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बच्चों की आंखों का रंग क्यों बदलता है? जीन्स नहीं ये है कारण

Why do babies eyes change color : नन्हें-मुन्ने बच्चों कि आंखें हर किसी को लुभाती हैं। लेकिन कई बार पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि उम्र के साथ बच्चे की आंखों का रंग बदल रहा है।
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बच्चों की आंखों का रंग क्यों बदलता है? जीन्स नहीं ये है कारण


Why do babies eyes change color : हर माता-पिता को नवजात शिशु की आंखें सबसे ज्यादा आकर्षित करती हैं। छोटी-छोटी आंखों से जब बच्चा पेरेंट्स को देखता है, तो मन मोहित हो जाता है। कई बार देखा जाता है कि जन्म के समय शिशु की आंखें नीली, ग्रे या हल्की भूरी होती हैं, लेकिन कुछ महीनों के बाद आंखों का रंग गहरा भूरा या काला हो जाता है। छोटे बच्चों की आंखों में होने वाले इस तरह के परिवर्तन को देखकर पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं।

मैं खुद एक मां हूं और जब 6 महीने की उम्र में मैंने अपने बेटे की आंखों का रंग बदलते हुए देखा, तो मैं थोड़ा सा परेशान हो गई थी। मेरी तरह की कई पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान होते हैं कि बच्चों की आंखों का रंग क्यों बदलता है? बच्चों की आंखों के रंग के बदलाव के पीछे क्या विज्ञान है? और यह प्रक्रिया कब तक चलती है? इस लेख में हम इन्हीं सवाल का जवाब जानेंगे।

आंखों का रंग क्या होता है?

ग्वालियर स्थित रतन ज्योति नेत्रालय के संस्थापक और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेंद्र भसीन के अनुसार, किसी भी बच्चे की आंखों का रंग आइरिस (Iris) के रंग पर निर्भर करता है। आईरिस वह रंगीन भाग है जो पुतली (Pupil) को घेरे रहता है। आईरिस का मुख्य काम आंखों में प्रवेश करने वाली रोशनी की मात्रा को नियंत्रित करना होता है।

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जन्म के समय आंखों का रंग हल्का क्यों होता है?

डॉ. पुरेंद्र भसीन का कहना है कि जन्म के समय शिशु की आंखों का रंग हल्का होता है। इसके पीछे मुख्य कारण बच्चे का शारीरिक विकास कम होता है। नवजात शिशुओं के शरीर में मेलेनिन की मात्रा बहुत कम होती है, खासकर आईरिस में। चूंकि मेलेनिन ही आंखों का रंग निर्धारित करता है। ऐसे में जन्म के समय नवजात शिशु के शरीर में मेलेनिन की मात्रा कम होने से उनकी आंखों का रंग हल्का नीला, ग्रे या हरा नजर आ सकता है।

बच्चों की आंख का रंग क्यों बदलता है

नेत्र रोग विशेषज्ञ बताते हैं कि जन्म के बाद जैसे-जैसे बच्चे के शरीर के विभिन्न अंग विकसित होते हैं, उनमें मेलेनिन का उत्पादन बढ़ता है। मेलानिन का स्तर ज्यादा होने पर आंखों की पुतली का रंग भी बदलता है। नवजात शिशु के जन्म के आंखों के रंग में बदलाव की यह प्रक्रिया काफी लंबे समय तक चलती रहती है। जैसे-जैसे बच्चे का शरीर विकसित होता है, पिगमेंटेशन की मात्रा भी बढ़ती है और आंखों का रंग धीरे-धीरे गहरा हो सकता है। ऐसे में पेरेंट्स को घबराने या किसी भी प्रकार की चिंता करने की जरूरत नहीं है। जन्म के बाद बच्चे की आंखों का रंग बदलना सामान्य है।

बच्चों की आंखों के रंग में बदलाव कब होता है?

विशेषज्ञ के अनुसार जन्म से लेकर 6 महीने तक बच्चों की आंखों के रंग में बदलाव सबसे अधिक होता है। जन्म के 6 महीने बाद तक शिशु अपने अंदर मेलेनिन का निर्माण कर रहा होता है, ऐसे में आंखों का रंग और त्वचा का रंग तेजी से बदलता है। जन्म के 6 महीने से 1 वर्ष तक आंखों का रंग स्थिर होने लगता है। इस समय में शिशु के शरीर के विभिन्न अंग 60 से 70 प्रतिशत तक विकसित हो चुके हैं। आमतौर पर 1 वर्ष की उम्र के बाद शिशु की आंखों के रंग में बदलाव नहीं होता है, लेकिन कुछ मामलों में 3 वर्ष की आयु तक भी आंखों का रंग बदल सकता है।

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क्या बच्चे की आंखों में रंग में बदलाव चिंता का विषय है?

नहीं, बच्चों की आंखों में रंग में बदलाव किसी भी तरह से चिंता का विषय नहीं है। ये एक शारीरिक प्रक्रिया है, जो शिशु की उम्र के साथ बदलता है। अगर बच्चों की आंखों के रंग में बदलाव के साथ किसी प्रकार की खुजली, जलन या कोई अन्य परेशानी हो रही है, तो ये स्थिति चिंताजनक होती है। ऐसे में डॉक्टर से बात करें और बच्चे की आंखों का इलाज करवाएं।

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क्या आंखों का रंग पूरी जिंदगी बदलता है?

जन्म के कुछ समय बाद तो बच्चों की आंखों का रंग बदलना बिल्कुल सामान्य बात है, लेकिन एक उम्र के बाद ऐसा किसी बीमारी का लक्षण हो सकता है। आंखों के रंग बदलने के पीछे नीचे बताई गई बीमारियां हो सकती हैं।

  • ग्लूकोमा (Glaucoma)
  • इरिडोक्रोमिया (Heterochromia)
  • कुछ दवाओं का सेवन करने से भी आंखों का रंग बदल सकता है।

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निष्कर्ष

डॉक्टर के साथ बातचीत के आधार पर हम ये कह सकते हैं कि बच्चों की आंखों का रंग बदलना एक प्राकृतिकप्रक्रिया है, जो अनुवांशिक, हार्मोनल और प्रकाश-आधारित तत्वों पर निर्भर करती है। यह शरीर के विकास का एक हिस्सा है और अधिकांश मामलों में पूरी तरह सामान्य होता है। बच्चों की आंखों के रंग में बदलाव होने पर माता-पिता को घबराना नहीं चाहिए।

FAQ

  • बच्चों की आंखें पीली क्यों होती हैं?

    बच्चों की आंखें पीली होना पीलिया (जॉन्डिस) का देता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा की गई रिसर्च के अनुासर बच्चों की आंखें पीले होने का कारण लिवर में बिलीरुबिन की अधिकता, संक्रमण या जन्मजात समस्याएं हो सकती हैं।
  • क्या आंखों का रंग बदला जा सकता है?

    किसी भी व्यक्ति की आंखों का रंग प्राकृतिक तरीके से नहीं बदला जा सकता है। अगर आप आंखों का रंग बदलना चाहचे हैं तो इसके लिए आपक मेडिकल प्रक्रियाएं जैसे कि लेजर सर्जरी या इम्प्लांट करवाने पड़ेंगे।
  • बच्चे की आंखों का रंग कितनी देर में बदल सकता है?

    ग्वालियर स्थित रतन ज्योति नेत्रालय के संस्थापक और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पुरेंद्र भसीन का कहना है कि बच्चे की आंखों का रंग जन्म के 6 महीने से लेकर 3 साल तक बदल सकता है। 

 

 

 

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