Doctor Verified

मूड स्विंग्स और एंग्जायटी से हैं परेशान? लाइफस्टाइल के ये बदलाव दिमाग को करेंगे शांत

आज की तेज-तर्रार जिंदगी में हल्की चिंता (mild anxiety) और मूड स्विंग्स होना कोई असामान्य बात नहीं रह गई है। यहां जानिए, मूड स्विंग औ एंग्जायटी से राहत के लिए क्या करें?
  • SHARE
  • FOLLOW
मूड स्विंग्स और एंग्जायटी से हैं परेशान? लाइफस्टाइल के ये बदलाव दिमाग को करेंगे शांत

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में एंग्जायटी और मूड स्विंग जैसी मानसिक समस्याएं पहले से कहीं ज्यादा आम हो गई हैं। सुबह ऑफिस का स्ट्रेस, रात तक काम का दबाव, सोशल मीडिया की तुलना, नींद की कमी और असंतुलित खानपान, ये सब हमारे दिमाग पर अदृश्य बोझ डालते रहते हैं। नतीजा यह होता है कि हम बिना वजह बेचैन, चिड़चिड़े या उदास महसूस करने लगते हैं। कई बार छोटी-सी बात पर गुस्सा आना या अचानक उदासी छा जाना mild anxiety या mood swings का संकेत हो सकता है। इस लेख में हैदराबाद के यशोदा अस्पताल के वरिष्ठ सलाहकार मनोचिकित्सक, डॉ. नवीन कुमार धागुडू (Dr. Naveen Kumar Dhagudu, Senior Consultant Psychiatrist, Yashoda Hospitals, Hyderabad) से जानिए, मूड स्विंग औ एंग्जायटी से राहत के लिए क्या करें?

मूड स्विंग और एंग्जायटी के लिए क्या करें? - How To Control Anxiety Mood Swings

यशोदा हॉस्पिटल्स, हैदराबाद के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नवीन कुमार धागुडू बताते हैं, ''हल्की चिंता और मूड स्विंग्स आम हैं, लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ छोटे-छोटे लाइफस्टाइल बदलाव इन्हें काफी हद तक कंट्रोल कर सकते हैं।'' आइए जानते हैं डॉ. नवीन कुमार धागुडू के बताए ये कारगर टिप्स जो मन को शांत और मूड को स्थिर रखने में मदद करते हैं।

1. एक्टिव रहें - Stay Active

फिजिकल एक्टिविटी न केवल शरीर बल्कि मन को भी हेल्दी बनाती है। डॉ. नवीन कुमार बताते हैं कि नियमित एक्सरसाइज, चाहे वह केवल 30 मिनट की सैर ही क्यों न हो, एंडोर्फिन नामक हैप्पी हार्मोन रिलीज करता है जो चिंता को कम करता है और मूड को बेहतर बनाता है। अगर जिम जाना मुश्किल हो, तो घर पर योगासन, स्ट्रेचिंग या हल्की सैर को अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

इसे भी पढ़ें: क्या मेडिटेशन से एंटी-एंग्जायटी दवा हो सकती है बंद? एक्सपर्ट से जानें

2. पूरी नींद लें - Get Enough Sleep

नींद की कमी मानसिक स्वास्थ्य की सबसे बड़ी दुश्मन है। जब नींद पूरी नहीं होती तो चिड़चिड़ापन, बेचैनी और ध्यान की कमी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। डॉक्टर सलाह देते हैं कि हर रात कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद जरूरी है। नींद का एक निश्चित समय तय करें और कोशिश करें कि रोज उसी समय सोएं और जागें। सोने से पहले मोबाइल या लैपटॉप जैसी स्क्रीन से दूरी बनाना भी बेहद जरूरी है क्योंकि ब्लू लाइट मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित कर नींद में बाधा डालती है।

3. बैलेंस डाइट - Eat Balanced Meals

हम जो खाते हैं, उसका सीधा असर हमारे दिमाग और भावनाओं पर पड़ता है। डॉ. नवीन कुमार धागुडू के अनुसार, ''फल, सब्ज़ियां, साबुत अनाज, और ओमेगा-3 से भरपूर फूड्स जैसे अखरोट, अलसी के बीज और मछली मूड को स्थिर रखने में मदद करते हैं।'' इसके विपरीत, ज्यादा चीनी और प्रोसेस्ड फूड्स अस्थायी रूप से एनर्जी तो देते हैं, लेकिन बाद में मूड को अस्थिर और थकान भरा बना सकते हैं।

4. कैफीन और अल्कोहल कम करें - Limit Caffeine And Alcohol

कॉफी या चाय के जरिए तुरंत एनर्जी पाना भले अच्छा लगे, लेकिन ज्यादा कैफीन चिंता और घबराहट बढ़ा सकता है। वहीं अल्कोहल शुरू में रिलैक्स महसूस कराता है, लेकिन बाद में नींद और मूड दोनों को प्रभावित करता है। डॉ. नवीन कुमार धागुडू सलाह देते हैं कि अगर आप रोजाना कई कप कॉफी या चाय लेते हैं, तो धीरे-धीरे उसकी मात्रा कम करें। इसके बजाय हर्बल टी या नारियल पानी जैसे नेचुरल विकल्प अपनाएं।

