ऑटिज्म डिसऑर्डर नर्व और विकास से जुड़ी एक दिमागी बीमारी है। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder) के नाम से भी जाना जाता है, जो एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिससे सबसे ज्यादा बच्चे प्रभावित होते हैं, ये बीमारी पीड़ित बच्चों के व्यवहार को बुरी तरह प्रभावित करता है। ऑटिज्म के लक्षण बच्चों में बाल अवस्था से ही नजर आने लगते हैं। आज के समय में ऑटिज्म का जोखिम शिशुओं में बहुत ज्यादा बढ़ गया है, जिसका सबसे बड़ा कारण गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की अनहेल्दी लाइफस्टाइल और पोषण की कमी है। हार्मोन और गट हेल्थ कोच डायटीशियन मनप्रीत कालरा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर करके बच्चों में ऑटिज्म होने के कारणों के बारे में बताया है।
बच्चों में ऑटिज्म बढ़ने के 7 कारण - 7 Reasons For Increased Autism Rates in Hindi
1. फोलिक एसिड का कम सेवन
गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड की कमी जीन अभिव्यक्ति और न्यूरल ट्यूब विकास में में समस्या का कारण बन सकते हैं, जिससे होने वाला बच्चा ऑटिज्म के साथ पैदा हो सकता है।
2. ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी
प्रेग्नेंसी के दौरान ओमेगा-3 फैटी एसिड की कमी गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जो ऑटिज्म का कारण बनता है।
3. गर्भधारण करने से पहले मां में विटामिन डी की कमी
गर्भधारण करने से पहले और बाद में शरीर में विटमिन डी की कमी गर्भ में पल रहे शिशु के दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकता है। गर्भवती महिला के शरीर में विटामिन डी की कमी शिशु में ऑटिज्म होने के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं।
4. बहुत ज्यादा चीनी का सेवन
गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक चीनी के सेवन से गर्भवती महिला में चयापचय संबंधी समस्याएं और सूजन हो सकती है, जो भ्रूण के दिमाग के विकास पर प्रभाव डाल सकते हैं और ऑटिज्म का कारण बन सकते हैं।
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5. अत्यधिक शराब का सेवन
गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा शराब का सेवन गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकती है। इतना ही नहीं शराब का सेवन शिशु में कई तरह के न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर का कारण भी बन सकता है।
6. गर्भावस्था के दौरान खराब गुणवत्ता वाले प्रोटीन का सेवन
गर्भावस्था के दौरान खराब और कम मात्रा में प्रोटीन का सेवन भ्रूण के दिमाग के विकास को प्रभावित कर सकता है, जिससे गर्भ में पल रहे शिशु को ऑटिज्म होने का जोखिम बढ़ जाता है।
7. कम कोलीन का सेवन
गर्भावस्था के दौरान कम कोलीन का सेवन भ्रूण के दिमागी विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, जिससे संभावित रूप से उनमें ऑटिज्म का खतरा बढ़ सकता है।
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गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे को ऑटिज्म डिसऑर्डर से बचाने के लिए जरूरी है कि आप अपने खान-पान का विशेष ध्यान दें और हेल्दी डाइट फॉलो करें।
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