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क्या प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण शिशु को ऑट‍िज्‍म हो सकता है? डॉक्टर से जानें कनेक्शन

Can Gestational Diabetes Cause Autism In Infant In Hindi: प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। ऑटिज्म उन्हीं में से एक है। यहां समझें, इनके बीच कनेक्शन।
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क्या प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण शिशु को ऑट‍िज्‍म हो सकता है? डॉक्टर से जानें कनेक्शन

Can Gestational Diabetes Cause Autism In Infant In Hindi: प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण कई तरह की जटिलताओं का जोखिम बढ़ जाता है। जैसे समयपूर्व डिलीवरी हो सकती है, जन्म के समय बच्चे का जन्म कम हो सकता है, बच्चे को जॉन्डिस होने का रिस्क रहता है और यह महिला में प्रीक्लेम्पसिया होने की आशंका में भी बढ़ोत्तरी करता है। इस तरह देखा जाए, तो महिलाओं को प्रेग्नेंसी में अपनी अतिरिक्त केयर करनी चाहिए। ऐसा करने से जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम कम रहता है। लेकिन, अगर किसी महिला को गर्भावस्था में डायबिटीज हो जाए, तो इसे मैनेज करने की कोशिश करनी चाहिए। बहरहाल, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है कि क्या प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होने के कारण शिशु को ऑटिज्म हो सकता है? जानते हैं वृंदावन और नई दिल्ली स्थित मदर्स लैप आईवीएफ सेंटर की चिकित्सा निदेशक, स्त्री रोग और आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शोभा गुप्ता से।

क्या प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण शिशु को ऑटिज्म हो सकता है?- Can Gestational Diabetes Cause Autism In Infant In Hindi

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प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होना अपने आप में एक बड़ी समस्या होता है। इसे कई तरह  बीमारियों और परेशानियों से जोड़कर देखा जाता है। जहां तक सवाल इस बात का है कि प्रेग्नेंसी में डायबिटीज के कारण शिशु को ऑटिज्म हो सकता है या नहीं? इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भकालीन मधुमेह और ऑटिज्म का आपस में गहरा संबंध है। 26वें सप्ताह की प्रेग्नेंसी तक गर्भकालीन मधुमेह का होना बच्चे में ऑटिज्म के रिस्क को 42 फीसदी तक बढ़ा देता है। लेकिन, अगर महिला को पहले से टाइप 2 डायबिटीज है, तो जन्म के बाद शिशु में ऑटिज्म का रिस्क कम रहता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि माना जाता है कि प्रेग्नेंसी से पहले महिलाएं अपने ब्लड शुगर के स्तर को सही तरह से मैनेज कर लेती हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि प्रेग्नेंसी में डायबिटीज की वजह से ऑटिज्म का जोखिम क्यों बढ़ता है? विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण गर्भ में पल रहे शिशु के ऑर्गन और उसके फंक्शन पर बुरा असर पड़ सकता है। यही कारण है कि जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण शिशु को ऑटिज्म का रिस्क रहता है।

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प्रेग्नेंसी में ऑटिज्म का कैसे पता चलता है?

आपको स्पष्ट कर दें कि प्रेग्नेंसी में ऑटिज्म का पता लगाना संभव नहीं है। हां, इस संबंध में कुछ संकेतों को नोटिस किया जा सकता है। वैसे विशेषज्ञों की मानें, तो जन्म के करीब 2 साल बाद यह कंफर्म होता है कि बच्चे को ऑटिज्म है या नहीं। असल में, जब बच्चा बोलना सीखता है, तो उसे दिक्कतें आती हैं, वह सामान्य बच्चों से अलग तरीके से बिहेव करता है। अगर हम प्रेग्नेंसी में ऑटिज्म के पता लगाने की बात करते हैं, तो इसके अल्ट्रासाउंड एक विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रेग्नेंसी में अल्ट्रासाउंड के जरिए यह पता चलता है कि बच्चे में कोई विसंगतियां तो नहीं है। ऑटिज्म होने पर अक्सर बच्चे का सिर उसके साइज की तुलना में बड़ा होता है। इसके अलावा, उसके ब्रेन स्ट्रक्चर में भी कुछ बदलाव नजर आ सकते हैं।

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बच्चे में ऑटिज्म होने के अन्य कारण

जेस्टेशनल डायबिटीज ऑटिज्म का एक मुख्य कारण बनता है। लेकिन, इसके पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं, जैसे-

  • अधिक उम्र में पैरेंट्स बनना।
  • पहले बच्चे को ऑटिज्म होना, जिससे दूसरे बच्चे में भी इसका रिस्क बढ़ जाता है।
  • जन्म के समय बच्चे का वजन कम होना।
  • जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण भी ऑटिज्म रिस्क बढ़ता है।
All Image Credit: Freepik

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