Why Do Babies Skin Tones Change After Birth: 'जब मेरे बेटे का जन्म हुआ था, तब उसका रंग बिल्कुल गुलाबी था और अब जैसे-जैसे बच्चा बड़ा हो रहा है, इसका रंग ब्राउन होता जा रहा है। मैं समझ नहीं पा रही हूं, ऐसा क्यों हो रहा है और मैं अब क्या करूं? क्या जन्म के बाद बच्चे की त्वचा का रंग बदलना सामान्य है?' हर नए माता-पिता को जन्म के कुछ समय बाद शिशु की त्वचा का रंग बदलने (Why Do Babies Skin Tones Change After Birth) पर चिंता होती है। आज इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करने वाले हैं, ऐसा क्यों होता है। इस विषय पर लखनऊ के गोमतीनगर स्थित आनंद केयर क्लीनिक के बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण आनंद ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर किया है।
जन्म के बाद शिशु की त्वचा का रंग क्यों बदलता है?- Why Do Babies Skin Tones Change After Birth
डॉ. तरुण आनंद के अनुसार जन्म के कुछ सप्ताह और महीने तक शिशु की त्वचा का रंग बदलना बिल्कुल सामान्य प्रक्रिया है। शिशु की त्वचा के रंग में बदलाव होने पर माता-पिता को परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। जन्म के बाद शिशु की त्वचा का रंग बदलने के पीछे निम्नलिखित कारण हो सकते हैंः
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1. जेनेटिक
डॉक्टर का कहना है कि बच्चे हल्के गुलाबी रंग की त्वचा के साथ पैदा होते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वह सूरज के सीधे संपर्क में नहीं आए होते हैं। जैसे-जैसे बच्चा सूरज की किरणों, हवा और आसपास के वातावरण के साथ संपर्क बनाता है, वैसे-वैसे अपने माता-पिता की त्वचा के रंग में आ जाता है।
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2. मेलानिन
शिशु की त्वचा का रंग मुख्य रूप से मेलानिन नामक पिगमेंट पर निर्भर करता है। जन्म के समय नवजात में मेलानिन का स्तर कम होता है, जिसकी वजह से उनकी त्वचा हल्की या गुलाबी दिखती है। जन्म के कुछ दिनों बाद शरीर में मेलानिन का निर्माण बढ़ने लगता है और शिशु की त्वचा का रंग बदलने लगता है।
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3. पीलिया
नवजात शिशु का पीलिया, शुरुआती दिनों में एक सामान्य स्थिति है। पीलिया के कारण शिशु की त्वचा का रंग हल्का पीला या पीला नजर आ सकता है। यह शरीर में बिलीरुबिन की अधिकता के कारण होता है और आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि नवजात शिशु में पीलिया के लक्षणों की जांच और उसका डॉक्टरी इलाज जरूरी है। जैसे-जैसे बच्चे का पीलिया कम होता है, बच्चे की असली त्वचा का रंग दिखना शुरू हो जाएगा।
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4. रक्त संचार में बदलाव
जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु का रक्त संचार पूरी तरह विकसित नहीं होता है। इस कारण जन्म के समय उनकी त्वचा का रंग हल्का गुलाबी या नीला हो सकता है। जैसे-जैसे रक्त संचार सामान्य होता है, त्वचा का रंग धीरे-धीरे बदलने लगता है।
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5. हार्मोन्स में बदलाव
जन्म के बाद जैसे-जैसे शिशु में शारीरिक बदलाव आते हैं, वैसे-वैसे हार्मोन्स में भी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव, त्वचा के रंग को प्रभावित करते हैं। डॉ. तरुण आनंद का कहना है कि जैसे-जैसे बच्चे का शरीर हॉर्मोन्स को स्थिर करता है, त्वचा का रंग भी स्थिर होने लगता है।
डॉक्टर से कब करें बात
जन्म के 1 साल तक शिशु की त्वचा के रंग में बदलाव होना एक सामान्य प्रक्रिया है। लेकिन त्वचा का रंग पीला (जॉन्डिस के कारण) या नीला हो रहा है, तो पेरेंट्स को डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। शिशु की त्वचा का रंग नीला या पीला पड़ना किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
निष्कर्ष
बच्चे के रंग में जन्म के बाद बदलाव होना सामान्य बात है। यह बदलाव समय के साथ अपने आप ठीक हो जाता है। ऐसे में माता-पिता को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।