इसे भी पढ़ें: एंग्जायटी कंट्रोल करने का 5-5-5 नियम क्या है? जानें कैसे तुरंत मिलेगी राहत

5. माइंडफुलनेस - Practice Mindfulness

माइंडफुलनेस का मतलब है वर्तमान में जीना और अपने विचारों व भावनाओं को बिना जज किए स्वीकार करना। डॉ. नवीन कुमार कहते हैं, ''गहरी सांस लेना, मेडिटेशन या योग जैसी एक्टिविटी मानसिक स्पष्टता बढ़ाती हैं और तनाव के स्तर को कम करती हैं।'' दिन में कुछ मिनट शांति से बैठकर श्वास पर ध्यान देना भी आपके मूड को बेहतर बना सकता है। नियमित अभ्यास से चिंता और नकारात्मक विचारों पर कंट्रोल पाया जा सकता है।

6. लोगों से बात करें - Connect With Others

तनाव और चिंता अक्सर तब बढ़ जाते हैं जब हम उन्हें अपने भीतर दबाकर रखते हैं। इसलिए भरोसेमंद दोस्तों या परिवार के सदस्यों से अपनी बात शेयर करें। डॉ. नवीन कुमार बताते हैं कि किसी अपने से बात करना भावनात्मक राहत देता है और मानसिक बोझ कम करता है। अगर किसी से बात करना मुश्किल लगे, तो अपनी भावनाओं को लिखना भी एक अच्छा तरीका है।

How to manage mild anxiety

इसे भी पढ़ें: कहीं आपके मूड स्विंग्स का कारण इन 4 पोषक तत्वों की कमी तो नहीं? जानें कैसे करें आपूर्ति

7. प्रकृति के करीब रहें - Spend Time Outdoors

सुबह की धूप और ताजी हवा का हमारे मूड पर बहुत सकारात्मक असर पड़ता है। सूरज की किरणों से मिलने वाला विटामिन D सेरोटोनिन हार्मोन के लेवल को बढ़ाता है, जो मूड को स्थिर करता है। हर दिन कुछ समय बाहर बिताएं, चाहे वह पार्क में टहलना हो या घर की बालकनी में बैठकर धूप लेना। प्रकृति से जुड़ाव मन को शांत और स्थिर बनाता है।

8. नियमित दिनचर्या अपनाएं - Maintain A Routine

अनियमित दिनचर्या भी चिंता और मूड स्विंग्स का कारण बन सकती है। इसलिए रोजाना एक निश्चित समय पर जागना, खाना और सोना जरूरी है। एक संतुलित रूटीन न केवल शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक को व्यवस्थित करता है बल्कि मानसिक स्थिरता भी लाता है।

डॉक्टर की सलाह

अगर चिंता या मूड स्विंग्स लगातार बने रहें, नींद प्रभावित हो या कामकाज और रिश्तों पर असर डालने लगें, तो इसे हल्के में न लें। डॉ. नवीन कुमार कहते हैं, ''शुरुआती स्तर पर जागरूकता और सही सलाह लेने से मानसिक समस्याओं को गंभीर रूप लेने से रोका जा सकता है।'' समय पर मदद लेना कमजोरी नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजगता का संकेत है।

निष्कर्ष

एंग्जायटी और मूड स्विंग्स को नजरअंदाज करने के बजाय, अगर हम अपने रोजमर्रा के जीवन में कुछ सरल बदलाव करें, जैसे नियमित एक्सरसाइज, अच्छी नींद, बैलेंस डाइट और माइंडफुलनेस, तो मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन दोनों बनाए रखे जा सकते हैं। याद रखें, मन की सेहत भी शरीर जितनी ही जरूरी है।

All Images Credit- Freepik

यह विडियो भी देखें

FAQ

  • एंग्जायटी क्या होती है? 

    एंग्जायटी एक मानसिक और शारीरिक रिएक्शन है जो किसी तनाव या डर की स्थिति में होती है। यह सामान्य है, लेकिन जब यह लगातार बनी रहे और रोजमर्रा के कामकाज को प्रभावित करे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
  • चिंता और स्ट्रेस में क्या फर्क है?

    स्ट्रेस किसी बाहरी स्थिति का रिएक्शन है, जबकि चिंता उस स्ट्रेस के बारे में मन में बार-बार आने वाली नकारात्मक सोच है। स्ट्रेस खत्म होने के बाद चिंता अक्सर बनी रहती है।
  • क्या नींद की कमी से चिंता बढ़ सकती है?

    नींद की कमी मस्तिष्क के तनाव कंट्रोल करने वाले हार्मोन्स को असंतुलित कर देती है, जिससे चिंता, चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स बढ़ सकते हैं।

 

 

 

Read Next

कैसे जानें इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ रहा है? डॉक्टर से जानें इसके 4 लक्षणों के बारे में

Disclaimer

How we keep this article up to date:

We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.

  • Current Version

  • Nov 06, 2025 17:06 IST

    Modified By : Akanksha Tiwari
  • Nov 06, 2025 17:06 IST

    Published By : Akanksha Tiwari

TAGS