
बहुत से लोग नवजात शिशुओं के मल को देखकर कंफ्यूज रहते हैं। कुछ शिशुओं में काला मल, कुछ में पीला तो कुछ में कई बार हरा और भूरा मल भी देखा जाता है। शुरुआती तौर पर शिशु के मल का रंग काला होता है। दूध पीने के बाद कई बच्चों के मल का रंग हल्का संतरी भी होता है। इसलिए बच्चे के मल का रंग देखकर घबराने के बजाय उसे चिकित्सक को दिखाएं। चलिए माने जाने डॉ. सईद मजाहिद हुसैन से जानते हैं शिशुओं के मल का रंग कैसा होना चाहिए।
कैसा होना चाहिए शिशु का मल?
डॉ, हुसैन के मुताबिक शुरुआती एक हफ्ते में बच्चे के मल का रंग काला होता है, जिसके बाद वे दूध पीने लगते हैं और ऐसे में मल का रंग हरे में परिवर्तित होने लगता है। वहीं, 15 दिनों के बाद यही मल हल्के पीले रंग में बदलने लगता है। बच्चों में आमतौर पर जब मेकोनियम का समय खत्म हो जाता है तो ऐसे में मल का रंग हल्का मस्टर्ड भी देखा जाता है। अगर बच्चा आयरन से भरपूर आहार खा रहा है तो ऐसे में मल का रंग कई बार हरा भी हो सकता है।
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चिकित्सक को कब दिखाएं?
आपको घबराना या फिर चिकित्सक को तब दिखाना है, जब शिशु के मल में म्यूकस, बहुत ज्यादा बदबू, मल में से खून आना या फिर सामान्य से अधिक पतला मलत्याग करने पर आपको चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। अगर आपका बच्चा ज्यादा सुस्त या फिर थका हुआ रहता है तो यह भी एक चिंता की बात हो सकती है। अगर आपका बच्चा ग्रे रंग का मलत्याग करता है तो हो सकता है कि उसका पाचन तंत्र सामान्य रूप से काम नहीं कर रहा है।
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सफेद रंग होने पर दिखाएं या नहीं?
अगर आपके शिशु को सफेद रंग का मल हो रहा है तो यह भी कई बार एक समस्या का संकेत हो सकता है। इस तरह का मल दिखने पर आपको बिना देरी किए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
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