What Is Dependent Personality Disorder In Hindi: गुड़गांव में रहने वाली 32 वर्षीय शादीशुदा महिला मिसेज नैना मेहरा अपने हर छोटे-बड़े फैसलों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने लगी थी। उसे लगता था कि वह जो भी फैसले लेगी, वह सही नहीं होगा। यहां तक कि अपनी लाइफ से जुड़े छोटे से छोटे फैसले लेने में भी उसे हिचक होती थी। नतीजा यह हुआ कि उसकी न सिर्फ पर्सनल लाइफ बल्कि प्रोफेशनल लाइफ भी इफेक्ट होने लगी थी। ऑफिस में भी अगर उसे कुछ करना होता था, तो अपने सहकर्मियों से पूछ-पूछकर करती थी। हालांकि, वह सुनिश्चित हो जाना जाती थी कि वह जो कर रही है, वह गलत नहीं है। लेकिन, उसकी आदत ने उसे दूसरों पर इतना निर्भर कर दिया था कि वह अपने लिए कुछ भी स्वतंत्र होकर नहीं कर पा रही थी। जब उसे लगा कि वह अपनी कंडीशन को संभालना चाहती है, तो वह एक्सपर्ट से मिली। ट्रीटमेंट के दौरान उसे पता चला कि वह डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है।
नैना की यह केस स्टडी हमारे साथ क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और माइंडट्राइब की फाउंडर डॉ. प्रेरणा कोहली ने शेयर की है। ओनलीमायहेल्थ ‘मेंटल हेल्थ मैटर्स’ नाम से एक सीरीज चला रहा है। इसमें आपको मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर से जुड़े अलग अलग विकार के बारे में जानने को मिलेगा। इस सीरीज के जरिए नैना की केस स्टडी की मदद से डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के बारे में बताएंगे।
डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है- What Is Dependent Personality Disorder In Hindi
नोएडा एक्सटेंशन में स्थित यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पीटल में कंसल्टेंट साइकिएट्री डॉ. सारस प्रसाद के अनुसार, "Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM-5) के मुताबिक डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक Cluster C पर्सनैलिटी डिसऑर्डर है। डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर यानी डीपीडी से पीड़ित व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर रहने की बहुत ज्यादा आदत होती है। आप कह सकते हैं कि डीपीडी के मरीज खुद को पूरी तरह दूसरों को सौंप देते हैं और चाहते हैं कि उनकी हर समय केयर की जाए। यह निर्भरता इतनी ज्यादा होती है कि असामान्य महसूस होती है। इसकी वजह से रिलेशनशिप भी प्रभावित हो सकता है। यहां तक कि डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का मरीज स्वतंत्र होकर कोई भी काम करने में सक्षम नहीं रह जाता है।"
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डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण- Symptoms Of Dependent Personality Disorder In Hindi
डॉ. सारस प्रसाद डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षणों के बारे में जिक्र करते हुए बताते हैं-
- छोड़े जाने का डरः डीपीडी के मरीज अक्सर इस बात से डरे रहते हैं कि उनके दोस्त या उनके परीजन उन्हें कभी भी छोड़ सकते हैं। उन्हें लगता है कि उनके अपने करीबी किसी भी समय उनकी देखभाल करना छोड़ सकते हैं। यही कारण है कि डीपीडी के मरीज अपने करीबियों के पास बने रहने की हर संभव कोशिश करते हैं।
- फैसले लेने में कठिनाईः डीपीडी के मरीज इस हद तक दूसरों पर निर्भर होते हैं कि वे दूसरों की सलाह के बिना अपने रोजमर्रा के कामकाज भी नहीं कर पाते हैं।
- विनम्र व्यवहारः डीपीडी से ग्रस्त मरीज दूसरों की खुशी के लिए कुछ भी कर सकते हैं। यहां तक कि अपने करीबियों या दोस्तों को खुश रखने के लिए अपनी प्राथमिकताओं को भी बदल सकते हैं।
