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Virtual Autism: क्या है वर्चुअल ऑटिज्म? 12 वर्षीय सिद्धार्थ की रियल केस स्टडी से समझें

Virtual Autism kya hota hai: जब बच्चा 8 से 10 घंटे तक मोबाइल पर समय बिताता है, तो उसे वर्चुअल ऑटिज्म हो सकता है।
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Virtual Autism: क्या है वर्चुअल ऑटिज्म? 12 वर्षीय सिद्धार्थ की रियल केस स्टडी से समझें


What Is Virtual Autism In Hindi: 12 वर्षीय सिद्धार्थ का ज्यादातर समय मोबाइल स्क्रीन पर ही बीतता है। सिर्फ एक या दो घंटे नहीं, बल्कि 8-10 घंटे तक वह मोबाइल देखता रहता है। मोबाइल में समय बिताने के कारण सिद्धार्थ को कई तरह की शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। मोबाइल की लत की वजह से सिद्धार्थ के पेरेंट्स काफी परेशान थे। सिद्धार्थ ने अपने दोस्तों के साथ खेलना बंद कर दिया था। यहां तक कि रात 3 या 4 बजे तक जगकर वह मोबाइल में वीडियो स्क्रॉल करता और सुबह स्कूल न जाने की जिद करता। मोबाइल देखने की उसकी लत ने उसके पेरेंट्स को बहुत ज्यादा परेशान कर दिया था। अंततः वे अपने बेटे को लेकर डॉक्टर के पास गए। वहां डॉक्टर ने न सिर्फ यह पुष्टि की कि सिद्धार्थ मोबाइल एडिक्शन का शिकार है, बल्कि उसे वर्चुअल ऑटिज्म भी हुआ है।

यह केस स्टडी हमारे साथ साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथैरेपिस्ट दीपाली बत्रा ने शेयर की है। ओनलीमायहेल्थ ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक सीरीज चला रहा है। इसमें आप मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से जुड़े अलग-अलग समस्या के बारे में जान सकेंगे। इस सीरीज में हम आपको सिद्धार्थ की केस स्टडी की मदद से वर्चुअल ऑटिज्म के बारे में बताएंगे।

क्या है वर्चुअल ऑटिज्म- What Is Virtual Autism In Hindi

What Is Virtual Autism In Hindi

जब बच्चा अपना ज्यादा से ज्यादा समय कंप्यूटर, मोबाइल या स्क्रीन पर बिताता है, तो उसके लिए दूसरे बच्चों की तुलना में दोस्त बनाना, घुलना-मिलना ज्यादा मुश्किल होता है। यही स्थिति एक समय बाद वर्चुअल ऑटिज्म में बदल जाती है। वर्चुअल ऑटिज्म, ऑटिज्म से अलग है। ऑटिज्म वास्तव में neurodevelopmental disorder है। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की सीखने, समझने और बातचीत करने की क्षमता अन्य बच्चों की तुलना में कमजोर होती है। लेकिन, ऑटिज्म के पीछे मोबाइल या स्क्रीन में समय बिताना कारण नहीं होता है। जबकि, इसके विपरीत वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे अपना ज्यादातर समय स्क्रीन पर बिताते हैं।

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वर्चुअल ऑटिज्म के लक्षण- Symptoms Of Virtual Autism In Hindi

Symptoms Of Virtual Autism In Hindi

वर्चुअल ऑटिज्म होने पर बच्चे में कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं, जैसे-

  • सीखने की क्षमता प्रभावित होना।
  • बच्चे का हाइपरएक्टिव होना।
  • किसी भी चीज में फोकस करने में दिक्कत होना।
  • फिजिकल एक्टिविटी में रुचि न होना।
  • दोस्त बनाने से बचना।
  • भीड़-भरे जगहों में न जाना।
  • अपनी बात सही तरह से न कह पाना।
  • बात करने की क्षमता का प्रभावित होना।
  • चीजों पर ज्यादा समय तक ध्यान न दे पाना।
  • बार-बार मूड स्विंग होना।
  • बात न सुने जाने पर बहुत ज्यादा गुस्सा करना।

 

 

 

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वर्चुअल ऑटिज्म का कारण- Causes Of Virtual Autism In Hindi

