Autism Therapy Benefits For Children: लाइफस्टाइल का असर सेहत पर साफ देखने को मिलता है। कुछ वर्षों से ऑटिज्म स्पेक्ट्रम रोग के मामले सामने आएं हैं। यह दिमाग से जुड़ी समस्या है। यह समस्या पीड़ित व्यक्ति व बच्चे के व्यवहार पर प्रभाव डालती है। इस समस्या का इलाज संभव है, लेकिन रोग पूर तरह से खत्म हो इस बात की कोई पुष्टि नहीं की जा सकती है। बच्चों को ऑटिज्म होने पर कई तरह की थेरेपी से इलाज किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में अधिक समय लग सकता है। डॉक्टर की मानें तो जिन बच्चों को बीमारी के शुरुआती लक्षणों में ही इलाज या थेरेपी मिलती हैं, उनको तेजी से ठीक किया जा सकता है। प्रयाग अस्पताल में बच्चों के डॉक्टर पीडियाट्रिशियन आरती गुप्ता से जानते हैं कि बच्चों में ऑटिज्म होने पर किस तरह की थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
बच्चों में ऑटिज्म को दूर करती है ये थेरेपी - Therapies Can Help To Treat Children With Autism In Hindi
जिन बच्चों को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम होता है, उनमें सोशल स्किल को बढ़ाने के लिए थेरेपी की मदद ली जाती है। इससे बच्चे के नींद के डिसऑर्डर, खाने से जुड़ी समस्याओं, स्ट्रेस, चिंता और मूड से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है। आगे जानते हैं इन थेरेपी के बारे में।
सेंसरी इंटिग्रेशन थेरेपी
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के दौरान बच्चों में सेंसरी समस्याएं हो सकती है। ऐसे में बच्चों को शोर, रोशनी या छूने से संवेदनशीलता हो सकती है। इस समस्या में सेंसरी इंटिग्रेशन थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है। इस थेरेपी से बच्चे की बाहरी संवेदनशीलता को नियमित किया जा सकता है। इसमें बच्चे को छूने और उन्हें अलग-अलग फैबरीक के कपड़े पहनाए जा सकते हैं। दरअसल, बच्चों की संवेदनशीलता को कम करने का प्रयास किया जाता है।
रिलेशनसिप डेवलपमेंट इंटरवेंशन
यह थेरेपी सभी उम्र के बच्चे के लिए फायदेमंद हो सकती है। थेरेपिस्ट का मानना है कि जिन बच्चों को यह थेरेपी कम उम्र में दी जाती है उन पर यह प्रभावी रूप से कार्य करती है। इसमें बच्चों की सोच को बेहतर करना और सामाजिक रूप से बच्चों को मिलनसार बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें बच्चे को सबसे पहले माता-पिता, भाई-बहन या करीबी रिश्तेदारों से संबंध या बोलचाल को स्थापित करने से शुरुआत की जाती है। इसमें बच्चे के अभिभावकों की भागीदारी की आवश्यकता होती है। बच्चों को बेहद ही सरल और वीडियो के माध्यम से चीजे सिखाई जाती हैं।
स्पीच थेरेपी
स्पीच थेरेपी में बच्चों को लोगों से बात करने और उनकी कुछ सिखने की इच्छा को शांत किया जाता है। इसमें थेरेपिस्ट कुछ नॉन वरब्ल स्किल जैसे आंखों के इशारा करना या हाथों से संकेत देने आदि को सिखाते हैं। इसके साथ ही, बच्चे को लोगों के साथ बात करने में होने वाली झिझक को कम करने की ट्रेनिंग दी जाती है। इसके अलावा, बच्चों को सही शब्दों का उच्चारण करने और किसी स्थिति के लिए सही शब्दों के बारे में भी सिखाया जाता है। इससे बच्चे का माइंड डेवलप होता है और वह सामाज में लोगों के साथ संपर्क स्थापित कर पाता है।
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बच्चे के ऑटिज्म को दूर करने के लिए अभिभावकों को उनकी मदद करनी होती है। सबसे पहले अभिभावकों को बच्चे के ऑटिज्म के लक्षणों को पहचानकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस समस्या की अनदेखी करना बच्चे के लिए बड़ी समस्या का कारण बन सकता है। फिलहाल, इस तरह की थेरेपी बच्चे की समस्याओं को कम कर सकती है। लेकिन, इसका कोई प्रमाणिक या वैज्ञानिक तथ्य उपलब्ध नहीं है। साथ ही, इस विषय पर आगे रिसर्च जारी है।