Causes Of Jaundice In Infant Care Tips In Hindi: आपने अपने आसपास अक्सर सुना या देखा होगा कि बच्चे को जन्म के तुरंत बाद ही पीलिया हो गया है। इसमें घबराने जैसी कोई बात नहीं होती है। एक से दो सप्ताह के बाद अपने आप शिशु रिकवर कर जाता है। अस्पतालों में पीलिया से ग्रस्त बच्चों की पूरी केयर की जाती है। लेकिन, मांएं अपने नए जन्मे शिशु की हेल्थ को लेकर बहुत परेशान रहती हैं। उनके मन में बार-बार यही सवाल उठता है कि आखिर बच्चे को जन्म के तुरंत बाद पीलिया क्यों हो गया है? यही नहीं, पीलिया होने पर बच्चे की कैसे केयर की जाती है? इस बारे में भी उन्हें सही जानकारी नहीं होती है। आइए, इस लेख में जानते हैं कि बच्चों के पीलिया होने के कारण और बच्चे की देखभाल के तरीकों के बारे में। इस संबंध में हमने नवी मुंबई स्थित अपोलो अस्पताल के Lead consultant Pediatric Critical Care Specialist डॉ. नारजोहन मेश्राम से बात की।
नए जन्मे शिशुओं में पीलिया होने का कारण- Causes Of Jaundice In Infant In Hindi
हाइपरबिलिरुबिनमिया यानी बिलीरुबिन की अधिकता होना पीलिया का एक मुख्य कारण है। बिलीरुबिन एक ऐसा तत्व है, जिस वजह से पीलिया होने पर मरीज का चेहरा और आंख पीले पड़ जाते हैं। अब सवाल है कि आखिर नवजात शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद पीलिया क्यों हो जाता है? इसकी एक वजह है कि जन्म के शुरुआती कुछ दिनों तक बिलीरुबिन का उत्पादन अधिक होता है और रेड ब्लड सेल्स भी तेजी से ब्रेकडाउन होती हैं। यही कारण है कि ज्यादातर नए जन्मे शिशुओं को पीलिया हो जाता है। आमतौर पर लिवर ब्लडफ्लो से बिलीरुबिन को फिल्टर करता है और इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट परप छोड़ देता है। लेकिन, नवजात शिशुओं का लीवर बहुत कमजोर होता है, जो कि बिलीरुबिन को जल्दी से हटा नहीं पाता है। ऐसे में उनके शरीर में बिलीरुबिन की अधिकता हो जाती है। इसी सिचुएशन के कारण ज्यादारत बच्चों को पीलिया हो जाता है। आमतौर पर, नए जन्मे शिशु में जन्म के दूसरे या तीसरे दिन के बाद इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
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नवजात शिशओं में पीलिया होने के अन्य कारण- Other Causes Of Jaundice In Infant In Hindi
नवजात शिशुओं में पीलिया होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। इनके बारे में भी जानकारी होना आवश्यक है। विशेषज्ञों की मानें, तो किसी डिजीज या कंडीशन की वजह से भी पीलिया हो सकता है।
- इंटरनल ब्लीडिंग
- बच्चे के ब्लड में इंफेक्शन
- बैक्टीरियल या वायरल इंफेक्शन
- लिवर में परेशानी
- बाइलरी एट्रेसिया होने पर, यह एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें बच्चे की पित्त नलिकाएं बंद हो जाती हैं या जख्मी हो जाती हैं
- शरीर में एंजाइम की कमी
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पीलिया होने पर शिशु की देखभाल कैसे करें- How to Take Care Of Infant In Jaundice In Hindi
डॉक्टर के पास ले जाएं
अगर बच्चे को जन्म के शुरुआती दिनों में ही पीलिया हो जाए, तो उन्हें डॉक्टर से मदद लेनी चाहिए। दरअसल, बच्चे के जन्म के शुरुआती दिनों में मां खुद भी काफी कमजोर होती हैं और उन्हें नॉर्मल लाइफ में लौटने में समय लगता है। ऐसे में मां के लिए बच्चे की प्रॉपर केयर करना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में मां को चाहिए कि वे डॉक्टर की मदद लें। उनकी दी गई सलाह पर अमल करें।
बार-बार स्तनपान कराएं
नवजात शिशु को पीलिया होने पर मां को चाहिए कि वे उसे बार-बार स्तनपान कराएं। स्तनपान कराने से लिवर में मौजूद बिलीरुबिन की अधिकता, पेशाब के रास्ते से बाहर निकल जाते हैं। इस तरह, बच्चे की रिकवरी भी तेजी से होने लगती है।
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