How Does Phototherapy Work For Jaundice In Newborns In Hindi: आपने अक्सर देखा होगा कि जन्म के तुरंत बाद कुछ शिशुओं को पीलिया हो जाता है। नवजात शिशुओं में पीलिया होना एक सामान्य समस्या होती है। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि नवजात शिशुओं के ऑर्गन पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में उनका लिवर भी सही तरह से फंक्शन करने के लिए तैयार नहीं हो पाता है। यही कारण है शिशु के शरीर में बिलिरुबिन नाम के पीले तत्व की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे शिशु को पीलिया हो जाता है। पीलिया होने पर उनका शरीर पीला पड़ जाता है। ज्यादातर मामलों में नवजात शिशुओं का पीलिया अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन, जो गंभीर मामले होते हैं, उन्हें फोटोथेरेपी की मदद से ठीक किया जाता है। यहां यह जान लेना जरूरी है कि आखिर फोटोथेरेपी प्रक्रिया किस तरह काम करती है? आइए, जानते हैं नवी मुंबई स्थित अपोलो अस्पताल के Lead consultant Pediatric Critical Care Specialist डॉ. नारजोहन मेश्राम से।
नवजात शिशुओं में पीलिया के लिए फोटोथेरेपी किस तरह काम करती है?- How Does Phototherapy Work For Jaundice In Newborns In Hindi
जैसा कि यह स्पष्ट है कि जिन शिशुओं को गंभीर रूप से जॉन्डिस हो जाता है, उनकी रिकवरी के लिए फोटोथेरेपी की मदद ली जाती है। सवाल है, यह काम कैसे करती है? विशेषज्ञ की मानें, तो फोटोथेरेपी में एक विशेष किस्म की नीले रंग की लाइट का उपयोग किया जाता है। इसकी मदद से शिशु में मौजूद बिलिरुबिन को ब्रेकडाउन किया जाता है। इसके प्रक्रिया के तहत जो बिलिरुबिन ब्रेक होता है, उसे यूरिन के जरिए शिशु के शरीर से बाहर निकाला जाता है। बहरहाल, जहां तक सवाल इस बात का इस प्रक्रिया को अंजाम कैसे दिया जाता है? इस बारे में डॉक्टर का कहना है कि शिशु को ऐसे लैंप के नीचे लेटाया जाता है, जिसमें से ब्लू-ग्रीन लाइट निकलती है। इस दौरान बच्चे की आंखों को कपड़े से बंद कर दिया जाता है, ताकि इस लाइट की रोशनी से उनकी आंखों पर बुरा असर न पड़े। यही लाइट बिलिरुबिन को ब्रेक करने का काम करती है। बार-बार बच्चे को सुलाने की पोजिशन भी बदली जाती है। धीरे-धीरे लिवर बिलिरुबिन को शरीर से पेशाब के जरिए बाहर निकाल देता है।
इसे भी पढ़ें: क्या धूप से शिशु का पीलिया ठीक किया जा सकता है? डॉक्टर से जानें
नवजात शिशु को पीलिया होने पर कितने दिनों फोटोथेरेपी दी जाती है?
नवजात शिशु को पीलिया होने पर कितने दिनों तक फोटोथेरेपी की जरूरत होती है, यह बात शिश के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। ज्यादतार बच्चों को कई दिनों तक रखना पड़ता है। इस बीच जरूरत अनुसार मां अपने शिशु को ब्रेस्टफीड करवाती रहती हैं। इससे शिशु की रिकवरी भी तेजी से होती है। यह शिशु के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मददगार साबित होती है।
इसे भी पढ़ें: पीलिया होने पर इन घरेलू उपायों से मिलेगा आराम
फोटोथेरेपी के बाद शिशु की केयर कैसे करें
फोटोथेरेपी ट्रीटमेंट खत्म होने का मतलब है कि शिशु को अब जॉन्डिस नहीं है। लेकिन, शिशु को इसके बाद भी स्पेशल केयर करने की जरूरत होती है। यहां बताए गए बातों का ध्यान जरूर रखें-
- शिशु की त्वचा के रंग पर विशेष ध्यान दें। त्वचा सामान्य है या पीली, इस बात पर गौर करें।
- नियमित रूप से शिशु के डायरपर बदलें। ध्यान रखें कि वह ज्यादा गीले में न रहे। इससे उसकी सेहत बिगड़ सकती है।
- शिशु कितनी बार पेशाब करता है, यह भी जानना भी जरूरी है। इससे उनके स्वस्थ होने का पता लगाया जा सकता है।
- शिशु दूध पीने में ज्यादा परेशानी तो नहीं करता है, इस बात पर गौर करें। अगर शिशु दूध पीने के बजाय अधिकतर समय रोता रहता है, तो यह सही संकेत नहीं है।
All Image Credit: Freepik