- आत्मविश्वास की कमीः डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीज अक्सर आत्मविश्वास की कमी से गुजरते हैं। असल में ये लोग जिम्मेदारी लेने से बचते हैं।
- किसी भी काम की शुरुआत करने में मुश्किल होनाः डीपीडी के मरीज किसी भी काम की शुरुआत खुद से नहीं कर सकते हैं। उन्हें हर काम के लिए दूसरों का समर्थन चाहिए होता है। इन्हें लगता है कि इनके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना वे अकेले रहकर नहीं कर सकते हैं।
डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का कारण- Causes Of Dependent Personality Disorder In Hindi
डॉ. सारस प्रसाद डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के कारणों के बारे में बताते हैं-
- जेनेटिक्सः जिन लोगों के घरों में पहले किसी को मानसिक समस्या रही है या फिर मानसिक विकार का इतिहास रहा है, उन परिवारों की भावी पीढ़ी को डीपीडी की समस्या हो सकती है।
- जिंदगी से जुड़े अनुभवः अगर किसी के जिंदगी के किसी पड़ाव में बुरे अनुभव रहे हों, तो वह डीपीडी का शिकार हो सकता है।
- न्यूरोबायोलॉजिकल फैक्टरः कई बार डीपीडी का कारण मस्तिष्क संरचना भी हो सकता है।
डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का उपचार- Treatment Of Dependent Personality Disorder In Hindi
डॉ. प्रेरणा कोहली कहती हैं कि उन्होंने नैना मेहरा के ट्रीटमेंट के दौरान उसकी काउंसलिंग की। उसमें डीपीडी के पैटर्न को समझने की कोशिश की गई। साथ ही उसके कॉन्फिडेंस को बूस्ट किया गया, ताकि वह कोई भी फैसले खुद से कर सके। इसके अलावा, उसे पॉजिटिव एन्वायरमेंट दिया गया ताकि वह अपने मन की बात खुल कर कह सके। अपने डर और अपने डाउट्स को समझ सके और उन्हें दूर कर सके। यही नहीं, उसकी कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी की गई और डिसीजन मेकिंग स्किल्स पर भी फोकस किया गया। इस तरह की ट्रीटमेंट की मदद से नैना अपनी स्थिति को खुद कंट्रोल करने में सक्षम हो सकी। इसके अन्य ट्रीटमेंट की बात की जाए, तो इसमें साइकोथेरेपी और साइकोडाइनेमिक थेरेपी की मदद भी ली जाती है।
डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के मरीज की मदद कैसे करें- How To Help Someone With Dependent Personality Disorder In Hindi
अगर आपके आसपास कोई डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है, तो आप उनकी निम्न तरीकों से मदद कर सकते हैं-
- उन्हें कहें कि स्वतंत्र होकर रहना सीखें। अपने छोटे-बड़े फैसले खुद किया करें। जरूरत हो, तो दूसरों की सलाह लें।
- शुरुआती दिनों में उन्हें छोटे-छोटे फैसले लेने के लिए मोटिवेट करें।
- उन्हें बताएं कि दूसरों पर बहुत ज्यादा निर्भर होना सही नहीं है।
- उनके आत्म-सम्मान को बढ़ावा दें। उनके साथ ऐसी एक्टिविटी का हिस्सा बनें, जिससे वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास कर सकें और सेल्फ इंडिपेंडेंट बन सकें।
- प्रोफेशनल की मदद लेना न भूलें। कई बार कंडीशन ऐसी हो जाती है कि डीपीडी के मरीजों को घर में पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसे में एक्सपर्ट के पास जाना लाभकारी रहता है।
नैना की तरह अगर आपके घर में भी कोई डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है, तो आप उसे एक्सपर्ट के पास जाएं। इस लेख में हम ‘डिपेंडेंट पर्सनैलिटी डिसऑर्डर’ से जुड़ी जरूरी जानकारी दी है। इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाइट www.onlymyhealth.com में 'Dependent Personality Disorder' से जुड़े अन्य लेख पढ़ें या हमारे सोशल प्लेटफार्म से जुड़ें।
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