जैसा कि हमने सिद्धार्थ के मामले में देखा, वह 8 से 10 घंटे तक मोबाइल पर ही समय बिताता था। दोस्तों के साथ उसका एक्सपोजर कम था। वह हमउम्र बच्चों के साथ खेलने-कूदने भी नहीं जाता था। यही कारण है कि उसमें वर्चुअल ऑटिज्म के कुछ लक्षण उभरने लगे थे। असल में, वर्चुअल ऑटिज्म के शिकार बच्चे वर्चुअल वर्ल्ड को अपनी रियल लाइफ जैसा समझ बैठते हैं। वहां बच्चों को कोई जज नहीं करता, वर्चुअल वर्ल्ड में उन्हें प्रतिक्रिया का इंतजार नहीं रहता है। ऐसे में बच्चों के सेंसेस एक्टिव नहीं होते हैं, जो कि धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं। इन बच्चों की देखने और सुनने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। दरअसल, जब बच्चा वर्चुअल एंवायरमेंट के सपंर्क में ज्यादा से ज्यादा समय बिताता है, तो उनके लिए दूसरी चीजों के साथ संपर्क बनाने में दिक्कतें आती है। इसी तरह, वर्चुअल ऑटिज्म की शुरुआत होती है।

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वर्चुअल ऑटिज्म का ट्रीटमेंट- Treatment Of Virtual Autism In Hindi

Treatment Of Virtual Autism In Hindi

वर्चुअल ऑटिज्म का ट्रीटमेंट बच्चे की कंडीशन पर निर्भर करती है। जैसे कुछ बच्चे 8 से 10 घंटे तक स्क्रीन पर बिताते हैं, तो उनकी कंडीशन उन बच्चें की तुलना में ज्यादा खराब हो सकती है, जो 4 से 5 घंटे बिताते हैं। इसके अलावा, वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चा हाइपरएक्टिव है, चिड़चिड़ा रहता है या फिर कम्युनिकेशन करने में उसे दिक्कत है। इसी तरह के फैक्टर के अनुसार बच्चे का इलाज किया जाता है। वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे के इलाज के लिए निम्न तरीकों को आजमा सकते हैं-

  • बच्चे का एसेसमेंट किया जाता है।
  • स्क्रीन टाइम को कम से कम करने की कोशिश की जाती है।
  • अगर बच्चे की बोलने की क्षमता कमजोर है, तो उसे स्पीच क्लासेज दी जाती है।
  • बच्चे को पॉजिटिव एंवायरमेंट में रखा जाता है।
  • हमउम्र बच्चों के साथ खेलने के लिए मोटिवेट किया जाता है।
  • बच्चे को पेंटिंग, डांसिंग जैसी चीजों में एनरोल कराया जाता है।
  • बच्चे को पेरेंट्स के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए एनकरेज किया जाता है।
  • बच्चे को वर्चुअल दुनिया से ज्यादा से ज्यादा दूर रखा जाता है।
  • जरूरत पड़ने पर साइकिएट्रिस्ट की मदद से मरीज को दवा भी दी जाती है।

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वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की मदद कैसे करें- How To Help Someone With Virtual Autism In Hindi

वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को अपने पेरेंट्स के सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे निम्न तरीके अपनाएं, जैसे-

  • खुद को वर्चुअल ऑटिज्म के बारे में एजुकेट करें।
  • बच्चे को कम से कम मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट दें।
  • बच्चे को दोस्तों के साथ खेलने के लिए भेजें।
  • वर्चुअल ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की सामान्य बच्चों से तुलना न करें।
  • बच्चे की लर्निंग पॉवर पर ध्यान दें
  • अगर बच्चा स्लो लर्नर है, तो उस पर तेजी से सीखने का प्रेशर न बनाएं।

सिद्धार्थ की तरह अगर आपके आसपास कोई वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार है, तो आप उसे एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम "वर्चुअल ऑटिज्म" से जुड़ी जरूरी जानकारी दे रहे हैं। "Virtual Autism" से जुड़े अन्य लेख पढ़ने के लिए वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com में विजिट करें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।

Image Credit: Freepik

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