
ऑटिज्म डिसऑर्डर मस्तिष्क से जुड़ी समस्या है। यह एक तरह की न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जो विशेष रूप से बच्चों में देखी जाती है। इससे बच्चों की लाइफस्टाइल और व्यवहार में बदलाव देखने को मिलता है। इस समस्या के लक्षण बच्चों में कम उम्र से ही दिखने लगते हैं। दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याओं से बच्चों में ऑटिज्म होने का जोखिम बढ़ जाता है। इस समस्या में अभिभावकों को बच्चों की मानसिक स्थिति के बारे में समझना चाहिए और उनको सपोर्ट करना चाहिए। इस समस्या में सकारात्मक सोच से बच्चों की लाइफस्टाइल (autistic children lifestyle) में सुधार किया जा सकता है। आगे बच्चों के मूयर विहार स्थिति मदर और एंजेल मदर एंड चाइल्ड केयर के पीडियेट्रिक्स डॉक्टर अजीत कुमार से जानते हैं कि पॉजिटिव सोच से बच्चों की लाइफस्टाइल को कैसे आसान बनाया जा सकता है।
बच्चों में ऑटिज्म से क्या लक्षण महसूस होते हैं?
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में बच्चे का दिमाग विकास प्रभावित होता है। इस समस्या में बच्चे के द्वारा नई चीजों को सीखने, बोलने व व्यवाहर में कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके साथ ही, बच्चे अन्य लोगों के साथ सामाजिक संपर्क स्थापित करने और उनसे बात करने में हिचकते हैं। प्रेग्नेंसी में महिलाओं के द्वारा फोलिक एसिड, ओमेगा 3 फैटी एसिड व अन्य पोषण का सेवन कम करने से बच्चे को ऑटिज्म हो सकता है। इसके अलावा, ज्यादा चीनी और शराब का सेवन करने से भी बच्चे को मानसिक समस्याओं का खतरा अधिक होता है।
ऑटिज्म में बच्चों के अंदर पॉजिटिविटी कैसे बढ़ाएं
ऑटिज्म में सकारात्मक सोच से बच्चों की लाइफस्टाइल बेहतर हो सकती है। आगे जानते हैं कि ऑटिज्म में बच्चों के अंदर पॉजिटिविटी कैसे लाएं।
- बच्चों को एक समय में एक ही इंस्टैक्शन दें। इससे बच्चे को एक काम करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती है और धीरे-धीरे उसका कॉफिडेंश लेवल बढ़ता है।
- बच्चे को जो काम आते हों, उनको वह ही करने के लिए कहें। जैसे यदि आपके बच्चे को शर्ट के बटन लगाने नहीं आते हैं तो उन्हें तैयार होने के लिए न कहें।
- बच्चे को आसान और सरल भाषा में इंट्रक्शन देने का प्रयास करें। इससे बच्चा काम को आसानी से समझ पाता है।
- बच्चे को किसी चीज को सिखाने के लिए पिक्चर और वीडियो की मदद ले सकते हैं। इससे बच्चा संबंधी आदत या चीज को आसानी व तेजी से सीखता है।
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इन सभी से बच्चे के अंदर आत्मविश्वास और पॉजिटिविटी आती है। इससे बच्चा बिना किसी झिझक के नए काम को करने के लिए आगे आते हैं। साथ ही, वह खुद को दूसरे बच्चों से अलग भी नहीं समझते हैं।
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