Is Eye Checkup Important For Newborn Babies: पेरेंट्स बनने के बाद हर माता-पिता की प्राथमिकता उनका बच्चा होता है। ऐसे में बच्चे का बेहतर स्वास्थ्य और तंदरुस्ती का ध्यान रखना उनके लिए बहुत जरूरी हो जाता है। बच्चे के जन्म के बाद से ही उनके शरीर की सही जांच करवानी बेहद जरूरी होती है, ताकि शरीर में किसी भी तरह की समस्या का पता लगाया जा सके और बीमारी को बढ़ने से रोका जा सके। लेकिन जन्म के बाद अक्सर माता-पिता शिशुओं के आंखों के स्वास्थ्य (baby eye health care) को नजरअंदाज कर देते हैं। शरीर के अन्य हिस्सों की तरह आंखों का स्वास्थ्य का (babies eye problems) खास ध्यान रखना भी पेरेंट्स के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए, कई बार पेरेंट्स के मन में ये सवाल आता है कि क्या नवजात शिशुओं के आंखों की जांच करवानी जरूरी होती है या नहीं? आइए इस बारे में दिल्ली में एक्सेल आई क्लिनिक के ऑपथलमॉलजिस्ट और आई स्पेशलिस्ट डॉ. अनीशा सेठ गुप्ता से जानते हैं-
क्या नवजात शिशुओं के आंखों की जांच जरूरी है? - Is Eye Checkup Important For A Newborn Baby in Hindi?
ज्यादातर नवजात शिशुओं के लिए, जब तक कोई परेशानी या जोखिम कारक न हो, तब तक आई चेकअप की जरूरत नहीं हो सकती है। आम तौर पर, नवजात शिशुओं के जन्म के तुरंत बाद कई नियमित जांच की जाती हैं, लेकिन आई चेकअप भी जन्म के तुंरत बाद के प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं होती हैं। इसलिए, पेरेंट्स के मन में यह सवाल आता है कि अगर बच्चे को आंख से जुड़ी कोई समस्या नहीं है तो क्या उन्हें आई चेकअप कराना चाहिए या नहीं? इस बारे में आई स्पेशलिस्ट डॉ. अनीशा सेठ गुप्ता का कहना है कि नवजात शिशुओं के लिए आई चेकअप एक खास कैटेगरी में जरूरी होता है, जो आरओपी स्क्रीनिंग है। समय से पहले जन्मे बच्चे, यानी 34 हफ्ते से कम या 2 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों में आरओपी का जोखिम ज्यादा होता है। आरओपी का मतलब है रेटिनोपैथी ऑफ प्रीमैच्योरिटी, यह समय से पहले जन्मे शिशुओं को प्रभावित करता है। जन्म के बाद शिशुओं में इस समस्या की पहचान करना बेहद जरूरी होता है, और इसका इलाज भी जरूरी है।
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शिशु के लिए आई स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है? - Why Is Eye Screening Important For Babies in Hindi?
समय से पहले जन्मे बच्चों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम होता है और ROP उन्हीं स्थितियों में से एक है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है। इसलिए, प्रीमैच्योर शिशुओं की देखभाल के दौरान डॉक्टर उनकी आंखों की बारीकी से जांच करते हैं। ROP जांच समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है। यह जांच सही समय पर जन्मे बच्चों के लिए भी फायदेमंद होती है। जन्म के बाद आई स्क्रीनिंग करने से शिशुओं में जन्मजात मोतियाबिंद, स्ट्रैबिस्मस, या आंखों से जुड़ी अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। ऐसे में नियमित आई टेस्ट करने से आपके बच्चे की आंखों में होने वाली समस्याओं का पता लगाया जा सकता है।
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शिशुओं के आंखों की जांच कब करवानी चाहिए? - When Should Babies Get Eyes Checked in Hindi?
माता-पिता को अपने बच्चों के आंखों की जांच कब करवानी चाहिए, यह सवाल, अक्सर पेरेंट्स को परेशान करता है। ऐसे में अगर आपका बच्चा जन्म से पहले पैदा हुआ है तो ROP स्क्रीनिंग शेड्यूल को फॉलो करना बेहद जरूरी है। अपने समय पर जन्मे बच्चों के लिए, आई चेकअप आमतौर पर वेल-चाइल्ड विजिट से शुरू होता है। अगर बच्चे की आंखों की हरकतें या दिखावट में किसी तरह की समस्या है तो आप तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।
निष्कर्ष
सभी नवजात शिशुओं के लिए जन्म के तुंरत बाद आंखों की जांच करवानी जरूरी नहीं होती है, लेकिन अगर शिशु का जन्म समय से पहले हुआ है या उसकी आंखों में कोई समस्या है तो जरूरी है कि पेरेंट्स तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें और बच्चे की आंखों की जांच करवाएं।
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