
आजकल सेहत को लेकर लोगों का रुझान तेजी से आयुर्वेद की ओर बढ़ा है। एलोपैथिक दवाओं के साइड इफेक्ट से परेशान लोग यह मानने लगे हैं कि आयुर्वेदिक दवाएं पूरी तरह सुरक्षित होती हैं और इन्हें बिना किसी डर के लिया जा सकता है। सोशल मीडिया, यूट्यूब और व्हाट्सएप पर हजारों घरेलू नुस्खे और जड़ी-बूटियों के फायदे बताए जाते हैं, जिन्हें देखकर लोग खुद ही आयुर्वेदिक टैबलेट का सेवन शुरू कर देते हैं लेकिन क्या वाकई यह तरीका सही है? सिरसा के रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) इस सवाल पर क्या कहते हैं, आइए विस्तार से समझते हैं।
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क्या आयुर्वेदिक दवाएं बिना सलाह लेना सुरक्षित है? - Is it safe to take ayurvedic medicines without advice
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा बताते हैं कि सबसे बड़ी गलतफहमी यह है कि लोग आयुर्वेदिक दवाओं को पूरी तरह सुरक्षित मान लेते हैं। जबकि सच यह है कि आयुर्वेद भी एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है, जिसमें दवाओं का चयन व्यक्ति की प्रकृति, रोग और दोषों के आधार पर किया जाता है। बिना सलाह दवाएं लेना उतना ही नुकसानदायक हो सकता है जितना एलोपैथिक दवाओं का गलत इस्तेमाल।
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रसायन क्या होता है? और इन्हें कब लिया जा सकता है? - What is Rasayana
डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार आयुर्वेद में कुछ चीजों को रसायन बताया गया है, यानी जो शरीर को पोषण देती हैं और सामान्य स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होती हैं। जैसे त्रिफला, आंवला, अश्वगंधा, हल्दी और रोजमर्रा के घरेलू मसाले। इन्हें सीमित मात्रा और सही तरीके से लिया जाए तो आमतौर पर नुकसान नहीं होता लेकिन यहां भी यह ध्यान रखना जरूरी है कि हर चीज हर व्यक्ति को सूट करे, यह जरूरी नहीं।
- अगर कोई व्यक्ति किसी डिजीज से पीड़ित है, जैसे डायबिटीज, थायराइड, बीपी, लिवर या किडनी की बीमारी, तो उसे कभी भी आयुर्वेदिक दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए।
- कई जड़ी-बूटियां शरीर के भीतर गहराई से असर करती हैं और पहले से चल रही दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकती हैं। इससे बीमारी बिगड़ने का खतरा रहता है।
- आयुर्वेद का मूल सिद्धांत है वात, पित्त और कफ। कोई भी जड़ी-बूटी इन तीनों में से किसी एक या अधिक दोष पर काम करती है। अगर आपकी प्रकृति के अनुसार दवा नहीं ली गई, तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
- उदाहरण के तौर पर, जो चीज पित्त को शांत करती है, वह कफ बढ़ा सकती है। इसलिए यह तय करना कि आपके लिए कौन-सी जड़ी-बूटी सही है, यह काम डॉक्टर का है।
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डॉक्टर की सलाह
आयुर्वेदाचार्य आपकी प्रकृति, उम्र, रोग, मौसम और लाइफस्टाइल को देखकर दवा तय करते हैं। वे यह भी बताते हैं कि दवा कितने समय तक लेनी है और कब बंद करनी है। यही वजह है कि आयुर्वेद में स्वयं दवा लेना (Self-Medication) सुरक्षित नहीं माना जाता। कई लोग यह मान लेते हैं कि अगर थोड़ी मात्रा में फायदा है, तो ज्यादा मात्रा में ज्यादा फायदा होगा। यह सोच आयुर्वेद में पूरी तरह गलत मानी जाती है। आयुर्वेदिक दवाओं का अधिक मात्रा में या लंबे समय तक सेवन करने से शरीर की अग्नि कमजोर हो सकती है, धातु असंतुलन हो सकता है और नए लक्षण उभर सकते हैं।
निष्कर्ष
आयुर्वेदिक दवाएं प्राकृतिक जरूर हैं, लेकिन इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह लेना सुरक्षित नहीं है। रसायन गुण वाली चीजें जैसे त्रिफला, आंवला, अश्वगंधा और हल्दी सीमित मात्रा में ली जा सकती हैं, लेकिन बीमारी की स्थिति में या लंबे समय तक सेवन से पहले एक्सपर्ट की सलाह जरूरी है।
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FAQ
क्या एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवा एक साथ ले सकते हैं?
कुछ मामलों में ली जा सकती हैं, लेकिन दोनों के बीच रिएक्शन हो सकता है। इसलिए डॉक्टर को अपनी सभी दवाओं की जानकारी देना जरूरी है।क्या आयुर्वेदिक दवाएं हानिकारक हो सकती हैं?
बिना डॉक्टर की सलाह के ली गई दवाएं सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं।क्या आयुर्वेदिक दवाएं सुरक्षित हैं?
हर जड़ी-बूटी वात, पित्त या कफ पर अलग असर डालती है। बिना सलाह या गलत मात्रा में ली गई आयुर्वेदिक दवा नुकसान कर सकती है।
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Dec 22, 2025 11:52 IST
Modified By : Akanksha TiwariDec 22, 2025 11:43 IST
Modified By : Akanksha TiwariDec 22, 2025 11:43 IST
Published By : Akanksha Tiwari