Can Autism Caused By Stress During Pregnancy In Hindi: तनाव कई तरह के होते हैं। कुछ शॉर्ट टर्म के होते हैं और कुछ लॉन्ग टर्म के होते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला किस तरह के तनाव में है, यह बात उसके स्वास्थ्य की स्थिति तय कर सकती है। अगर गर्भवती महिला लंबे समय से तनाव में हैं, तो इसका असर उनके गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ सकता है। हैरानी तो इस बात की है कि कई बार तनाव की वजह से गर्भवती महिला में मिसकैरेज का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसलिए, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कम से कम तनाव लेना चाहिए। कुछ महिलाओं को यह भी लगता है कि तनाव के कारण उनके गर्भ में पल रहे शिशु को ऑटिज्म हो सकता है। सवाल है, क्या ऐसा वाकई होता है? आइए, जानते हैं वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से।
क्या प्रेग्नेंसी में तनाव के कारण ऑटिज्म हो सकता है?- Is Autism Caused By Stress During Pregnancy In Hindi
यह सच है कि प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव लेना बिल्कुल सही नहीं है। इसका गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। उसकी ग्रोथ पर इफेक्टेड हो सकती है। लेकिन, यह कहना कि प्रेग्नेंसी में तनाव के कारण बच्चे को ऑटिज्म हो सकता है, सही नहीं होगा। इस संबंध में डॉक्टर का कहना है, "प्रेग्नेंसी में तनाव के कारण बच्चे को ऑटिज्म नहीं हो सकता है। गर्भ में पल रहे शिशु को ऑटिज्म होने के पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। हां, यह अवश्य कहा जा सकता है कि तनाव का स्तर बढ़ने से ऑटिज्म के ट्रिगर हो सकते हैं।" कुछ अध्ययनों से भी इस बात की पुष्टि होती है कि ऑटिज्म और प्रेग्नेंसी के दौरान तनाव का थोड़ा-बहुत संबंध पाया गया है। कुछ अध्ययनों की मानें, तो स्ट्रेस की वजह से ऑटिज्म नहीं होता है। इसका मतलब यह है कि ऑटिज्म के लिए तनाव को जिम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा। बच्चे को ऑटिज्म क्यों हुआ है, इसके लिए अन्य कारकों पर गौर किया जाना आवश्यक होता है।
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ऑटिज्म के लिए प्रेग्नेंसी से जुड़े जोखिम कारक
एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का सेवन
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर कोई महिला डिप्रेशन की दवा ले रही है, तो ऐसे में उनके बच्चे को ऑटिज्म का रिस्क रहता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की मानें, एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का ऑटिज्म का सीधा-सीधा कनेक्शन है। यही नहीं, एंटीडिप्रेसेंट दवाओं की वजह से बच्चों में एडीएचडी का रिस्क भी बढ़ जाता है। इसलिए, जो महिलाएं डिप्रेशन में है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही प्रेग्नेंसी प्लान करनी चाहिए।
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महिला की अधिक उम्र
विशेषज्ञों की मानें, तो अगर महिलाएं अधिम उम्र में कंसीव करती हैं, तो यह स्थिति भी ऑटिज्म के कारकों को बढ़ावा दे सकती है। वहीं, अगर मेल जेनेटिक पार्टनर अधिक उम्र का है, तो यह भी ऑटिज्म के रिस्क फैक्टर्स को बढ़ा सकता है। हालांकि, इस संबंध में अभी और भी अध्ययनों की आवश्यकता है ताकि अधिक उम्र और ऑटिज्म के बीच कनेक्शनक को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
प्रीटर्म बर्थ
प्रीटर्म बर्थ यानी समय से पहले बच्चों का जन्म होना। यह कंडीशन भी ऑटिज्म के रिस्क फैक्टर को बढ़ावा दे सकता है। विशेषज्ञों की मानें, समय से पहले जन्मे शिशुओं में करीब 7 फीसदी बच्चों को ऑटिज्म की शिकायत होती है। जबकि, सामान्य और समय से जन्मे बच्चों में सिर्फ एक से दो फीसदी बच्चों को ही ऑटिज्म होता है।
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