The Importance Of Regular Eye Exams For Children In Hindi: हर व्यक्ति के लिए आंखों की जांच जरूरी है। मौजूदा समय में यह और भी जरूरी इसलिए हो जाता है, क्योंकि इन दिनों ज्यादातर लोग कंप्यूटर या फोन स्क्रीन पर अपना अधिक समय बिताते हैं। ऐसे में अगर हर व्यक्ति अपने आंखों का ख्यान रखे, तो आंखों से जुड़ी कई तरह की बीमारियां और समस्याएं हो सकती हैं। वहीं, अगर हम बच्चों की बात करें, तो फोन स्क्रीन उनकी लाइफ का भी एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन दिनों न सिर्फ मोबाइल फोन पर गेम्स खेला जाता है या वीडियोज देखी हैं। साथ ही, इसमें कई बार ऑन लाइन क्लोसेस भी चलती हैं। ऐसे में बच्चा 4 से 5 घंटा लगातार स्क्रीन के सामने रहता है। इस तरह की स्थिति की वजह से बच्चों की आंखें कमजोर हो सकती हैं। खैर, आइए जानते हैं कि बच्चे के लिए नियमित रूप से आंखों की जांच करवाना क्यों जरूरी है? इस बारे में हमने तेलंगाना के वारंगल शहर में स्थित Myopia specialist and Phaco surgeon और सलाहकार नेत्र रोग विशेषज्ञ सृजना हितेश से बात की।
बच्चों के लिए क्यों जरूरी है आंखों की नियमित जांच- The Importance Of Regular Eye Exams For Children In Hindi
समय से समस्या का पता चलना
आजकल छोटे-छोटे बच्चों की भी आंखें कमजोर हो जाती है। ऐसा किसी भी उम्र में हो सकता है। इसलिए, पैरेंट्स को चाहिए कि वे नियमित रूप से अपने बच्चे की आंखों की जांच करवाएं। अगर उनकी आंखें खराब हो रही हैं या कमजोर हो रही हैं, तो इसका पहले ही पता चल जाता है। ऐसे में समय पर इलाज करवाना भी संभव हो सकता है।
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असामान्यता का पता चलना
जन्म के समय छोटे बच्चों की आंखें कमजोर होती हैं और वह धीरे-धीरे विकसित होते हैं। कुछ बच्चों की स्थिति इससे अलग होती है। उन्हें विजुअल डेवेलपमेंट में असामान्यताओं का सामना करना पड़ता है। इसमें असामान्य आईबॉल ग्रोथ और न्यूरोलॉजिकल चेंजेस शामिल हैं। जांच के जरिए इस तरह की स्थिति से भी बचा जा सकता है।
आंखों के तनाव में कमी
बच्चा दिन भर कई तरह के काम में व्यस्त रहता है। जैसे स्कूल की पढ़ाई, खेल-कूद और फोन स्क्रीन पर समय बिताना आदि। जब बच्चा किसी एक काम में अतिरिक्त समय बिताता है, तो उसके आंखों पर दबाव बन सकता है, जिससे तनाव बढ़ने लगता है। अगर आप नियमित रूप से बच्चे की आंखों की जांच करवाते हैं, तो ऐसे में उसके आंखों पर तनाव बनने से पहले ही उसे कंट्रोल किया जा सकत है या फिर उससे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।
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डिजिटल आई स्ट्रेन पर रोक
कई बार एबच्चे को समझ नहीं आता है और लंबे समय तक गैजेट्स पर समय बिताने के कारण उनकी आंखों पर दबाव बनने लगता है। इससे उन्हें डिजिटल आई स्ट्रेन हो जाता है। वहीं, अगर आप बच्चे की आंखों की चेकअप करवाते हैं, तो समय रहते उन्हें डिजिटल आई स्ट्रेन होने की समस्या से रोका जा सकता है। यही नहीं, डिजिटल आई स्ट्रेन होने के कारण सिरदर्द और अन्य समस्याओं को रोकने में भी मदद मिलती है।
बच्चों का आई चेकअप कब करवाएं
- अगर जन्म के समय बच्चे का वजन कम है, तो उन्हें जन्म के एक माह के भीतर ही उसकी आई चेकअप करवाना चाहिए।
- तीन साल के अंदर हर बच्चे की नियमित जांच करवाना सही रहता है। ध्यान रखें कि अंडर वेट जन्मे शिशु को आंखों से संबंधित समस्या होने का रिस्क रहता है।
- तीन से पांच साल के भीतर भी बच्चे की नियमित जांच करवानी चाहिए। विशेषज्ञों की सलाह है कि स्कूल शुरू होने से पहले उनकी आंखों की जांच होना आवश्यक है।
- पांच से आठ साल के अंदर भी बच्चे की आंखों की जांच करवाना जरूरी है।
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