Baby Poop Colour Connection with Health : छोटे बच्चे शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी नाजुक होते हैं। जन्म के बाद लगभग 2 से 3 सालों तक शिशु अपनी परेशानी, बीमारियों के बारे में पेरेंट्स को नहीं बता पाते हैं। जाहिर सी बात इस उम्र में शिशु सही तरीके से बोलने और समझने में असक्षम होते हैं, तो अपनी बातों को सही तरीके से पेरेंट्स को कैसे समझाएंगे। नवजात शिशु की बातों का समझना मुश्किल काम होता है, लेकिन उनकी सेहत को समझने के कई तरीके होते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण तरीका उनके पॉटी के रंग को देखकर समझना।
छोटे बच्चे की पॉटी का रंग, उसकी पाचन क्रिया और समग्र स्वास्थ्य की जानकारी देता है। इस लेख में गुरुग्राम स्थित सीके बिड़ला अस्पताल की नियोनेटोलॉजी और पीडियाट्रिक्स विभाग की कंसल्टेंट डॉ. श्रेया दुबे से जानेंगे बेबी की पॉटी का रंग उनकी सेहत के बारे में क्या कहता है।
1. काली (ब्लैक) पॉटी
डॉ. श्रेया दुबे के अनुसार, जन्म के बाद कुछ समय तक शिशु की पॉटी का रंग काला होता है। जन्म के बाद अगर आपका बच्चा भी कॉली पॉटी कर रहा है, तो इसमें घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। दरअसल, जन्म के पहले कुछ दिनों में शिशु की पॉटी मेकोनियम होती है, जो काले-हरे रंग की होती है। यह पूरी तरह सामान्य है और धीरे-धीरे रंग बदलकर हल्का हो जाता है।
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2. हरी पॉटी
जन्म के एक लंबे समय के बाद अगर शिशु की पॉटी हरे रंग की हो रही है, तो यह संकेत है कि शिशु की आंतें सही तरीके से काम नहीं कर रही हैं। हरी पॉटी के मामले ब्रेस्टफीडिंग वाले शिशुओं में ज्यादा देखे जाते हैं। खासतौर पर जब उन्हें ज्यादा फोरमिल्क (सामने का दूध) और कम हिंदमिल्क (पीछे का गाढ़ा दूध) मिलता है। अगर आपके शिशु की पॉटी लंबे समय तक हरे रंग की बनीं रहती है, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।
3. भूरी पॉटी
अगर आप अपने शिशु को ब्रेस्ट मिल्क की बजाय फॉर्मूला मिल्क दे रहे हैं, तो उनकी पॉटी भूरी रंग की हो सकती है। फॉर्मूला मिल्क पीने वाले बच्चों की भूरी पॉटी बहुत ही सामान्य बात है। यह हेल्दी डाइजेस्टिव सिस्टम का संकेत देती है। अगर आपके बच्चे की पॉटी भूरे रंग की हो रही है, तो घबराने की बात बिल्कुल भी नहीं है।
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4. पीली पॉटी
जो मांएं लंबे समय तक शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं, उनके शिशुओं की पॉटी का रंग पीला होता है। यह पूरी तरह सामान्य है और यह दर्शाता है कि आपके शिशु का पाचन तंत्र सही ढंग से काम कर रहा है। लेकिन पीली पॉटी करते समय शिशु को पेट में दर्द और शिशु को ज्यादा प्रेशर लगाना पड़ रहा है, तो इस विषय पर अपने डॉक्टर से बात करें।
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5. लाल रंग की पॉटी
सिर्फ छोटे बच्चों में ही नहीं बल्कि वयस्कों में भी लाल रंग की पॉटी खतरे का संकेत देती है। लाल रंग की पॉटी आंतों में ब्लीडिंग, फूड एलर्जी जैसी कई परेशानियों का संकेत देती है। अगर आपके शिशु की एक भी पॉटी लाल रंग की नजर आती है, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें और बच्चे का मेडिकल टेस्ट करवाएं।
6. सफेद या चाक कलर की पॉटी
कई बार जब शिशु सफेद या चाक कलर की पॉटी करता है, तो पेरेंट्स इसे नजरअंदाज करते हैं। न्यू पेरेंट्स को लगता है कि सफेद पॉटी बिल्कुल ही सामान्य बात है, लेकिन असल में ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सफेद या चाक कलर की पॉटी शिशु के लिवर से जुड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है। बाल एवं शिशु रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बच्चे को सफेद रंग की पॉटी तब होती है, जब शरीर पर्याप्त मात्रा में पित्त (बाइल) का उत्पादन नहीं करता है।
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7. झागदार या बलगम युक्त पॉटी
नवजात शिशु की पॉटी में अगर आपको लगातार झाग या बलगम जैसा कुछ नजर आता है, तो यह संक्रमण या दूध से एलर्जी का संकेत देता है। डॉ. श्रेया दुबे का कहना है कि शिशु को झागदार पॉटी तब भी हो सकती है, जब वो ज्यादा मात्रा में लार निगल रहा हो। इस स्थिति मं तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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निष्कर्ष
बेबी की पॉटी का रंग उनकी हेल्थ के बारे में बताता है। हालांकि पॉटी में होने वाले अधिकांश कलर चेंज सामान्य होते है, लेकिन कई बार ये फूड एलर्जी और बीमारी का भी संकेत देते हैं। इसलिए बच्चे की पॉटी के रंग पर ध्यान जरूर दें। अगर आपको किसी भी तरह की चिंता हो, तो बाल रोग विशेषज्ञ से बात करें।