आंखें अनमोल हैं, और इसक माध्यम से हम दुनिया को देखते हैं। आंखें कमजोर न हों और आंखों से संबंधित बीमारियां न हों इसलिए बचपन से आंखों की नियमित स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है। अगर आपका बच्चा स्कूल जाने लगा है तो उसका विजन स्क्रीनिंग जरूर करायें। इससे बच्चों की आंखों की समस्याओं का निदान समय रहते हो जायेगा और बच्चे के विकास में समस्या नहीं होगी। इस लेख में विस्तार से जानिये बच्चों के लिए हर साल विजन स्क्रीनिंग क्यों जरूरी है।
शोध के अनुसार
नेशनल सेंट्रर फॉरी चिल्ड्रेन विजन हेल्थ यूएस द्वारा की सिफारिशों के मुताबिक, 36 और 72 महीनों के बीच की उम्र के बच्चों की आंखों की जांच हर साल होनी चाहिए। यह सिफारिश इसलिए की गई है क्योंकि विजन स्क्रीनिंग के बिना आंखों की समस्याओं जैसे आंखों की कमजोरी में चश्मे की आवश्यकता, लेजी आई और भेंगापन की ठीक से पहचान कर पाना थोड़ा कठिन होता है।
अध्ययन के नतीजे
अध्ययन से पता चला कि बच्चों में आंखों की समस्याएं दिन प्रतिदिन बढ़ रही है। अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया स्कूली बच्चों की आंखें लगातार कमजोर हो रही हैं। आई चेकअप करने वाले डॉक्टरों के अनुसार, टीवी, मोबाइल, टैब पर लगातार काम करने और पोषक तत्वों की कमी के कारण आंखों पर असर पड़ रहा है। चेकअप में करीब 25 प्रतिशत बच्चों की आई साइट कमजोर होने की बात सामने आई।
स्कूलों में साल में औसतन दो बार हेल्थ चेकअप करवाया जाता है, जिसमें बच्चों की आंखों की जांच भी शामिल है। स्कूलों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जांच में 25 प्रतिशत बच्चों की आंखों में कोई न कोई परेशानी पाई जाती है और उन्हें चश्मे तक की जरूरत पड़ती है। डॉक्टरों के अनुसार बढ़ती उम्र में शारीरिक वृद्धि के अनुरूप आंखों का सही विकास नहीं होने से बच्चों की आई साइट कमजोर हो रही है। इसमें लाइफ स्टाइल, स्टडी पोश्चर और पोषक तत्वों की कमी भी प्रमुख कारण बन रहे हैं। इसलिए साल में कम से कम एक बार स्कूल में विद्यार्थियों के आंखों की जांच बहुत जरूरी है।
आंखों में कमजोरी के कारण
आज कंप्यूटर और स्मार्ट फोन का उपयोग बच्चों के लिए नया नहीं है। इसके अलावा, इनडोर वीडियो गेम का भी आंखों के स्वास्थ्य की गिरावट में काफी योगदान किया है। बच्चे बाहर खेलने की बजाय कंप्यूटर और मोबाइल पर गेम खेलते हैं, जिससे इससे निकलने वाली नीली रोशनी आंखों को बीमार बनाती है।
विजन स्क्रीनिंग से आंखों की जांच
एंथनी एडम्स, संपादक-इन-चीफ ऑप्टोमेट्री और विजन साइंस में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, विजन स्क्रीनिंग से आप तुरंत बच्चों में आंख की समस्याओं की पहचान कर सकते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से कई बच्चों को आंखों की तत्काल ध्यान देने की जरूरत होती है लेकिन उन बच्चों को समस्या की पहचान में मदद करने के लिए उपयुक्त स्क्रीनिंग प्राप्त नहीं होता है और न ही प्री स्कूल जाने से पूर्व आई केयर प्रोफेशनल से आंखों की जांच होती है।
इन बातों का रखें ख्याल
- बच्चों को लाइट के विपरीत साइड में न पढ़ने दें।
- पढ़ते वक्त रोशनी पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए।
- बच्चे पर्याप्त नींद लें और उनींदी अवस्था में पढ़ाई ना करें।
- बच्चे लेटकर न पढ़ें या लिखते समय कॉपी पर पूरा झुककर न लिखें।
- घंटों टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल के संपर्क में न रहें, इस बात का ध्यान रखें।
बच्चों की आंखों को स्वस्थ रखने के लिए उनके खानपान का विशेष ध्यान दीजिए, बच्चों को पौष्टिकता के साथ विटामिन ए से भरपूर आहार दीजिए। विटामिन ए से आंखों की समस्या नहीं होती है।
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