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पीलिया रोग क्या है? डॉक्टर से जानें इस बीमारी के बारे में विस्तार से

पीलिया होने पर स्किन और आंखों का सफेद भाग पीला हो जाता है। आखिर यह कैसे डेवेल होता है, आइए जानते हैं डॉक्टर से।
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पीलिया रोग क्या है? डॉक्टर से जानें इस बीमारी के बारे में विस्तार से

Piliya Kya Hota Hai: पीलिया (Jaundice) एक ऐसी हेल्थ कंडीशन है, जिसमें हमारी स्किन, आंखें का सफेद भाग, म्यूकस मेंब्रेन (जैसे कि नाक और मुंह के अंदर) पीली हो जाती है। पीलिया होने के पीछे कई तरह के मेडिकल कंडीशन जिम्मेदार हैं, जैसे हेपेटाइटिस, पित्त की पथरी और ट्यूमर। हालांकि, यह ऐसी समस्या नहीं है, जिसका इलाज न किया जा सके। लेकिन, कई बार इससे संबंधित पर्याप्त जानकारी के अभाव में लोगों को लंबे समय तक इस बीमारी से जूझना पड़ता है। ऐसा आपके साथ न हो, इसलिए हम आज इस लेख में आपको पीलिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बताएंगे। साथ ही जानेंगे कि आखिर पीलिया रोग होता कैसे है? इस बारे में हमने पुणे स्थित अपोलो स्पेक्ट्रा में इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सम्राट शाह, से बात की है। आप भी जानें।

पीलिया रोग क्या है?- What Is Jaundice In HIndi

What Is Jaundice In HIndi

जैसा कि कुछ देर पहले ही स्पष्ट किया है कि पीलिया रोग (हाइपरबिलिरुबिनमिया) तब होता है, जब स्किन, आंखों का सफेद भाग और म्यूकस मेंब्रेन पीले हो जाते हैं। असल में, जब लिवर बिलिरुबिन को प्रोसेस करने में असमर्थ होता है, तब यह समस्या होती है। आपको बता दें कि बिलिरुबिन एक पीले कलर का पदार्थ है, जो रेड ब्लड सेल्स के ब्रेकडाउन (टूटने) होने पर बनती है। इसका मतलब है कि अगर लिवर को किसी तरह की क्षति पहुंचती है या लिवर में कोई समस्या है, तो जॉन्डिस होने का जोखिम हो सकता है।

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पीलिया रोग कैसे विकसित होता है- How Does Jaundice Develop In Hindi

हमारी बॉडी रेगुलरली पुराने रेड ब्लड सेल्स को तोड़ती है, जिसे नए रेड ब्लड सेल्स रिप्लेस करते हैं। यह टूटने की प्रक्रिया से बिलीरुबिन बनता है। आमतौर पर लिवर बिलीरुबिन को प्रोसेस करता है, जिससे यह पित्त का हिस्सा बन जाता है। अगर किसी वजह से लिवर बिलीरुबिन को प्रोसेस नहीं कर पाता है, तो ऐसे में पीलिया यानी जॉन्डिस हो सकता है। ध्यान रखें कि जब ब्लड में बहुत ज्यादा मात्रा में बिलीरुबिन हो जाता है, तो ब्लड वेसल्स में लीक होने लगता है। लीक होने वाली बिलीरुबिन के कारण ही स्किन और आंखों का सफेद भाग पीला हो जाता है। इसी तरह, पीलिया रोग विकसित होता है।

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पीलिया का कारण- Causes Of Jaundice In HIndi

यह स्पष्ट है कि पीलिया रेड ब्लड सेल्स में बिलीरुबिन की अधिकता के कारण होता है। हालांकि, इस बीमारी के होने के पीछे कई अन्य गंभीर कारण भी हो सकते हैं। उसकी अनदेखी की जानी सही नहीं है। वैसे भी पीलिया लिवर से जुड़ी बीमारी होती है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं, जैसे-

  • वायरल इंफेक्शन जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी या ई
  • सिरोसिस (लिवर में निशान पड़ना) या बहुत ज्यादा शराब का सेवन करना
  • ऑटोइम्यून डिजीज, प्राइमरी बाइलरी कोलेंजाइटिस
  • वंशानुगत यानी हेरेडिट्री कंडीशंस जैसे कि डबिन-जॉनसन सिंड्रोम और गिल्बर्ट सिंड्रोम
  • कुछ दवाएं भी जॉन्डिस यानी पीलिया का कारण हो सकते हैं
  • प्रेग्नेंसी

