एक मां जब 9 महीने के लंबे इंतजार के बाद नवजात शिशु को जन्म देती है तो वह उसकी परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ती है। लेकिन पहली बार पेरेंट्स बने कपल्स के लिए नवजात की देखभाल करना थोड़ा मुश्किल होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि उन्हें इसका अनुभव नहीं होता है। हालांकि, घर में मौजूद परिवार के लोगों की सलाह के साथ डॉक्टर के परामर्श के बाद शिशु की देखरेख अच्छे से हो सकती है। गर्मी के मौसम में कुछ पेरेंट्स को लगता है कि कहीं गर्मी के कारण उनके नवजात के शरीर में पानी की कमी न हो जाए तो ऐसे में कई लोग 6 महीने से छोटे शिशु को पानी पिलाने की गलती कर देते हैं। ऐसी ही कुछ कॉमन समस्याओं के बारे में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. माधवी भारद्वाज ने अपने एक वीडियो में बताया है।
गर्मियों में शिशुओं को परेशान कर सकती हैं ये 2 समस्याएं - Common Newborn health problems In Summer In Hindi
नवजात शिशु का शरीर बेहद नाजुक होता है, ऐसे में उन्हें एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होती है, जरा सी लापरवाही शिशु की सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है। नए पेरेंट्स बने लोगों के लिए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. माधवी भारद्वाज ने नवजात शिशु की देखभाल के बारे में कुछ जरूरी बातें बताई हैं। डॉक्टर ने बताया कि बच्चे छोटे इंसान नहीं होते हैं बल्कि इनकी एक अलग दुनिया है, यही वजह है कि बाल रोग विशेषज्ञ बनने के लिए डॉक्टर को अलग से पढ़ाई करनी पड़ती है।
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1. डॉक्टर ने बताया कि पेरेंट्स को शिशु की तुलना खुद से नहीं करनी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि शिशु बिल्कुल अलग होते हैं और उनके साथ अलग ही तरह से बर्ताव करना चाहिए। डॉक्टर माधवी ने उदाहरण देते हुए बताया कि उनके पास एक पिता अपने शिशु को लेकर आए और उनका कहना था कि आजकल गर्मी बहुत हो रही है तो जैसे हमें प्यास लगती है उसी प्रकार शिशु को भी प्यास लगती होगी। ऐसे में क्या गर्मी के दिनों में शिशु को पानी दे सकते हैं? इस पर डॉक्टर माधवी ने बताया कि 6 महीने से कम उम्र के शिशु को पानी नहीं देना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि 6 महीने के छोटे बच्चों के शरीर में पानी की कमी मां के दूध से ही पूरी हो जाती है। वहीं अगर बच्चा फॉर्मूला दूध पीता है तो भी उसे पानी पर्याप्त मात्रा में मिलेगा।
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डॉक्टर ने समझाते हुए बताया कि मां के दूध में 80-90 प्रतिशत पानी होता है और फॉर्मूला दूध तो पानी में भी बनता है। ऐसे में जब शिशु मां का दूध या फॉर्मूला दूध पीता है तो उसके शरीर में सही मात्रा में पानी पहुंच जाता है। डॉक्टर ने सलाह देते हुए बताया कि गर्मियों में अगर शिशु की मां ज्यादा पानी पीती है तो इससे बच्चे को सही मात्रा में अपने आप दूध के जरिए पानी मिलेगा। डॉक्टर ने बताया कि 6 महीने के बाद बच्चा जब खाना शुरू करता है तो आप पानी भी दे सकते हैं लेकिन 6 महीने से पहले शिशु को पानी नहीं देना चाहिए।
2. डॉक्टर ने कहा कि कई लोगों की समस्या होती है कि उनका बच्चा हर दिन मल नहीं करता है तो इससे दिक्कतें हो सकती हैं। इस पर डॉक्टर माधवी ने बताया कि एक नॉर्मल व्यक्ति से बच्चों की तुलना नहीं करनी चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि बच्चों के अंदर आंतों में ये प्रक्रिया धीरे-धीरे बनती है जिसमें समय भी लगता है। बच्चों को कब्ज हो रही है ये बात इस पर निर्भर नहीं करती है कि वह रोजाना मल नहीं कर रहा है। अगर बच्चा 8-10 दिन की अंतराल पर भी मल करता है लेकिन पेस्ट के जैसा सॉफ्ट मल करता है तो ये बिल्कुल नॉर्मल है। लेकिन अगर बच्चे का मल टाइट होता है या बकरी के मल जैसा होता है तो ऐसी समस्या में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
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