First Health Checkup of Newborn: नवजात शिशु की शारीरिक स्थिति का पता लगाने के लिए जन्म के तुरंत बाद अपगार स्कोर (Apgar Score) टेस्ट किया जाता है। यह स्कोर शिशु के जन्म के बाद, पहले एक से पांच मिनट में उसकी शारीरिक स्थिति की जांच करता है। अपगार स्कोर टेस्ट, पांच चीजों पर आधारित होता है, जिनमें शिशु की हृदय गति, श्वास गति, मांसपेशियों की स्थिति, पहली हरकत और शिशु का रंग शामिल हैं। डॉक्टर इस टेस्ट की मदद से शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच करते हैं। अपगार स्कोर की मदद से यह तय किया जाता है कि शिशु को किसी विशेष चिकित्सा देखभाल की जरूरत है या नहीं। इस स्कोर को 0 से 10 के बीच अंकित किया जाता है, और एक अच्छा अपगार स्कोर 7 या इससे ऊपर माना जाता है। अगर शिशु का अपगार स्कोर 3 या उससे कम होता है, तो यह संकेत है कि उसे तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत हो सकती है। इस लेख में हम जानेंगे अपगार स्कोर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के डफरिन हॉस्पिटल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ सलमान खान से बात की।
अपगार स्कोर की प्रक्रिया- Apgar Score Process
अपगार स्कोर एक छोटा लेकिन जरूरी टेस्ट है जो शिशु के जन्म के बाद कुछ मिनटों में उसकी स्थिति के बारे में बताता है। इन पांच बिन्दुओं के आधार पर डॉक्टर शिशु के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। अपगार स्कोर 7 से ऊपर सामान्य माना जाता है, जबकि 3 या उससे कम की स्थिति में इलाज की तुरंत जरूरत हो सकती है। इस टेस्ट में पांच बातों पर ध्यान दिया जाता है-
1. हृदय गति- Heart Rate
यह शिशु के दिल की धड़कन को मापता है। अगर हृदय गति 100 बीटर प्रति मिनट से ज्यादा होती है, तो उसे सबसे ज्यादा अंक मिलते हैं। जितने ज्यादा अंक होंगे, उतना अच्छा अपगार स्कोर बनेगा। इससे शिशु के हार्ट हेल्थ के बारे में पता चलता है।
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2. श्वास गति- Respiratory Effort
यह शिशु के सांस लेने की स्पीड को मापता है। अगर शिशु के सांस लेने की स्पीड नॉर्मल है, तो उसे ज्यादा अंक मिलते हैं। इससे यह पता चलता है कि शिशु के फेफड़े स्वस्थ हैं और वे ठीक ढंग से काम कर रहे हैं।
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3. मांसपेशियों की टोन- Muscle Tone
इसमें शिशु के शरीर की मांसपेशियों की स्थिति देखी जाती है। अगर शिशु की मांसपेशियां मजबूत हैं, तो उसे ज्यादा अंक मिलते हैं। मांसपेशियों को चेक करने में उनसे जुड़ी बीमारियों का पता चलता है।
4. रिफ्लेक्स- Reflexes
इसमें शिशु की प्रतिक्रिया यानी हरकत की जांच की जाती है, जैसे उसकी छूने पर प्रतिक्रिया। अगर शिशु तेज प्रतिक्रिया देता है, तो उसे ज्यादा अंक मिलते हैं।
5. शिशु की त्वचा का रंग- Skin Color
यह शिशु के त्वचा के रंग को देखता है। सामान्य स्थिति में शिशु का रंग गुलाबी होता है, लेकिन अगर वह नीला या पीला होता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि शिशु को ज्यादा देखभाल की जरूरत है या फिर यह पीलिया के लक्षण हो सकते हैं।
अपगार स्कोर शिशु के जीवन के पहले क्षणों में उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच करने का एक खास तरीका है। इस टेस्ट की मदद से, शिशु की स्थिति की तुरंत जांच कर उसके लिए सही इलाज तय किया जा सकता है, जिससे उसकी लंबी उम्र और अच्छी सेहत की संभावना बढ़ जाती है।
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image credit: cdnparenting.com