पीलिया होने के अन्य कारण

  • पित्त की पथरी
  • पेंक्रियाटिक, लिवर या गालब्लैडर का कैंसर
  • पेंक्रियाटिटिस
  • पित्त नली में रुकावट
  • लिम्फोमा
  • सर्जरी

पीलिया के लक्षण- Symptoms Of Jaundice In HIndi

Symptoms Of Jaundice In HIndi

पीलिया होने पर कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे-

  • त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला होना
  • बुखार होना
  • कंपकंपी छूटना
  • पेट में दर्द होना
  • बुखार के अन्य लक्षण नजर आना
  • पेशाब का रंग डार्क हो जाना
  • मल का रंग बदलना
  • बहुत ज्यादा थकान महसूस करना
  • अक्सर कंफ्यूज हो जाना
  • त्वचा में खुजली होना
  • वजन का घटना

पीलिया के लिए कब जाएं डॉक्टर के पास- When To Visit A Doctor For Jaundice In HIndi

अगर पीलिया से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो उनकी अनदेखी न करें। खासकर, अगर त्वचा और आंखों का रंग बदल रहा है, थकान रहती है और मल-मूत्र के रंग में भी बदलाव महसूस कर रहे हैं। इस तरह के किसी भी लक्षण के नजर आने पर आपको तुरंत डाक्टर के पास जाकर पीलिया का इलाज करवाना चाहिए। इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। आपको बता दें कि अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे सेरेब्रल पाल्सी, बहरापन और मस्तिष्क को चोट लगना।

पीलिया का निदान कैसे होना- Diagnosis Of Jaundice In HIndi

Diagnosis Of Jaundice In HIndi

पीलिया का निदान करने के लिए डॉक्टर से मरीज की अच्छी तरह जांच-पड़ताल करते हैं, पेट की जांच करते हैं और शरीर में नजर आने वाले अन्य लक्षणों के बारे में पूछते हैं। इसके अलावा, वे आपकी जीवनशैली और मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जाना चाहते हैं, ताकि समझ सके कि आपकी फैमिली मेडिकल हिस्ट्री कैसी है और किसी भी बीमारी होने का जोखिम कितना है। यही नहीं, पीलिया के बारे कंफर्मेशन के लिए डॉक्टर मरीज से ब्लड टेस्ट और यूरिस्ट टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। वे बिलीरुबिन के स्तर की जांच भी करते हैं, तो लिवर के हेल्दी या अनहेल्दी होने का पता लगाया जा सके। वे कुछ टेस्ट, जैसे अल्ट्रासाउंड, एमआरआई या सीटी स्कैन का भी निर्देश दे सकते हैं। कुछ मामलों में, डॉक्टर लिवर डिजीज के बारे में जानने के लिए बायोप्सी करने का अनुरोध भी करते हैं।

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पीलिया का इलाज- Treatment Of Jaundice In HIndi

पीलिया का इलाज उसके होने के कारण पर निर्भर करता है। विशेषज्ञ इसके लक्षणों को कम करने पर विशेष जोर देते हैं। जैसे अगर पीलिया हेपेटाइटिस की वजह से है, तो वे आपको ज्यादा से ज्यादा पानी पीने, रेस्ट करने, फ्लूइड डाइट लेने और शराब का सेवन न करने की सलाह दे सकते हैं। साथ ही, डॉक्टर आपको हेपेटाइटिस बी और सी की दवा भी देंगे। वहीं, अगर आपको पीलिया गालस्टोन, बाइल डक्ट में ब्लॉकेज या पेंक्रियाटिक कैंसर के कारण है, तो आपको सर्जरी करवाने की सलाह दी जा सकती है।

पीलिया से बचाव- Prevention Tips Of Jaundice In HIndi

विशेषज्ञों की मानें, तो पीलिया से बचाव का कोई खास तरीका नहीं है। क्योंकि पीलिया होने के पीछे कई तरह के कंडीशंस जिम्मेदार हो सकते हैं। हां, कुछ बीमारियों के जोखिम को कम करके आप पीलिया से बचाव कर सकते हैं। खासकर, लिवर डिस्ऑर्डर के जोखिमों को कम करने के लिए शराब का सेवन न करें। वहीं, हेपेटाइटिस के जोखिम को कम करने के लिए जरूरी है कि आप हाइजीन मेंटेन करें और सेफ सेक्स को महत्व दें।

All Image Credit: Freepik

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