से होती है। सबसे पहले शिशु का चेहरा पीला पड़ जाता है। उसके बाद यह सीने और पेट में भी फैल जाता है और सबसे अंत में यह पैरों में फैलता है। शिशु की आंखे भी पीली हो जाती हैं। पीलिया के लक्षण शिशु में जितनी देरी से पता चलेंगे खतरा उतना ज्यादा बढ़ेगा। शिशु में अगर पीलिया 14 दिन से ज्यादा रहता हैं तो उसके परिणाम घातक हो सकते हैं। समय पर शिशु में पीलिया की जांच न हो पाने पर बच्चा मानसिक रूप से बीमार हो सकता है। शिशु में अगर पीलिया के लक्षण दिखें तो चिकित्स‍क से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

शिशुओं में कैसे पहचानें पीलिया के लक्षण

अच्छी रोशनी वाली कमरे में शिशु की छाती को हल्के से दबाएं। दबाव हटाते समय अगर शिशु की त्वचा में पीलापन लगे, तो अपने डॉक्टर से बात करें। साफ रंगत वाले शिशुओं पर यह तकनीक बेहतर परिणाम देती है। अन्य शिशुओं में पीलिया की जांच के लिए देखें कि उनकी आंखों के सफेद हिस्से, नाखूनों, हथेलियों या मसूढ़ों में पीलापन तो नहीं है।

शिशुओं के पीलिया की जांच

  • नवजात शिशु में पीलिया खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने के कारण होता है।
  • अगर मां का खून आरएच निगेटिव है और पिता का आरएच पॉजिटिव तो पीलिया होने की संभावना ज्यादा होती है।
  • नवजात में पीलिया की जांच के लिए शिशु के खून के नमूने की जांच की जाती है।
  • सबसे पहले लैब में बच्चे के ब्लड ग्रुप की जांच की जाती है।
  • शिशु की कंपलीट ब्लड काउंटिंग (सीबीसी) की जाती है।
  • शिशु के बिलिरूबीन (यह एक केमिकल है जो कि लाल रक्त  कोशिकाओं के टूटने से निकलता है) के स्तर की जांच की जाती है।
  • शिशु में बिलिरूबीन का स्तर ज्यादा होने से दिमाग तक को नुकसान हो सकता है।

समय से पहले जन्मे शिशुओं को अधिक खतरा

नवजात शिशुओं के समय से पहले जन्म होने के कारण भी पीलिया होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा नवजात में पीलिया का कारण मां और बच्चे के ब्लड ग्रुप का अलग-अलग होना या असामान्य होना भी है। या फिर शिशु को किसी प्रकार के संक्रमण के कारण भी पीलिया होने की आशंका रहती है। हालांकि नवजात शिशुओं में होने वाला पीलिया बहुत खतरनाक नहीं होता और इसका उपचार भी संभव है लेकिन कई बार नवजात शिशुओं में एक सप्ताह से अधिक पीलिया होने या फिर पीलिया के दौरान बहुत तबियत खराब होती है तो नवजात को मानसिक या कोई गंभीर शारीरिक बीमारी भी हो सकती है। बहुत से शिशुओं में ये अपने आप भी ठीक हो जाता है। कई बार नवजात शिशु को पीलिया जन्म के कुछ घंटों बाद ही तो कुछ में तीसरे-चौथे दिन से लेकर एक सप्ताह के बीच भी हो सकता है।

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